2015-10-05 12:45:00

ख्रीस्तयाग से "परिवार" पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का उदघाटन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 5 अक्टूबर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि एक पुरुष एवं एक स्त्री बीच सम्पन्न विवाह एक पवित्र एवं अविच्छेद्य बन्धन है किन्तु कलीसिया को घायल एवं भटके हुए दम्पत्तियों की भी देखभाल करनी चाहिये। 

रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में, रविवार 04 अक्टूबर को ख्रीस्तयाग अर्पित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने, "आधुनिक जगत में परिवार के समक्ष प्रस्तुत चुनौती" विषय पर विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का उदघाटन किया। इस धर्मसभा में विश्व के 270 धर्माध्यक्ष भाग ले रहे हैं। धर्मसभा 25 अक्टूबर तक जारी रहेगी। 

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने "एकाकीपन, स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम तथा परिवार" विषयों पर प्रकाश डाला।

धर्मविधि चिन्तन के लिये प्रस्तावित उत्पत्ति ग्रन्थ से लिये गये प्रथम पाठ पर सन्त पापा ने चिन्तन किया जिसमें प्रभु ईश्वर आदम की सहायता के लिये नारी की सृष्टि करते हैं। आदम के एकाकीपन पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "आज भी मनुष्य उसी एकाकीपन का शिकार है, विशेष रूप से, वयोवृद्ध लोग, विधवाएँ तथा अपने पति अथवा पत्नी द्वारा छोड़ दिये गये लोग।" 

आप्रवासियों एवं शरणार्थियों के सन्दर्भ में उन्होंने कहा, "इनके अतिरिक्त, वे व्यक्ति भी एकाकीपन के शिकार हैं जो अनसुने रह गये हैं, जिनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया अथवा जिनकी बातों को समझने का प्रयास नहीं किया गया।"

सन्त पापा ने कहा, "आज हम आलीशान मकानों और गगनचुंबी इमारतों की एक वैश्वीकृत दुनिया के विरोधाभास के बीच जी रहे हैं जिसमें, दुर्भाग्यवश, घरों और परिवारों की गरमाहट में कमी आ गई है।"  उन्होंने कहा, "हम ऐसी परिस्थितियों में जी रहे हैं जिनमें स्वच्छन्दताओं की अति है किन्तु बहुत कम स्वतंत्रता है।"

उन्होंने सचेत कराया कि आज जिस दयनीय स्थिति में हम मनुष्य जी रहे हैं उसके लिये हम ख़ुद ज़िम्मेदार हैं क्योंकि, उन्होंने कहा, "आज लोग ठोस एवं फलप्रद प्रेम बन्धन के निर्माण के प्रति कम गम्भीर हो गये हैं। प्रेम जो चिरस्थायी, विश्वसनीय, सजग और फलदायी है उसे अतीत का एक दकियानूसी ख़्याल मान लिया गया है तथा उसकी तौहीन की जा रही है।" 

सन्त पापा ने कहा कि सर्वाधिक विकसित और प्रगतिशील समाजों में ही सबसे कम जन्मदर,  तथा सबसे अधिक गर्भपात, तलाक और आत्महत्या के प्रकरण देखे गये हैं। साथ ही सामाजिक एवं पर्यावरण प्रदूषण से भी यही समाज ग्रस्त हैँ।

सन्त मारकुस रचित सुसमाचार के उस पाठ पर चिन्तन कर जिसमें प्रभु येसु प्रश्न करते हैं कि क्या पत्नी को तलाक देना संहिता के विरुद्ध है? सन्त पापा ने कहा कि येसु अनापेक्षित तरीके से उत्तर देते हैं, "वे सबकुछ को सृष्टि के आरम्भ तक ले जाते हैं और हमें यह सीख देते हैं कि पिता ईश्वर मानव प्रेम पर आशीष देते हैं, कि ईश्वर ही दो व्यक्तियों के दिलों को जोड़ते हैं और जो कुछ ईश्वर जोड़ते हैं उसे भंग करने का किसी को अधिकार नहीं।"   

सभी विश्वासियों का सन्त पापा ने आह्वान किया कि वे सभी प्रकार के "व्यक्तिवाद और विधिवादिता पर विजय पायें जिनमें संकीर्ण आत्मकेन्द्रीयता तथा ईश योजनानूकूल दम्पत्तियों के बीच सम्बन्ध एवं मानवीय यौनाचार के सही अर्थ को स्वीकार करने का भय छिपा रहता है।"

सन्त पापा ने कहा, "ईश्वर के लिये विवाह किशोरों का स्वप्नलोक नहीं है अपितु वह सपना है जिसके बिना मानव प्राणी अकेलेपन में नष्ट हो जायेंगे।"  उन्होंने कहा, "यह विरोधाभासी है कि आज के लोग एक ओर तो ईश्वर की इस योजना को स्वीकार नहीं करना चाहते और दूसरी ओर यथार्थ प्रेम की ओर आकर्षित एवं मोहित रहा करते हैं। हम देखते हैं कि लोग सच्चे प्रेम की बात करते किन्तु क्षणभंगुर प्यार का पीछा करते हैं, वे केवल शारीरिक सुख का पीछा करते और आत्मदान की इच्छा को भूल जाते हैं।"    

परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई है और इसी से सम्बन्धित समस्याओं एंव चुनौतियों पर विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के आचार्य विचार-विमर्श करेंगे। दो वर्ष पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस ने इस धर्मसभा की घोषणा कर परिवार से जुड़े 39 बिन्दुओं पर धर्माध्यक्षों से तैयारी का आग्रह किया था।








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