2015-09-23 17:04:00

संतियागायो में संत पापा का परिवार पर प्रवचन


वाटिकन सिटी, मंगलवार 23 सितम्बर 2015, (सेदोक) क्यूबा की प्रेरितिक यात्रा में गये संत पापा ने संतियागो, माता मरियम के स्वर्गोद्गहण महागिरजा में परिवार विषय पर संबोधित करते हुये लोगों को कहा, मेरे अति प्रिय भाइयो और बहनो,

हम यहाँ परिवार के रूप में जमा हैं, और जब हम एक परिवार की तरह जमा होते हैं तो हमें अच्छा लगता है। क्यूबा के परिवारो हमारे मिलन के अंतिम पड़ाव में मैं आप सबों के प्यार और मधुर एहसास के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ।

मैं शुक्रगुजार हूँ संतियागो के महाधर्माध्यक्ष दीयोनीसियो ग्रासिया का जिन्होंने यहाँ उपस्थित लोगों ने नाम मधुर वचनों से मेरा स्वागत किया और उन दम्पति का जिन्होंने बिना झिझक अपनी आशा और पारिवारिक कठिनाई, जो परिवार को “घरेलू कलीसिया” बनाने की कोशिश में उन्हें होता है, हमारे साथ साझा किया।

संत योहन का सुसमाचार हमें बतलाता है कि येसु अपना पहला चमत्कार काना के विवाह भोज में, एक पारिवारिक मिलन में किये। वे वहाँ अपनी माता मरियम और कुछ चेलों के साथ पारिवारिक सम्मेलन में भाग ले रहे थे।

विवाह हम बहुतों के जीवन में एक विशेष समय होता है। पुरानी पीढ़ियों, माता-पिता और दादा-दादियों के लिए यह जीवन में किये गये कामों का फल जमा करने का अवसर होता है। हमारा हृदय खुशी से भर जाता है जब हम अपने बच्चों को बढ़ते और घर बसाते देखते हैं। एक समय हमें ऐसा लगता है कि हमने जो मेहनत की वह व्यर्थ नहीं गया। अपने बच्चों की परवरिश, उनकी सहायता और प्रोत्साहन जिससे वे अपना जीवन संवार सकें और परिवार बसा सकें, यह माता-पिता की सबसे बड़ी चुनौती है। विवाह हमें नव दम्पति की खुशी को दिखाता है।

येसु अपना सामान्य जीवन काना के विवाह भोज से शुरू करते हैं। वे इतिहास के उस क्षण में प्रवेश करते हैं जहाँ बीज बोने के बाद कटनी है, प्रयास और समर्पण है, कठिन परिश्रम है जिससे धरती फल उत्पन्न कर सके। येसु ने अपने जीवन की शुरूआत एक परिवार, एक घर से की, वे हमारे घरों में प्रवेश करते और हमारे परिवार में हमारे साथ रहना जारी रखते हैं।

यह दिलचस्प बात है हम येसु को भोज और खाने के स्थानों में देखते हैं। वे विभिन्न लोगों के साथ खाते-पीते हैं, विभिन्न परिवारों का दौरा करते, यह एक विशेष प्रकार का संबंध है जिसके द्वारा वे ईश्वर की योजना को हमारे सामने व्यक्त करते हैं। वे अपने मित्रों मार्था और मरियम के घर जाते हैं लेकिन वे नुकताचीन नहीं हैं, वे किसी से पक्षपात नहीं करते वरन् नाकेदारों और पापियों के साथ भी उठते-बैठते हैं। वे केवल खुद ऐसा नहीं करते बल्कि जब वे अपने शिष्यों को सुसमाचार प्रचार हेतु भेजते हैं तो उन्हें भी यही निर्देश देते हैं। “उसी घर में रहो और जो वे खाने को दें खा लो।” (लूका. 10.7) विवाह और लोगों के घरों में भोज जीवन के विशेष अवसर हैं क्योंकि उन अवसरों में येसु भाग लेते हैं।

मेरे पुराने धर्मप्रान्त में कितने ही परिवारों ने मुझे बतलाया कि यह केवल रात्रि का भोज है जब परिवार के सभी लोग, अपने दिनचर्या कामों को निपटा कर एक साथ जमा होते हैं। यह पारिवारिक जीवन के लिये एक विशेष समय होता है। इस समय वे अपने दिन भर के किये गये कामों की चर्चा एक दूसरे से करते हैं। ये वैसे क्षण भी हैं जब कोई थक कर घर आता है और किसी बातों को लेकर थोड़ा गरमा-गर्मी होती है। येसु इन सभी अवसरों में हमें ईश्वर के प्रेम को दिखलाते हैं। इन अवसरों में येसु हमारे हृदय में प्रवेश करते और अपने कामों में जीवन के रहस्य की खोज करने में मदद करते हैं। यह परिवार है जहाँ हम भ्रातृ प्रेम, एकजुटता की बातें सीखते हैं और अहंकारी नहीं बनते। हम परिवार में देना और पाना, ईश्वर से मिले आशीष की प्रशंसा करना और जीवन में विकास हेतु एक दूसरे की आवश्यकता की बातों को सीखते हैं। यह परिवार है जहाँ हम क्षमा का अनुभव करते, हमें निरन्तर क्षमा करने को कहा जाता जो हमारा विकास करता है। परिवार में हम मुखौटा पहने नहीं रहते। हम जो हैं वही रहते और किसी न किसी तरह हम एक दूसरे की मदद करते हैं।

