2015-10-07 12:32:00

विवाह विषयक काथलिक धर्मशिक्षा कोई मुद्दा नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 7 अक्टूबर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के दौरान विचाराधीन मुद्दों में विवाह विषयक काथलिक कलीसिया का धर्मसिद्धान्त वाद-विवाद का मुद्दा नहीं है।  

वाटिकन में, 05 से 25 अक्टूबर तक जारी, विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में अब तक 72 धर्माचार्यों ने अपने विचार व्यक्त किये हैं। उन पर प्रेस को आलोकित करते हुए मंगलवार को वाटिकन प्रेस के निर्देशक फादर फेदरीको लोमबारदी ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस धर्मसभा के समक्ष यह स्पष्ट कर चुके हैं कि विवाह पर काथलिक धर्मसिद्धान्त विवाद का मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह भी नहीं समझा जाना चाहिये कि धर्मसभा का आयोजन केवल तलाकशुदा अथवा पुनर्विवाहित दम्पत्तियों की प्रेरिताई पर विचार विमर्श हेतु किया गया है।

फादर लोमबारदी ने कहा कि इस समय जारी धर्मसभा में सन्त पापा फ्राँसिस स्पष्ट कर चुके हैं कि अक्टूबर 2014 में सम्पन्न सामान्य धर्मसभा के प्रारम्भ और अन्त में सन्त पापा ने जो सन्देश दिये थे तथा धर्मसभा के बाद धर्माचार्यों के प्रस्तावों पर जो रिपोर्ट तैयार की गई थी वे वर्तमान धर्मसभा के लिये आधिकारिक दस्तावेज़ हैं और इन्हीं पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिये।

फादर लोमबारदी ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने धर्मसभा के आचार्यों को सचेत किया है कि वे "किसी प्रकार के दबाव में पड़कर अपने क्षितिज को संकीर्ण न बनायें और न ही इस भ्रम में पड़ें कि धर्मसभा केवल तलाकशुदा और पुनर्विवाहित दम्पत्तियों की प्रेरिताई सम्बन्धी प्रश्न तक ही सीमित है।"  

ग़ौरतलब है कि जर्मनी की कलीसिया की ओर से कार्डिनल वाल्टर कास्पेर ने तलाकशुदा और पुनर्विवाहित व्यक्तियों को परमप्रसाद ग्रहण करने की अनुमति प्रदान करने की अपील की है। उन्होंने "पश्चाताप के मार्ग" का प्रस्ताव रखा है।

धर्मसभा पर सन्त पापा फ्राँसिस के विचारों को प्रकाशित करते हुए येसु धर्मसमाजी फादर अन्तोनियो स्पादारो ने अपने ट्वीटर अकाऊन्ट पर लिखाः "सन्त पापा चाहते हैं कि धर्मसभा के आचार्य किसी भ्रम अथवा पूर्वाग्रह के अधीन न रहें क्योंकि यह सामाजिक विज्ञान की दृष्टि से कमज़ोर एवं आध्यात्मिक रूप से बेकार सिद्ध होगा।" उन्होंने लिखाः "इसके बजाय सन्त पापा गहन विवेक और सूझ-बूझ का आह्वान करते हैं ताकि यह समझा जा सके कि प्रभु अपनी कलीसिया के लिये क्या चाहते हैं।"       








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