2015-09-05 16:32:00

सामाजिक न्याय हेतु समर्पण की माँग


बँगला देश, ढाका शनिवार 5 सितम्बर 2015, (उका न्यूज़) संत पापा द्वारा घोषित “समर्पित जीवन 2015”, के अवसर पर 4 सितम्बर को बँगला देश के धर्मसंघियों ने एक संगोष्टी में भाग लिया और अपने समर्पित जीवन का पुनरालोकन करते हुये धर्मसंघी जीवन की चुनौतियों पर विचार मन्थन किया। । 

बँगला देश के धर्मसंघियों को आज अवश्यकता है कि वे सामाजिक न्याय के कार्यो में अपने को संलग्न करें और अपने समर्पण को अधिक प्रासंगिक बनायें। ये बातें काथलिक धर्मसंघ के नेताओं ने, बँगला देश में कार्यरत करीब 350 पुरोहितों, धर्मबन्धुओं और सिस्टरों के समुदाय से कही जो बँगला देशी धर्मसंघी संगोष्टी में भाग लेने के लिये, 38 विभिन्न धर्म संघों से 4 सितम्बर को ढाका में जमा हुये थे।

“धर्मसंघी बहुधा अपने में व्यस्त रहते हैं और राष्ट्रीय मुद्दों में अपने को संलग्न नहीं करते हैं। लोग ख्रीस्तीयता में बारे में बहुत कम जानते हैं क्योंकि हमारे बिशप, पुरोहित और धर्मसमाजी न्याय संबंधी बातों के बारे में बोलना नहीं चाहते हैं। वे सुरक्षित पक्ष का चुनाव करते लेकिन राष्ट्रीय जीवन में प्रासंगिक होने के अवसर को गंवा देते हैं।”

आज हमारे कार्य लोगों को धार्मिक बुलाहट की ओर आकर्षित नहीं कर पाते क्योंकि हमने अब तक नयी पहल नहीं की हैं और चुनौतियों का सामना करने हेतु नये तरीके नहीं सोचें हैं। उक्त बातें येसु समाजी पुरोहित प्रदीप पेरेज ने कही, जो “माजिस युथ बंगाल” समुदाय के संयोजक हैं।अपने विचारों को व्यक्त करते हुए ओवलेट सिस्टर तेरेसा मयुलिक ने कहा, “धर्मसमाजी जीवन के प्रति हमारा समर्पण भी आज कम हो गया है जो आज हमारे लिये एक बड़ी चुनौती है। पुरोहित और धर्मसंघी बहुधा अपने में ईमानदार और निष्ठावान नहीं रहते, वे अपने व्रतों के प्रति समर्पित नहीं रहते जैसा कि पहले होता था अंतः लोग उन्हें अनुकरणीय नहीं पाते और इसी करण हम अपना महत्व खोते जा रहे हैं।

पवित्र क्रूस के फादर जेम्स कुज़, बँगला देशी धर्मसंघी सम्मेलन के अध्यक्ष ने कहा, “धर्मसमाजी जीवन का पुनरालोकन हमारे समर्पण की समझ को प्रगाढ़ बना सकता  और हमें इसे जीने में प्रोत्साहित कर सकता है। हमारे जीवन के हर कदम में सकारात्माक और नकारात्मक तथ्य हैं।  हमें उन दोनों पक्षों के प्रति सचेत रहने की जरूरत हैं और सकारात्मक पक्ष का उपयोग जन कल्याण के लिये करना चाहिए।”

ज्ञात हो कि बँगला देश में ख्रीस्तीयों की संख्या 5 लाख के करीब है जिसमें अधिकतर काथलिक हैं और बँगला देश के सात धर्मप्रान्तों  में 218 धर्मप्रान्तीय पुरोहित, 160 धर्मसमाजी, 107 ब्रदर्स और 1056 सिस्टरर्स मुख्य रूप से पल्लियों, स्कूलों- महाविद्लायों और स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत हैं।








All the contents on this site are copyrighted ©.