2015-09-28 15:17:00

संत पापा का फिलादेलफिया, क्युरान फॉमहोड कारावासियों के नाम संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 28 सितम्बर 2015,(सेदोक) संयुक्त राष्ट्र संघ अमरीका की प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम दिन, 27 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने फिलादेलफिया के क्युरान फॉमहोल्ड कारावास में कैदियों से मुलाकात की और उन्हें अपनी संवेदना और सहानुभूति का संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो और बहनो, मुझे स्वीकार करने और समय देने के लिए धन्यवाद। मैं जानता हूँ कि यह मुश्किल समय है न केवल आप के लिए बल्कि परिवार और समाज के लिए भी। वह समाज, परिवार जो अपने बच्चों के दुःख में सहभागी नहीं होता, दुःख को सामान्य रूप में देखता है वह अपने में कैद और दुःख का शिकार हैं।

मैं आप के बीच पुरोहित और उससे भी बढ़कर भाई की तरह आप के दुःख में शामिल होने आता हूँ। मैं आप के साथ प्रार्थना और ईश्वर को हमारे सभी दुःख कष्टों को चढ़ाने आता हूँ जिससे वे हमें अपने पुनरुत्थान की आशा प्रदान करें।

अन्तिम व्यारी के समय येसु अपने चेलों के पैर धोते हैं जिसे वे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। पेत्रुस ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा,“आप मेरे पैर कभी नहीं धो सकते।”  (य़ो. 13:8)

उन दिनों यह एक रीति थी कि कोई जो परिवार में आता उसके पैर धोये जाते थे। उनका स्वागत किया जाता था क्योंकि रास्ते अच्छे नहीं हुआ करते थे। रास्ते में धूल गर्द और कंकड़-पत्थर चप्पलों में धस जाया करते थे। चलते-चलते लोगों के पैर धूल धूसरित और ज़ख्मी हो जाया करते थे और इसीलिए येसु अपने चेलों के पैर धोते हैं।

जीवन एक यात्रा हैं जहाँ हम विभिन्न रास्तों में चलते है जो हमारे लिये निशानी छोड़ जाते हैं।

हम विश्वास में जानते हैं कि येसु हमें खोजते हैं। वे हमारे घावों में मरहम पट्टी लगाना और अच्छा करना चाहते हैं क्योंकि जिन्दगी की राह चलते-चलते हम चोटिल और धूल गर्दा से भर जाते हैं। वे हम से नहीं पूछते कि हम कहाँ थे, क्या कर रहे थे, वरन् वे हमें कहते हैं, “यदि मैं तुम्हारा पैर न धोऊँ तो तुम्हारा मेरे साथ कोई संबंध नहीं रह जायेगा।”  यदि मैं आप के पैर न धोऊँ तो मैं आपको वह जीवन नहीं दे सकता जिसे पिता देने की आशा करते हैं, जिसके लिये तुम्हारी सृष्टि हुई है। येसु हमसे मिलने आते हैं जिससे वे हमें ईश्वर के बेटे-बेटियों के रूप में आत्म-सम्मान दे सकें। वे हमारे पास आते जिससे हम जीवन में आशा और विश्वास को पुनः प्राप्त कर सकें। वे हमें जीवन की राह में पुनः ले जाना, हमें अनुभव करना चाहते हैं कि हम सभी एक विशेष काम के लिये बुलाये गये हैं।

जीवन का अर्थ है पैरों को गन्दा करना। हम जीवन की राह में चलते हैं जो धूल गर्दा से भरा है। अतः हमें सफाई, धुलाई की जरूरत है। हम सब को येसु खोजते हैं क्योंकि वे जीवन यात्रा को पुनः शुरू करने में हमारी मदद करना चाहते हैं। येसु हमारी खोज में निकलते और अपना हाथ हमारी ओर बढ़ते हैं।

कैदखाने की व्यवस्था को देखना दुखदायी हैं जो हमारे घावों को मरहम पट्टी और ठीक करने की कोई व्यवस्था नहीं करते। यह दुखदायी होता हैं जब हम देखते हैं कि दूसरे जो सोचते हैं कि केवल उनको सफाई और धुलाई की जरूरत है जबकि वे अपने घावों और दर्द की ओर नहीं देखते। येसु  हमारे पैरों को धोते हैं जिससे हम उनकी मेज़ तक आ सकें। वे नहीं चाहते की कोई उनकी मेज से दूर रहे। यह सभी के लिये बिछाया गया हैं और सब इसके भागीदार हैं।

इस समय आप के जीवन का एक ही उद्देश्य है कि हम आपकी ओर अपना हाथ बढ़ाये जिससे आप अच्छे जीवन में, समाज में पुनः लौट आयें। हम सब उस प्रयास के अंग हैं। हम सब को आप की सेवा और पुनर्वास का निमंत्रण दिया जाता है। यह पुनर्वास हमारी तमन्ना में निहित है जो समूचे समाज को अपने में बाँध कर रखता है। येसु हमें बुलाते और दुनिया को अपनी नज़रों से देखने का निमंत्रण देते हैं। वे हमें आप के लिये, आप के परिवार, सुधारक अधिकारियों और पूरे समाज के लिए नये अवसर की खोज करने को कहते हैं।

हमारी भी कुछ त्रुटियाँ हैं जिसे हमें साफ और शुद्ध करने की जरूरत है। इस सच्चाई का ज्ञान हमें एकता में पिरो कर रखे जिसे हम दूसरों की सेवा और भलाई कर सकें। 

हम येसु की ओर देखें जो मार्ग, सत्य और जीवन हैं जो हमारे पैरों को धोते हैं। वे हमें बचाने आते हैं इस झूठ से कि कोई नहीं बदल सकता। वे हमें जीवन की राह में चलने हेतु मदद करते हैं। उनके प्यार की शक्ति और पुनरुत्थान हमेशा हमें नये जीवन की ओर ले चले।








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