ख्रीस्तीय समुदाय ऐसे परिवारों को घरेलू कलीसिया की संज्ञा देती हैं। परिवार में प्रेमपूर्ण माहौल हमें विश्वास से भरता और एक समुदाय का निमार्ण करता है। ऐसे अवसरों में हमें अपने जीवन और कामों में ईश्वरीय प्रेम का एहसास होता है।         

वर्तमान समय में परिवारों का दायरा कम होता जा रहा है, परिवार धीरे-धीरे टूटते और बिखरते जा रहें हैं। हम बहुत कम समय परिवार में एक साथ रहते और मिलते हैं परिणाम स्वरूप हम नहीं जानते कि हमें कैसे धैर्यवान होना है, कैसे अनुमति लेनी है, कैसे क्षमा देना है और कैसे धन्यवाद कहना है क्योंकि हमारे परिवार खाली होते जा रहे हैं। आपसी संबंध का खाली होना, सहभागिता और परस्पर मिलन का खाली होना।

यह बहुत समय पहले की बात नहीं है, एक जो मेरे साथ काम करते हैं, उन्होंने मुझे बतलाया कि उसकी पत्नी और बच्चे छुट्टियों के लिये बाहर गये हुये थे। वह घर में अकेला रह गया था। पहला दिन तो शांतिमय रहा घर की चीजों व्यवस्थित रहीं। तीसरे दिन मैंने पूछा कि चीज़ें कैसी चल रही हैं, तो उन्होंने उत्तर दिया, “मेरी चाह है कि वे शीघ्र ही लौट आयें।” उन्हें लगा कि वह अपनी पत्नी और बच्चों के बिना जीवित नहीं रह सकेगा।

परिवार के बिना हमारे घर सुने रह जाते हैं, जीवन खाली लगता है। परिवार हमारे जीवन को नया बनता और भविष्य में अच्छी चीजें करने को प्रेरित करता है। हमारा परिवार हमें दो चीजों से बचाता है बिखराव और एकरूपता। दोनों अवसरों में हम अकेलेपन का अनुभव करते हैं। समाज जो टूटा, बिखरा, अलग-थलग है वह पारिवारिक टूटापन का परिणाम है जो हमें समाज में व्यक्ति बनने की शिक्षा देती है। 

परिवार मानवता की पाठशाला है जो हमारे हृदय को दूसरों के लिए खोलती, दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति सजग रहने की बात सिखाती हैं। वर्तमान समय के पारिवारिक तकलीफों और कठिनाइयों के बीच, आप कृपया एक बात कभी न भूलें, परिवार हमारे लिये मुसीबत नहीं है वरन हमारे लिये अवसर हैं। एक अवसर जिसकी हमें देखरेख करनी है, बचाना और सहयोग करना है।

हम भविष्य की बात करते हैं, किस प्रकार का भविष्य हम अपने बच्चों के लिये छोड़कर जाना चाहते हैं, किस प्रकार का समाज हम उन्हें देना चाहते हैं? मैं सोचता हूँ इसका एक संभावित जवाब यह कि हम अपने बच्चों के परिवार की दुनिया छोड़कर जाये। इसमें कोई संदेह नहीं कि श्रेष्ठ परिवार दुनिया में कहीं नहीं है, हमारे बीच श्रेष्ठ पति-पत्नी कोई नहीं हैं, श्रेष्ठ  बच्चे, और माता पिता नहीं हैं लेकिन यह हमारे भविष्य के जवाब को अवरुद्ध नहीं करता। ईश्वर हमें प्रेम करने के लिये प्रेरित करते हैं और प्रेम व्यक्ति से संबंधित है। अतः आइये हम अपने परिवारों की चिंता करें जो भविष्य की सच्ची पाठशाला है, जो स्वतंत्रता का स्थान है, जो मानवता की धुरी है ।

   युख्ररिस्त येसु के परिवार का भोज है जहाँ संसार उनके वचनों को सुनने और उनके शरीर को ग्रहण करने हेतु जमा होता है। येसु हमारे परिवार की जीवन रोटी हैं। वे हमारे साथ रहना चाहते हैं वे हमें अपने प्यार से पोषित करना चाहते हैं जिससे हम विश्वास में बने रहें और आशा के साथ चलते हुए सभी समय स्वर्गीय रोटी का अनुभव कर सकें। 








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