2015-09-09 19:14:00

परिवार और काथलिक समुदाय


वाटिकन सिटी, बुधवार 09 सितम्बर 2015, (सेदोक, वीआर): संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

धर्मशिक्षामाला के अन्तर्गत परिवार पर हम अपना मनन जारी रखते हुये, आज परिवार और काथलिक समुदाय पर अपना ध्यान करेंगे। ये एक दूसरे से स्वाभाविक रुप से जुड़े हुए हैं क्योंकि कलीसिया एक आध्यात्मिक परिवार है और परिवार एक छोटी कलीसिया। (लुमेन जेनसूम- 9)

संत पापा ने कहा, ख्रीस्तीय समुदाय एक परिवार है उन लोगों का जो येसु में विश्वास करते हैं कि वे उनके बीच आपसी भाईचारे के श्रोत हैं। कलीसिया हम लोगों के साथ चली आ रही है, हम स्त्री और पुरुष के इतिहास में, माता-पिता, बेटे-बेटियों के बीच में, यह कहनी है जो ईश्वर की नजरों में मायने रखता है। दुनिया की शाक्तिशाली महत्वपूर्ण घटनायें इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हैं और वे वही रहेंगी। लेकिन मानव इतिहास के दुःख-दर्द सीधे ईश्वर के हृदय में सदा के लिए अंकित होते और रह जाते हैं। परिवार जीवन और विश्वास का स्थल है और हमारे जीवन के इतिहास में परिवार हमारे जीवन का वह स्थान है जो अपरिवर्तनीय, अमिट है। 

इस तरह ईश्वर के पुत्र ने मानव इतिहास को सीखा और जीवन जी कर अन्त में चले गये। यह हमारे लिए उचित है कि हम येसु की ओर मुड़ें और इन बातों पर मनन करें। वे एक परिवार में जन्मे और परिवार में उन्होंने दुनिया की चीजों को सीखा, एक दुकान, चार परिवार, एक अज्ञात गाँव। फिर भी तीस सालों के जीवन अनुभव में येसु ने मानवीय परिस्थितियों को अपने में सम्माहित किया, समुदाय में पिता को स्वीकारा और अपने कामों को पूरा किया। और जब उन्होंने नाज़रेथ को छोड़ अपना सामान्य जन जीवन शुरू किया तो येसु ने अपने इर्द-गिर्द एक समुदाय की संरचना की। जो आपस में एक साथ आते और एक दूसरे से मिलते जुलते थे। “कलीसिया” शब्द का अर्थ यही है।

सुमाचार में येसु लोगों से एक परिवारिक और दोस्ताना स्थान में मिलते हैं न कि विशिष्ट सम्प्रदाय जगह, जहाँ हम पीटर और जोन को भुखे और प्यासे, अपरिचितों और प्रताड़ितों, पापियों और नाकेदारों, फरीसियों और भीड़ को पाते हैं। येसु किसी को अपने यहाँ आने से मना नहीं करते वे सभों के मिलते और बातें करते हैं यहाँ तक कि उनसे भी जो अपने जीवन में कभी ईश्वर से मिलने की आशा नहीं करते। यह कलीसिया के लिए एक बहुत बड़ी शिक्षा है। शिष्यों ने स्वयं समुदाय की देखभाल का बीड़ा अपने ऊपर उठाया है जो कि येसु के मेहमान हैं।

आज हमें हमारे परिवारों और ख्रीस्तीयों के समुदाय को जमा करने और मिलाने की आवश्यकता है जो येसु के समुदाय हैं। हम कह सकते हैं कि परिवार और पल्ली ये  दो स्थान हैं जहाँ हम प्यार में आपसी मिलन का अनुभव करते हैं जो हमारे लिए ईश्वर से आते हैं। सुसमाचार के अनुसार कलीसिया ही सचमुच में एक घर का स्थान ले सकती है। यह तब संभव है जब परिवार खुशी पूर्वक एक घरेलू कलीसिया के रूप में अपना सहयोग दे।

आज यह मिलन महत्वपूर्ण है। हमारे परिवारों का आपसी मिलन और कलीसिया से हमारी मजबूती आज नितांत आवश्यक और जरूरी है। हाँ आप को विश्वास की जरूरत है जो इस गठबंधन के लिए आप को बुद्दि और साहस प्रदान करेंगी। परिवार बहुधा पीछे मुड़ जाते हैं यह कहते हुए कि उसने सहयोग नहीं किया। “फादर हम तो गरीब और बिखरे  हुए हैं, हम नहीं सकेगें। हमारी पारिवारिक तकलीफ़ें असंख्य हैं।” “यह सही है कोई इसके योग्य नहीं है, कोई इसे पसन्द नहीं करता, कोई जोर जबरदस्ती नहीं करता।” ईश्वर की कृपा के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते, और वे बिना किसी चमत्कार के किसी परिवार में नहीं आते। हम याद करें उन्होंने काना के विवाह भोज में क्या किया। हम यदि अपने को प्रभु के हाथों में रख देते तो वे हमारे द्वारा चमत्कार करते हैं। जी हाँ, हम ख्रीस्तीय समुदायों को अपने हिस्से का काम करना हैं। उदाहरण स्वरूप हमें अपने प्रबन्धनीय और अधिकारीय सोच पर विजय प्राप्त करने की आवश्यकता है और पारस्परिक संवाद, आपसी समझ और सम्मान को बढ़ावा देना है।

 परिवार अपनी ओर से अपने बहुमूल्य उपहारों को समुदाय में लाने की पहल करते और जिम्मेदारी लेते हैं। हम सब को यह जानना है कि ख्रीस्तीय विश्वास जीवन के खुले मैदान में सभी परिवारों के साथ खेला जाता है और पल्ली को पूरे समाज हेतु सामुदायिक जीवन का चमत्कार करना हैं। 

संत पापा ने यह कहते हुए धर्मशिक्षामाला का अंत किया, काना में येसु की माता एक अच्छी सलाहकार के समान थी। हम उनके वचनों को सुने, “वो जो कुछ भी तुमसे करने को कहें, तुम करो।”  प्रिय परिवारों, पल्ली समुदाय के भाई एवं बहनों आइये हम उस माता से प्रेरित हो जिससे कि हम अपने को चमत्कार के सामने पा सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सबों का अभिवादन करते हुए कहा, मैं इंग्लैंड, आयरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, दक्षिण अफ्रीका, चीन, फिलीपींस, सिंगापुर और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सब,

तीर्थयात्रियों और अँग्रेज़ी बोलने वाले आगंतुकों का स्वागत करता हूँ। आपको और आपके परिवार को प्रभु यीशु अपनी खुशी और शांति के भर दे। ईश्वर आप सब का भला करे!

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।

Fr. Sanjay 








All the contents on this site are copyrighted ©.