2015-09-09 18:05:00

मेल-मिलाप कराने का ईश्वर का तरीका छोटे कार्यों में परिलक्षित होता है


वाटिकन सिटी, बुधवार, 9 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″ईश्वर कोई महासभा नहीं बुलाते और न ही दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हैं जिससे कि मेल-मिलाप कर सकें। ईश्वर महान और सर्वशक्तिमान हैं किन्तु हमें शिक्षा देते हैं कि हम शांति निर्माण के कार्य को आगे बढ़ें जबकि यह निम्नस्तर का कार्य समझा जाता है। हम आशा न खोयें तथा महान क्षितिज में बड़ी चीजों का स्वप्न देखने की क्षमता को न जाने दें।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″मेल-मिलाप कराने के ईश्वर के तरीके छोटे कार्यों एवं उनका अपने लोगों के साथ चलने में परिलक्षित होता है।″   

धन्य कुँवारी मरियम के जन्म दिवस के अवसर पर संत मती रचित सुसमाचार पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त का कार्य वास्तव में मेल-मिलाप तथा शांति स्थापित करना था किन्तु इसके लिए ईश्वर ने कोई महासभा नहीं बुलाई और न ही कोई दस्तावेज पर दस्तखत किया। शांति स्थापित करने हेतु ईश्वर एक विशेष रास्ता अपनाते हैं। वे छोटी चीजों द्वारा मेल-मिलाप तथा शांति स्थापित करते हैं। स्वर्ग राज्य में प्रवेश पाने हेतु येसु हमें छोटे बालक जैसा बनने की सलाह देते हैं।

संत पापा ने विश्वासियों से सवाल किया कि क्या प्रभु आज जादुई छड़ी द्वारा शांति और मेल मिलाप स्थापित करना चाहते हैं। नहीं, वे अपने लोगों के पास गये। उन्होंने मानव का रूप धारण किया तथा उनके साथ रहे। अच्छे तथा बुरे सभी प्रकार के लोगों के साथ रहे।

संत पापा ने कहा कि अपनी प्रजा के साथ चलने के द्वारा ईश्वर उनमें आशा का संचार करते हैं। उन्होंने बतलाया कि किस प्रकार ईश्वर अपनी प्रजा के लिए सुन्दर योजनाएँ बनाता है और हम सभी उनकी प्रजा हैं।

इसराईली लोग मुक्ति की कामना करते थे। वे मुक्ति की चाह इसलिए करते थे क्योंकि उनके लिए प्रतिज्ञा की गयी थी।

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि यद्यपि ईश्वर महान तथा सर्वशक्तिमान हैं वे हमें शांति और मेल मिलाप के कार्य को छोटी बातों में ही आगे बढ़ाने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने सलाह दी कि हम लोगों की आवश्यकताओं को पहचानते हुए सदा उनके करीब रहें तथा उनके साथ चलें।″








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