2015-09-24 14:13:00

अमरीकी काँग्रेस में सन्त पापा ने मानव सम्बन्धी उत्कंठाओं पर डाला प्रकाश


वाशिंगटन, गुरुवार, 24 सितम्बर 2015 (सेदोक): वाशिंगटन में अमरीका के काँग्रेस को सम्बोधित शब्दों में, गुरुवार्, 24 सितम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने, मानवीय उत्कंठाओं के प्रति विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली देश के विधिनिर्माताओं का ध्यान आकर्षित कराया। इनमें प्रवसन से लेकर  जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की सुरक्षा, मानव जीवन का सम्मान, मानव केन्द्रित विकास, वयोवृद्धों एवं युवाओं के बीच सम्बन्ध तथा जनकल्याण आदि सभी मुद्दे शामिल रहे।  

ग़ौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमरीका की काँग्रेस को सम्बोधित करनेवाले सन्त पापा फ्राँसिस काथलिक कलीसिया के प्रथम परमाध्यक्ष हैं। इससे पूर्व सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने पोलैण्ड एवं इटली के सांसदों को तथा सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने जर्मनी एवं इटली के सांसदों को सम्बोधित किया था।

गुरुवार को, अमरीकी काँग्रेस के समक्ष किये प्रभाषण में सन्त पापा फ्राँसिस ने काँग्रेस सदस्यों से कहा कि हर किसी राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक की वैयक्तिक एवं सामाजिक ज़िम्मेदारी और मिशन होता है, उसी प्रकार, "अमरीकी काँग्रेस के सदस्य होने के नाते आपका मिशन अपनी वैधानिक गतिविधियों द्वारा इस राष्ट्र को विकास के लिये सक्षम बनाना है। आप अमरीका की जनता का मुखमण्डल हैं, आप उनके प्रतिनिधि हैं और इसलिये आपका आह्वान किया जाता है कि आप जनकल्याण हेतु अथक ढंग से अपने सह-नागरिकों की मान मर्यादा और उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करें।"

मानव कल्याण को प्रत्येक राजनीति का लक्ष्य बताते हुए सन्त पापा ने कहा कि हर राजनैतिक गतिविधि को मानव कल्याण के प्रति अभिमुख रहना चाहिये उन्होंने कहा, "कोई भी राजनैतिक समाज तब तक टिका रहता है जब तक वह समाज के प्रत्येक व्यक्ति और, विशेष रूप से, अपने कमज़ोर सदस्यों के हित को ध्यान में रखकर आगे चलता है।"

नबी मूसा के सदृश विधायकों की तुलना कर सन्त पापा ने कहा कि मूसा की तरह ही विधायकों का कार्य न्याय पर आधारित नियमों की प्रस्तावना कर लोगों में एकता का भाव उत्पन्न करना है। उन्होंने कहा, "नबी मूसा के सदृश आप भी मानव व्यक्तियों की पारलौकिक प्रतिष्ठा का ध्यान रखने के लिये बुलाये गये हैं। आपका मिशन विधि संहिता के माध्यम से ईश प्रतिरूप में सृजित मानव प्राणी की प्रतिष्ठा के सम्मान को प्रोत्साहन देना है तथा मानव जीवन की रक्षा के प्रति कृत संकल्प रहना है।

जनसाधारण के प्रति काँग्रेस के सदस्यों का ध्यान आकर्षित कर सन्त पापा ने कहा, "लाखों स्त्री –पुरुष ईमानदारी के साथ अपनी दैनिक रोटी कमाने के लिये कठोर परिश्रम करते हैं ताकि उन्हें एवं उनके परिवार को बेहतर जीवन की सुविधाएं मिल सकें।"

उन्होंने स्मरण दिलाया कि जी तोड़ श्रम करनेवाले "ये लाखों लोग केवल शुल्क अथवा राजस्व भरनेवाले नहीं है अपितु अपने कार्यों द्वारा वे सम्पूर्ण समाज को संपोषित करते हैं और अपने कार्यों द्वारा लोगों के बीच ज़रूरतमन्दों के प्रति एकात्मता को प्रोत्साहन देते हैं।"

वयोवृद्धों के प्रति सम्मान का प्रदर्शन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि वे प्रज्ञा एवं अनुभव के भण्डार हैं जो अपने निःस्वार्थ कार्यों द्वारा समाज को अनुपम योगदान देते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी वे क्रियाशील रहते तथा इस प्रकार वर्तमान समाज को समृद्ध बनाते हैं।

अमरीका को विविध संस्कृतियों एवं परम्पराओं का मिलन स्थल एवं आप्रवासियों का राष्ट्र निरूपित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने काँग्रेस के सदस्यों का आह्वान किया कि वे राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली को ऐसा बनाये जिसमें बच्चों को आरम्भ ही से आतिथेय तथा अपने से भिन्न के सम्मान का पाठ पढ़ाया जाये। उन्होंने कहा कि शिक्षा द्वारा बच्चों में शुरु से मानवीय एवं नैतिक मूल्य पोषित किये जायें ताकि समाज की विविधता में एकता की खोज की जा सके।

अमरीका के महापुरुषों का स्मरण कर सन्त पापा ने अब्राहम लिंकन की याद की जिन्होंने स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया था। मार्टिन लूथर किंग के मिशन की ओर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि समाज में बहुलता का सम्मान किया जाये तथा किसी का भी बहिष्कार न किया जाये। उन्होंने कहा डोरथी डे ने सामाजिक न्याय और लोगों के अधिकारों के लिये आवाज़ उठाई और थॉमस मेर्टन ने वार्ताओं एवं ईश्वर के प्रति उदार रहने का सन्देश दिया। इन महापुरुषों के पदचिन्हों पर चल अमरीकी समाज को और अधिक आतिथ्यपूर्ण एवं एकात्म बनाया जा सकता है।   








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