2015-09-17 15:23:00

आज युवा धर्मसमाजियों की क्या प्रेरिताई है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित पौल षष्ठम सभागार में संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 17 सितम्बर को, विश्व युवा धर्मसमाजी सम्मेलन में भाग ले रहे 5,000 प्रतिभागियों से मुलाकात कर उनके कई सवालों का उत्तर दिया।

उन्होंने कहा, ″कलीसिया में आज युवा धर्मसमाजियों की क्या प्रेरिताई है? उन्होंने कहा कि वे लोगों के बीच आनन्द बाटें, आज लोग धर्मसमाजियों से इसी बात की उम्मीद करते हैं।

संत पापा ने युवा धर्मसमाजियों की प्रेरिताई में दूसरी इस बात की आवश्यकता बतलायी कि वे घमंड, स्वार्थ और विश्राम में पड़ी दुनिया को जगाने में मदद दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए सबसे पहले हमें अपने आप को सुधारने की ज़रूरत है, साथ ही जिस समुदाय में हम रहते है उसका भी। उन्होंने उन्हें सौभाग्य शाली बताते हुए कहा कि इस बात को जानना कितना सुखद है कि वे येसु के प्रेम एवं कोमलता के वाहक हैं अतः उनमें येसु के लिए आनन्द, खुशी, जोश होना चाहिए जिसे देख कर दुनिया सच्चे जीवन के लिए जाग सके।

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि धर्मसमाजियों का केंद्र बिन्दु ईश्वर होना चाहिए क्योंकि कृपा तथा येसु का प्रेम ही वह चट्टान है जिस पर समर्पित जीवन स्थापित किया जा सकता है।

संत पापा ने धर्मसमाजियों के प्रशिक्षण के लिए येसु के उस मनोभाव को आत्मसात करने की सलाह दी जिसमें येसु पिता के साथ संयुक्त होने का अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि हम येसु को अपना आदर्श माने। प्रशिक्षण केवल अपनी आदतों में सुधार लाने तथा मूल्यों का पालन करने तक ही सीमित नहीं है किन्तु उदार बनना, अपने को दुनिया के लिए खोलना तथा ख्रीस्त के समान लोगों को प्यार करना जो हमें बाहर आकर सेवा करने हेतु प्रेरित करता है। ईश्वर की कृपा तथा व्यक्तिगत प्रत्युतर के साथ प्रशिक्षण के लिए समुदाय के सहयोग की भी आवश्यकता होती है।

संत पापा ने कहा कि येसु के साथ गहरा संबंध बनाये रखने एवं एक दुलहन की तरह हाँ कहने के लिए येसु के साथ पहली मुलाकात की उस मधुर स्मृति को बनाये रखना चाहिए। संत पापा ने सभी युवा धर्मसमाजियों से अपील की कि वे अपने समर्पण में सुदृढ़ रहें जो सुसमाचार को जीने तथा ख्रीस्त के अनुसरण का, एक सुन्दर एवं आनन्द मय जीवन है।








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