2015-09-14 15:16:00

येसु विनीत एवं आज्ञाकारी सेवक


वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 सितम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ हमें येसु को कैसरिया फिलिपी के गाँव जाने के रास्ते पर शिष्यों को प्रश्न करते हुए प्रस्तुत करता है। उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा, मैं कौन हूँ इस विषय पर लोग क्या कहते हैं। उन्होंने उत्तर दिया, योहन बपतिस्ता, कुछ लोग कहते हैं एलियस और कुछ लोग कहते हैं नबियों में से कोई।″ (मार.8:27)  

संत पापा ने कहा कि लोगों ने येसु को पसंद किया तथा उन्हें ईश्वर का भेजा हुआ भी स्वीकार किया किन्तु अब भी वे उन्हें उस मसीह के रूप में नहीं पहचान पाये थे जिनके बारे में भविष्यवाणी की गयी थी तथा जिनका इंतजार सभी लोग कर रहे थे। तब येसु ने शिष्यों की ओर मुड़कर पूछा, ″तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ? ″ (पद.29) उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण सवाल है जिसे द्वारा येसु अपने शिष्यों के विश्वास की परीक्षा लेने हेतु उनसे प्रत्यक्ष रूप में बातें करते हैं। पेत्रुस ने पूरे दल की ओर से जवाब देते हुए कहा, ″आप मसीह हैं।″ पेत्रुस के विश्वास से प्रभावित होकर येसु समझ जाते हैं कि यह पिता ईश्वर की कृपा का फल है उनकी विशेष कृपा का परिणाम। तब येसु शिष्यों को स्पष्ट शब्दों में बतलाते हुए कहते हैं कि उन्हें येरूसालेम जाना होगा। ″मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा नेताओं महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीन दिन के बाद जी उठना होगा।″(पद. 31)

संत पापा ने कहा कि पेत्रुस जिसने अभी-अभी येसु को मसीह स्वीकार करते हुए अपना विश्वास प्रकट किया था येसु के इन शब्दों से आहत हो गया तथा उसने येसु को अलग ले जाकर फटकारने लगा। येसु ने मुड़कर अपने शिष्यों की ओर देखा और पेत्रुस को डाँटते हुए कहा, ″हट जाओ शैतान! तुम ईश्वर की नहीं, मनुष्यों की बातें सोचते हो।″(पद.33)

पेत्रुस के इस व्यवहार से येसु अनुभव करते हैं कि पेत्रुस भी अन्य शिष्यों के ही समान था। संत पापा ने कहा कि हम भी पेत्रुस के समान हैं। शैतान हमें ईश्वर की इच्छा के विपरीत चलने का प्रलोभन देता है वहीं ईश्वर की कृपा उस प्रलोभन का विरोध करती है। यह घोषित करते हुए कि उन्हें दुःख उठाना होगा, मार डाला जाना तथा तीसरे दिन जी उठना। येसु यहाँ उन लोगों के लिए जो उनका अनुसरण करना चाहते हैं एक बात स्पष्ट करना चाहते है कि वे विनीत एवं सेवक मसीह हैं। वे अपने जीवन के पूर्ण समर्पण करने वाले पिता की इच्छा एवं वचन के आज्ञाकारी सेवक हैं। अतः येसु ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो मेरा अनुसरण करना चाहता है वह आत्म त्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले। (पद.35)

संत पापा ने कहा कि येसु का अनुसरण करने का अर्थ है अपना क्रूस उठाकर उनके पीछे चलना, उनके साथ यात्रा करना है। संत पापा ने येसु के साथ यात्रा करने के सच्चे अर्थ को समझाते हुए कहा कि यह एक ऐसी यात्रा नहीं हैं जिसमें असुविधाएँ एवं असफलताएं हैं तथा संसार की बड़ाई का परित्याग है किन्तु जो हमें सच्ची स्वतंत्रता की ओर ले चलती है जो हमें स्वार्थ तथा पाप से छुटकारा प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि शिष्य होने का अर्थ संसार की उन सभी वस्तुओं का बहिष्कार करना जो ‘स्वयं’ तथा अपनी रूचि को पहला स्थान देता है बल्कि येसु निमंत्रण देते हैं कि हम उनके लिए, ख्रीस्त तथा सुसमाचार के लिए अपना जीवन गवाँ दें ताकि हम सौ गुणा फल प्राप्त कर सकें। हमें इस रास्ते पर चलने हेतु येसु द्वारा दृढ़ता प्राप्त हुई है जो हमें पुनरुत्थान तथा अनन्त जीवन की ओर ले चलता है। सभी के सेवक हमारे स्वामी और प्रभु के अनुसरण का निश्चय हमें उनके पद चिन्हों पर चलने की मांग करता है जिसके लिए हमें उन्हें सुनने, उनके वचनों को आत्मसात करने तथा उनसे संयुक्त रहने की आवश्यकता है। संत पापा ने स्मरण दिलाया कि हम प्रत्येक दिन सुसमाचार का पाठ करें तथा संस्कारों में भाग लेकर ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।

संत पापा ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा, ″क्या आपने येसु का निकटता से अनुसरण करने की चाह का अनुभव किया है? उन्होंने कहा, इस पर विचार करें, प्रार्थना करें तथा प्रभु को बोलने दें। माता मरियम जिन्होंने कलवारी तक येसु का अनुसरण किया ईश्वर की गलत छवि से हमारे विश्वास को शुद्ध करने में हमारी सहायता करे।

इतना कह कर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने सूचना जारी करते हुए कहा, आज दक्षिण अफ्रिका में 25 वर्षों पूर्व सन् 1990 ई. में सुसमाचार पर निष्ठा के कारण शहीद हुए पारिवारिक जीवन जीने वाले सामुएल बेनेडिक्ट डासवा को धन्य घोषित किया गया। अपने जीवन से उन्होंने ख्रीस्तीय भावनाओं पर स्थिरता तथा साहस का परिचय दिया है एवं सांसारिक एवं ग़ैरख्रीस्तीय बुरी आदतों का परित्याग किया है। उनका साक्ष्य हमें परिवारों में ख्रीस्त की सच्चाई और उदारता का प्रचार करने की प्रेरणा देता है। उनका साक्ष्य उन सभी लोगों के साथ जुड़ा है जो अत्याचार सहते, बहिष्कार किये जाते तथा येसु ख्रीस्त के सारण मृत्यु के शिकार बनते हैं। संत पापा ने उन सभी शहीदों के साक्ष्यों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तथा हमारे लिए प्रार्थना करने का निवेदन किया।

अंत में संत पापा ने सभी का अभिवादन करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








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