2015-09-22 16:45:00

हॉलगुईन के मिस्सा में संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 22 सितम्बर 2015, (सेदोक): क्यूबा की प्रेरितिक यात्रा में गये संत पापा ने हॉलगुईन के मिस्सा, अपने प्रवचन में कहा,  हम प्रेरित और सुसमाचार लेखक संत मत्ती का त्योहार मना रहे है। हम हद्य परिवर्त्तन की एक कहानी की याद कर रहे हैं। संत मत्ती हमें सुसमाचार में बतलाते हैं कि वे कैसे थे और इस मिलन ने कैसे उनका जीवन बदल दिया। वह हमें नजरों के मेल की बात बतलाते हैं जो हमारे जीवन के इतिहास को बदले की क्षमता रखती है। 

हमेशा की तरह मत्ती अपने दफ्तर में चुंगी जमा करने हेतु बैठे हैं और येसु उस रास्ते से गुजरते और उनसे कहते हैं,“ मेरे पीछे चले आओ।” मत्ती उठते और येसु के पीछे चल पड़ते हैं।  

येसु उसकी ओर देखते हैं। कितना गहरा था प्यार इस दृष्टि में, जो मत्ती को मोहित कर लेता है। उन नज़रों में कितनी शक्ति थी जो उसे सब कुछ छोड़ने को तैयार कर देती है। हम जानते हैं कि मत्ती नाकेदार थे, जो यहुदियों से चुंगी जमा कर रोमियों को देते थे। नाकेदारों को हेय की दृष्टि से देखा जाता था और वे पापियों कि गिन्ती में आते थे। वे लोगों से अलग रहते और घृणित थे। ऐसे व्यक्ति के साथ न तो कोई उठता-बैठता, खाता-पीता और प्रार्थना ही करता था। जनता के लिए ये लोग देशद्रोही थे, क्योंकि वे अपने ही लोगों से पैसा उगाही करते और उसे दूसरों को देते थे। नाकेदारों का ताल्लुक़ात ऐसे सामाजिक वर्ग से था।

येसु, दूसरी तरफ हम देखते, रुकते हैं, एकदम तुरन्त वहाँ से नहीं गुजर जाते। वे मत्ती की ओर शांति और धैर्य से देखते हैं। वे उनको दया की दृष्टि से निहारते हैं, उनकी ओर ऐसे देखते है जो पहले किसी ने उसकी ओर नहीं देखा था। ये प्यार भरी निगाह मत्ती के बंद हृदय के तालों को खोल देती हैं, उसे स्वतंत्र बना देती हैं, उसे चंगाई प्रदान करती, उनमें आशा और नये जीवन का संचार करती जैसा कि जकेयुस, बारथोलोमी, मरिया मगदलेना, पीटर और हममें से प्रत्येक जन के साथ होता है। यदापि हम अपनी नज़रों से येसु को देखने का साहस नहीं करते, वे हमारी ओर पहले नजरें फेरते हैं। यह हमारी कहानी है और इसी प्रकार बहुत सारे लोगों की।

हममें से प्रत्येक जन कह सकता है, “ मैं, भी एक पापी हूँ और येसु ने मेरी ओर दया दृष्टि की है।”

मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप अपने परिवार में या गिरजा घर में कुछ क्षण मौन रहकर उन क्षणों का स्मरण करें जब आप ने प्रभु के प्रेम भरी दया दृष्टि का अनुभव अपने जीवन में किया है।

येसु का प्यार हमारे आगे चलता है, उसकी निगाहें हमारी आवश्यताओं का जायजा लेती हैं। उनकी नजरें हमारे लिए दूर तक जाती हैं हमारे पाप, अयोग्यता और हमारी असफलता के बावजूद। वे समाज में हमारे पद को नहीं देखते वरन् वे हमें अपने बेटे बेटियों के समान देखते हैं। वे मुख्यतः उन्हें खोजने आये जो अपने को ईश्वर के और दूसरों से अयोग्य समझते हैं। आये हम येसु को अपनी ओर नजरें फेरने दें। उस नजर को हमारे प्यार, आशा और खुशी का अंग बनने दें।

