2015-10-01 15:44:00

ईश्वर को पाने की चाह, कभी न बुझने दें


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 1 अकटूबर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 1 अक्टूबर को यूखरिस्त बलिदान अर्पित कर प्रवचन में कहा कि अपने हृदय में ईश्वर को पाने की चाह को कभी बुझने नहीं देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ″प्रभु का आनन्द हमारा बल है उन्हीं में हमारी अपनी पहचान है।″ येसु की छोटी संत तेरेसा के पर्व दिवस पर संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय में ईश्वर को पाने की लालसा कभी खत्म नहीं होनी चाहिए।″

संत पापा ने निर्वासित इस्राएलियों की मानसिक स्थिति पर प्रकाश डाला जो येरूसालेम लौटने के लिए तरस रहे थे। उन्होंने कहा कि बेबीलोन में निर्वासित लोग हमेशा अपने घर की याद करते थे तथा कई सालों के बाद वापस लौटने का अवसर मिलने पर आनन्द से रो पड़े थे।

प्रभु का आनन्द हमारा बल है। संत पापा ने कहा कि लोगों ने न केवल अपने जन्मस्थान को पुनः प्राप्त किया किन्तु ईश्वर का वचन जो उनकी पहचान का आधार था उसे वे अब फिर से सुनने लगे थे। उन्होंने अपनी पहचान को पुनः प्राप्त कर लिया था जिसे निर्वासन के समय खो दिया था इस प्रकार यही उनके आनन्द का मुख्य कारण था।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर में ही हमारी सच्ची पहचान है। उन्होंने प्रश्न किया कि जब हम इस पहचान को खो देते हैं तो उसे किस प्रकार पुनः प्राप्त कर सकते हैं? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि उसे पुनः प्राप्त करने की चाह अपनी पहचान को प्राप्त करने की चाह हमें वापस लौटा लाती है तथा वह हमें ईश्वर की कृपा के पास ले चलती है।

संत पापा ने कहा कि जब हमारे पास भोजन पर्याप्त होता है हम भूखे नहीं होते उसी प्रकार आराम की हर वस्तु प्राप्त होने पर किसी चीज को पाने की लालसा बुझ जाती है। आध्यात्मिक जीवन में भी यही बात लागू होती है। संत पापा ने कहा कि जिस हृदय में पाने की लालसा नहीं होती वह ईश्वर के आनन्द को नहीं जानता जो हमारा सच्चा बल है।

संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि ईश्वर हमें कृपा प्रदान करे ताकि हमारे हृदय में ईश्वर को पाने की चाह कभी कम न हो।








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