2015-09-12 11:35:00

प्रेरक मोतीः सन्त आईल्बे (छठवीं शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 12 सितम्बर सन् 2015:

काथलिक धर्माध्यक्ष एवं उपदेशक सन्त आईल्बे का जीवन आयरलैण्ड के मिथकों एवं किंवदन्तियों में घिरा रहा है। उत्तरी आयरलैण्ड के एक काथलिक पुरोहित द्वारा उन्होंने बपतिस्मा संस्कार प्राप्त किया था। वे सन्त पैट्रिक के चेले थे तथा कुछेक अभिलेखों में उन्हें आलबेयुस भी कहा गया है।

आईल्बे आयरलैण्ड के मिशनरी थे जिन्हें मूनस्टर के राजा आएन्जुस का समर्थन प्राप्त था। वे आयरलैण्ड स्थित मूनस्टर के प्रथम धर्माध्यक्ष भी थे। आयरलैण्ड की कई किंवदन्तियाँ, मिथक एवं परम्पराएँ आईलबे से जुड़ी हैं। एक किंवदन्ती के अनुसार आईलबे जब शिशु थे तब उन्हें जंगलों में छोड़ दिया गया था जहाँ एक भेड़िये ने अपना दूध पिलाकर उनका पालन पोषण किया। आईल्बे के वयस्क जीवन के बारे में भी कुछ ऐसा ही कहा जाता है। एक बार शिकारियों से भय खाकर एक वृद्ध भेड़िया आईल्बे के पास संरक्षण के लिये आया तथा उनके वक्ष में छिपकर उसने शरण पाई थी।

निर्धनों की सेवा, उदारता एवं अपने दया भाव के लिये आईल्बे जाने जाते थे। साथ ही अपने प्रवचनों एवं उपदेशों के लिये वे अन्यों के आकर्षण का केन्द्र  बन गये थे। परम्परागत रूप से माना जाता है कि आईल्बे रोम की तीर्थयात्रा पर गये थे और यहीं सन्त पापा द्वारा पुरोहित अभिषिक्त किये गये थे। अपने धर्माध्यक्षीय अभिषेक के बाद आईलबे ने मूनस्टर में इमलेख या एमली धर्मप्रान्त का विस्तार किया तथा यहाँ कई गिरजाघरों एवं मठों का निर्माण करवाया। आईल्बे का निधन सन् 528 ई. में हो गया था। वे आयरलैण्ड के एक लोकप्रिय सन्त हैं। सन्त आईल्बे का पर्व 12 सितम्बर को मनाया जाता है।

चिन्तनः सन्त आईलबे के समान हम भी उदारतापूर्वक ज़रूरतमन्दों की सेवा करें तथा प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचारी प्रेम के साक्षी बनें।   








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