अपनी दया की नजरें फेरने के बाद येसु ने मत्ती से कहा, “मेरे पीछे चले आओ।”  मत्ती उठ कर उनके पीछे हो लिये। येसु की नज़रों के बाद उनके शब्दों में प्यार की झलक है और प्यार के बाद प्रेरितिक कार्य करने की जिम्मेदारी। मत्ती अब पहले वाले मत्ती नहीं रह गये है उनमें पूर्णरूपेण परिवर्तन आ गया है। येसु से मिलन और उनकी प्यार भरी निगाहों ने उन्हें बदल डाला है। वे अपना सब कुछ छोड़ देते हैं। पहले वे चुंगी घर में बैठकर चुंगी जमा करने का इन्जार करते थे, दूसरों से लेते थे, लेकिन येसु से मिल कर अब उसे उठना है और अपने आप को दूसरों को देना है। येसु ने मत्ती की ओर अपनी दृष्टि डाली और वे सेवा की भावना से भर गये। येसु की प्यार भरी नज़रें हमें प्रेरितिक कार्य, सेवा और अपने को निःस्वार्थ रूप से दूसरों को देने हेतु प्रेरित करता है। येसु की नजरें हमें चंगाई प्रदान करती हैं हमें अपने दबेपन से ऊपर उठतीं और सदैव आगे बढ़ने में मदद करती हैं।

 

येसु हमसे आगे चलते हैं हमारे लिये रास्ता तैयार करते और हमें निमंत्रण देते हैं। येसु हमें धीरे से बुलाते और हमें अपनी कमज़ोरियों और दुर्बलताओं पर विजय पाने में सहायता करते हैं। वे हमें प्रतिदिन चुनौती देते हैं यह सवाल करते हुये,“ क्या तुम विश्वास करते हो?” क्या तुम विश्वास करते हो कि यह सम्भव हो सकता हैं कि एक नाकेदार दूसरों का सेवक बनें? क्या आप विश्वास करते है कि एक विश्वासघाती एक मित्र बन सकता है? क्या आप विश्वास करते हैं कि एक बढ़ई का बेटा ईश्वर का पुत्र है? उनकी नजरें हमारे नज़रों को बदल डालती हैं उनका हृदय हमारे हृदय को परिवर्तित कर देता है। ईश्वर पिता हैं जो अपने बेटे-बेटियों की मुक्ति की खोज करते हैं। 

            आइये प्रार्थना, युखरिस्तीय बलिदान, पापस्वीकार, हमारे भाई-बहनों और विशेष कर जो परित्यक्त अनुभव करते हैं उनमें हम येसु को देखें। हम उन्हें देखना सीख़ें जैसे येसु हमें देखते हैं। आइये इस कोमलता और दया को हमें बीमारों, कैदियों, हमारे परिवार के बड़े जनों और मुश्किलों में बाँटें। बाराम्बार हम येसु से सीखने के लिए बुलाये जाते हैं जो हमारी वास्तविकता को देखते हैं कि हम पिता के प्रतिरूप में बनाये गये हैं।

मैं उन कोशिशों और त्याग से परिचित हूँ जो की क्यूबा की कलीसिया द्वारा किया जा रहा है जिससे ईश्वर का वचन आप लोगों और सुदूर प्रान्तों तक पहुँच सके। यहाँ मैं उन प्रेरितिक निवासों का जिक्र करना चहूँगा जो कलीसिया और पुरोहितों की कमी के बावजूद लोगों के लिए प्रार्थना, ईशवचन का पान, धर्मशिक्षा और समुदायिक जीवन जीने हेतु स्थानों की व्यवस्था करते हैं। येसु की उपस्थिति हमारे पड़ोस में छोटे रूपों  में होती है अतः आप संत पौलुस के इन वचनों की ओर ध्यान दें, “मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूँ कि आप इस बुलावे के अनुसार आचरण करें, आप पूर्णरूप से विनम्र सौम्य और सहनशील बनें, प्रेम में एक दूसरे को सहन करें और शांति के सूत्र में बँधकर उस एकता को बनाये रखने का प्रयत्न करतें रहें, जिसे पवित्र आत्मा प्रदान करता है।”

( ऐफि. 4:1-3)।

अब मैं अपनी आँखें माता मरियम कि ओर करता हूँ, दया की नारी एल कोबरे जिसे क्यूबा ने आलिंगन किया और अपने द्वारा हमेशा के लिये खोल दिया। मैं माता मरियम से प्रार्थना करता हूँ कि वे इस महान देश और इसके बच्चों पर अपनी ममतामय दृष्टि करें। उनकी दया की नजरें हमेशा आप के घरों और परिवार में और उनके ऊपर रहे जो यह अनुभव करते हैं कि उनके रहने को स्थान नहीं है। प्यार में वे हम सब की रक्षा करें जैसा एक बार उन्होंने येसु की चिन्ता की थी।








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