2015-09-18 15:12:00

विश्व की वस्तुएँ ही ईश्वर की भाषा है


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 18 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): विश्व एक वैज्ञानिक समस्या के समाधान से बढ़कर है। यह एक आनन्दमय रहस्य है जिसमें हम आनन्द तथा वैभव पर चिंतन करते हैं। यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पापा भवन में, वाटिकन के तत्वधान में आयोजित संगोष्ठी के 38 प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कही।

शुक्रवार को संगोष्ठी में भाग ले रहे लोगों से संत पापा ने कहा कि विश्व की सारी वस्तुएँ ही ईश्वर की भाषा है तथा उनके असीम प्रेम को प्रकट करती हैं। लोयोला के संत इग्नासियुस ने इस भाषा को खूब अच्छी तरह समझा था। जिसके कारण उन्होंने स्वयं कहा था कि आकाश एवं तारों को निहारना ही उनके लिए सबसे सुखद बात है क्योंकि यह उनके मन में प्रभु की सेवा करने की तीव्र अभिलाषा उत्पन्न करता है।

संत पापा ने ससम्मान सेवा निवृत संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें के कथन की याद की जिसे उन्होंने जेस्विट सोसाइटी की आम सभा को सम्बोधित कर कहा था कि कलीसिया को उन धर्मसामाजियों की अति आवश्यकता है जो अपना जीवन विश्वास तथा मानव ज्ञान एवं विश्वास तथा आधुनिक विज्ञान की सीमा पर स्थापित कर सके।

संत पापा ने संगोष्ठी के प्रतिभागियों से कहा कि जब वे विज्ञान एवं धर्म पर विचार-विमर्श कर रहे हैं तो संत पापा जॉन पौल द्वितीय के कथन का भी स्मरण करना हितकर होगा जिसमें उन्होंने कहा था, ″सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वार्ता जारी रहे तथा अधिक गहरी एवं व्यापक होती जाए।

संत पापा ने अंतरधार्मिक वार्ता में वैज्ञानिक खोज का महत्व बतलाते हुए कहा कि आज इसकी आवश्यकता पहले से कहीं अधिक हो गयी है क्योंकि यह विश्वासियों एवं अविश्वासियों सभी लोगों को एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य देती है तथा धार्मिक प्रतिष्ठान को बेहतर समझदारी प्रदान करने में मदद करती है।

संत पापा ने कलीसिया में विज्ञान की सार्थकता बतलाते हुए संत पापा लेओ 13 वें की बात दुहराई, उन्होंने कहा, ″यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि आप वैज्ञानिक ज्ञान के उपहार को लोगों को बाँटते हैं। आपने जिसे मुफ्त में पाया है उसे मुफ्त में दान करें।

संत पापा ने संगोष्ठी के सदस्यों को प्रोत्साहन दिया कि वे मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ायें। 








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