2015-09-25 16:06:00

ईश्वर हमारे पड़ोसियों द्वारा हमें दस्तक देता है


वॉशिंगटन, बृहस्पतिवार, 25 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): अमरीका की प्रेरितिक यात्रा के दूसरे दिन 24 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने वॉशिंगटन स्थित सेंट पैट्रिक पल्ली गिरजाघर में बेघर लोगों से मुलाकात की।

संत पापा ने बेघर लोगों को अपने जीवन के अत्यन्त महत्वपूर्ण व्यक्ति मानते हुए उन्हें संत जोसेफ के समान विश्वास में दृढ़ रहने की सलाह दी जिन्हें घर के अभाव के कारण कठिन परिस्थिति झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा, ″यहाँ मैं उस व्यक्ति की याद करता हूँ जिसे मैं प्यार करता हूँ तथा जिसका मेरे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है जो मेरा सहायक एवं मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है।″ संत पापा ने कहा कि वे ही लोग हैं जिनके पास मैं उन सभी अवसरों में जाता हूँ जब मैं व्यस्त होता हूँ। आप मुझे संत जोसेफ की याद दिलाते हैं।″

संत पापा ने संत जोसेफ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके जीवन में कई समस्याएँ थीं। उनमें से एक है येसु के लिए जन्म स्थान की समस्या। बाईबिल हमें बतलाता है कि जब वे बेतलेहेम में थे मरियम ने अपने एकलौते पुत्र को जन्म दिया तथा कपड़े में लपेट कर चरनी में लिटा दिया क्योंकि सराय में जगह नहीं थी। (लूक.2:6-7)

संत पापा ने येसु के जन्म की उस परिस्थिति पर चिंतन करते हुए कहा कि उनके पास कोई कमरा नहीं था। बिना शरण स्थान के जोसेफ, उनकी पत्नी तथा एक बालक की मैं कल्पना करता हूँ। ईश्वर का बेटा एक बेघर व्यक्ति की तरह इस संसार में आया, अतः उन्हें मालूम है कि अपने सिर के ऊपर छत न होते हुए भी जीवन की शुरूआत करना क्या होता है। हम जोसेफ की मानसिक स्थिति पर ग़ौर करें कि उस समय उसपर क्या बीती होगी। उनके मन में जरूर यह बात आयी होगी कि यह कैसे हो सकता है कि ईश्वर के पुत्र के लिए कोई घर नहीं?

संत पापा ने लोगों से कहा, ″हम क्यों बेघर हैं, हमारे पास घर क्यों नहीं है। ऐसे कई सवाल प्रतिदिन आपके दिमाग में उठते होंगे।″

संत जोसेफ का प्रश्न आज भी है इस दुखद परिस्थिति ने हमेशा उन लोगों का पीछा किया है जो इतिहास में बेघर जीवन बिताया है। यद्यपि जोसेफ के मन में यह प्रश्न था किन्तु वह विश्वास का व्यक्ति था। विश्वास ने उसे प्रकाश की शक्ति प्रदान की उस समय भी जब सब कुछ अंधकार प्रतीत हो रहा था। जीवन की कठिनाईयों के बीच विश्वास ने उसे बल प्रदान किया। विश्वास के कारण जोसेफ उस समय भी आगे बढ़ सका जब विपरीत परिस्थिति, उन्हें पीछे ढकेलती सी प्रतीत हो रही थी।

संत पापा ने कहा कि अन्याय एवं दर्द भरी स्थिति में विश्वास एक दीपक के समान है जो अंधकार को दूर कर देता है। विश्वास हमारे जीवन में ईश्वर की मौन उपस्थित को प्रत्येक क्षण, प्रत्येक व्यक्ति और परिस्थिति में प्रकट कर देता है।

आवास के अभाव में हम भले ही सामाजिक तथा नैतिक औचित्य प्राप्त नहीं कर सकते और न ही न्याय पाते हैं किन्तु हम जानते हैं कि ईश्वर हमारे साथ दुःख उठा रहे हैं तथा वे हमें नहीं छोड़ते हैं। येसु प्रत्येक व्यक्ति के साथ सहानुभूति रखते हैं। वे चाहते हैं कि सभी उनके साहचर्य, सहायता एवं प्यार का एहसास करें। वे अपने को उन सभी के साथ जोड़ते हैं जो कष्ट उठा रहे हैं, रो रहे हैं तथा शोषण झेल रहे हैं। येसु स्पष्ट शब्दों में कहते हैं, ″जब मैं भूखा था तूने मुझे खिलाया, जब मैं प्यासा था तूने मुझे पिलाया। जब मैं परदेशी था तुमने मेरा स्वागत किया। (मती.25:35) विश्वास हमें बतलाता है कि ईश्वर हमारे बगल में हैं वे हमारे बीच हैं तथा उनकी उपस्थिति, उदार बनने हेतु प्रेरित करता है। उदारता का जन्म ईश्वर की बुलाहट से होता है जो हमारे हृदय द्वार पर दस्तक देता तथा हमें प्यार करने, दया दिखाने एवं एक-दूसरे की सेवा करने के लिए आमंत्रित करता है। येसु हमारे जीवन के दरवाजे पर दस्तक देते हैं। वे हमारे भाई बहनों तथा हमारे पड़ोसियों के चेहरों के द्वारा हमें दस्तक देते हैं।                      

संत पापा ने प्रार्थना को अपने भाई बहनों की मदद हेतु एक प्रभावशाली रास्ता बतलाते हुए कहा, ″प्रार्थना हमें एक साथ मिलाता तथा हमें भाई-बहन बनाता है। यह हमारा हृदय द्वार खोल देता है। प्रार्थना में ही हम ‘पिता’ पुकारना सीखते हैं तथा एक-दूसरे को भाई-बहन स्वीकार करते हैं। प्रार्थना में कोई धनी अथवा ग़रीब नहीं होता। कोई श्रेष्ठ और न ही कोई निम्न होता है सिर्फ भाईचारे की भावना होती है।

प्रार्थना में बल प्राप्त कर हमारा हृदय अन्याय के प्रति शिथिल तथा असंवेदनशील नहीं रह सकता क्योंकि ईश्वर हमें हृदय खोल कर उदार बनने हेतु प्रेरित करते हैं।

संत पापा ने प्रार्थना हेतु प्रोत्साहन देते हुए कहा कि वे उनके साथ प्रार्थना में एक होना चाहते हैं तथा लोगों के समर्थन एवं स्नेह की कामना की।








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