2015-09-29 12:50:00

पत्रकारों से सिनड, विवाह, चीन, शरणार्थी विषयों पर बातचीत


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 29 सितम्बर 2015 (सेदोक): क्यूबा एवं संयुक्त राज्य अमरीका में अपनी प्रेरितिक यात्रा के बाद रोम की वापसी विमान यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस ने पत्रकारों से धर्माध्यक्षीय धर्मसभा, विवाह, चीन, शरणार्थी आदि विषयों पर बातचीत की।

चीन के बारे में पूछे जाने पर सन्त पापा ने कहा कि इस राष्ट्र की यात्रा कर उन्हें बेहद खुशी होगी जो एक महान संस्कृति वाला देश है। उन्होंने कहा, "चीन एक महान देश है जो विश्व को महान संस्कृति और बहुत सी अच्छी बातों से समृद्ध बनाता है।" उन्होंने कहा, जैसा कि कोरिया की वापसी यात्रा के दौरान मैंने कहा था मैं चीन की यात्रा करना चाहूँगा। मैं चीनी लोगों से प्रेम करता हूँ और मेरी आशा है कि चीन के साथ मधुर सम्बन्धों की स्थापना सम्भव हो। हम वार्ताओं में संलग्न हैं और ये विकसित हो रही हैं।" उन्होंने कहा, "मेरे लिये चीन जैसा महान देश हमारा मित्र होना सौभाग्य और हर्ष का विषय होगा।" 

विवाह के शून्यन विषय पर काथलिक कलीसियाई विधान संहिता के अन्तिम दस्तावेज़ की चर्चा कर सन्त पापा फ्राँसिस ने स्पष्ट किया कि यह दस्तावेज़ तलाक को मान्यता नहीं देता बल्कि विवाह शून्यन की प्रक्रिया को सरल बनाता है। उन्होंने बताया कि नवीन दस्तावेज़ दीर्घकाल तक चलनेवाले विवाह शून्यन प्रकरणों को दृष्टिगत रख रचा गया था। सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया कि काथलिक कलीसिया में तलाक की कोई जगह नहीं है तथा विवाह अविच्छेद्य है।

यूरोप में विद्यमान आप्रवास संकट के विषय में सन्त पापा ने कहा, "बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद ये स्थितियाँ संकट में परिणत हो जाती है। यह संकट युद्धों की उपज है जिसके कारण लोग लम्बे समय तक जारी युद्ध से परेशान होकर अपने घरों से पलायन के लिये बाध्य होते हैं।"

अफ्रीका को शोषित महाद्वीप बताकर सन्त पापा ने कहा, "पहले वहाँ से दासों को लाया जाता था और अब आर्थक स्वार्थ के लिये लड़ाइयाँ जारी हैं।" युद्ध के परिणामस्वरूप बने शरणार्थियों की व्यथा पर बोलते हुए सन्त पापा ने कहा, आप मुझसे दीवारों के बारे में पूछ रहे हैं, आप जानते हैं कि दीवारों का क्या हुआ। सभी दीवारें ध्वस्त हो जाती हैं। आज, कल या फिर सौ वर्ष बाद वे सभी ध्वस्त हो जायेंगी।    








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