2015-09-10 16:13:00

संत पापा ने नवनियुक्त धर्माध्यक्षों को साक्षी, प्रेरित तथा प्रवक्ता बनने की सलाह दी


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 10 सितम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में इस वर्ष नव नियुक्त धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर उन्हें पुनर्जीवित ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, “कलीसिया के नवनियुक्त एवं नव अभिषिक्त धर्माध्यक्षो, आपने पुनर्जीवित ख्रीस्त से भिन्न भिन्न रूपों में मुलाकात किया है। आपकी कमज़ोरियों के बावजूद उन्होंने आपको चुना। आपके इन्कार करने, त्याग देने तथा विश्वासघात करने की भावना से अवगत होने के बावजूद उन्होंने आपको अपनाया है। कलीसिया के संस्कारों के माध्यम से यह शक्ति आपको प्रदान की गयी है। पवित्र आत्मा जो हवा के समान है उसका सामर्थ्य हमारे जीवन को झकझोरता है किन्तु शीतल हवा की तरह हमें विश्राम भी प्रदान करता है। इस पर अधिकार नहीं किया जा सकता। संत पापा ने  कहा कि इस शक्ति को अपने अधिकार में न करें तथा जीवन में परिवर्तन लाने दें।″

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि वे पुनर्जीवित ख्रीस्त के साक्ष्य बनें जो उनका प्रथम तथा अपूरणीय कार्य है। उन्होंने कहा कि वे कमजोर एवं पराजित लोगों के समान मात्र भावुक भाषण न दें किन्तु कलीसिया द्वारा सौंपे गये खजाने को बांटे। कलीसिया को धर्मशिक्षा देते हुए उसे यह घोषित करें कि ख्रीस्त पुनर्जीवित हैं। वे वास्तविकताओं का ख्याल रखते हुए समस्त कलीसिया का ध्यान रखें।

संत पापा ने उन्हें सचेत करते हुए कहा कि यह कार्य आसान नहीं है क्योंकि दुनिया अपने आप में संतुष्ट है। लोग अपने आप में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास आध्यात्मिक बातों के लिए कोई स्थान नहीं है। इसके बावजूद हमें इसका उत्तर देना होगा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति में पुनर्जीवित ख्रीस्त के समुदाय के साथ हमारी सहभागिता कैसी है?  हम दुनिया को कैसे सबसे बहुमूल्य वस्तु दे सकते हैं?

संत पापा ने वर्तमान की चुनौतियों को सामने रखते हुए कहा कि आज वैश्वीकरण की चुनौती जो दूर की चीजों को करीब लाने का प्रयास करता किन्तु अपने पास की वस्तु को अलग कर दे रहा है। आप्रवासी, जवलायु परिवर्तन, मानव श्रमिकों की प्रतिष्ठा, उत्तरदायित्व की भावना का अभाव, युवाओं की कमी तथा वयोवृद्धों का एकाकी जीवन आदि कई समस्याएँ हैं।

संत पापा ने सभी नवनियुक्त धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि वे सुसमाचार के आनन्द को लेकर जाये तथा उन लोगों के बीच उसे बांटे जिन्हें प्रभु ने उनके हाथों सिपुर्द किया है।








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