2015-09-02 15:50:00

पारिवारिक रिश्ते


वाटिकन सिटी, बुधवार 01 सितम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, विश्व के कोने-कोने से जमा हजारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में सम्बोधित करते हुए कहा- अति प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

परिवार पर धर्मशिक्षा माला के अंतिम भाग में हम उस तथ्य की ओर गौर करेंगे, जहाँ परिवार विश्वास को जिम्मेदारी पूर्ण रुप से जीने में उत्तदायी है और इस प्रकार विश्वास का साक्ष्य देते हुए एक नये समाज की स्थापना में अपना सहयोग देता है। सुसमाचार में कुछ बातें ऐसी प्रतीत होती हैं मानो वह परिवार एवं उसके रिश्तों में बाधा हैं, “जो अपने माता या पिता को मुझ से अधिक प्यार करता है, जो अपने बेटे या बेटी को मुझ से अधिक प्यार करता है वह मेरे योग्य नहीं। जो अपना क्रूस उठाकर मेरा अनुसरण नहीं करता वह मेरे योग्य नहीं." (मती. 10:37 - 38)

निश्चय ही येसु धर्मग्रंथ की चौथी आज्ञा को मिटाना नहीं चाहते, न ही हम यह सोचते हैं कि येसु काना के विवाह भोज में अपने पहले चमत्कार के बाद, नव वर-वधु के वैवाहिक जीवन को पवित्र कर, परिवार के बेटे-बेटियों की ओर लौटते और उन्हें परिवार के प्रति असंवेदनशील हो जाने की बात कहते हैं। ठीक इसके विपरीत, जब येसु ईश्वर पर विश्वास की बात पर बल देते हैं तो परिवार से अच्छा और कोई उदाहरण हमें नहीं देते, और दूसरी तरफ ये पारिवारिक संबंध, विश्वास और ईश्वरीय प्रेम के अनुभव से परिवर्तित हो जाते हैं। वे अपनत्व की एक बृहद् भावना से प्रेरित होकर, मातृत्व और पितृत्व को एक नया आयाम देते हुए उन भाई-बहनों का भी स्वागत करते हैं जो बिखराव के कगार पर हैं। 

येसु से एक दिन कहा गया, देखिये बाहर आप की  माता और आपके भाई आप को खोज रहे हैं, येसु ने अपने अनुयायियों की ओर इशारा करते हुए उत्तर दिया, “देखो ये हैं मेरे माता और मेरे भाई, क्योंकि जो ईश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माता।" (मार.3:34 – 35)

संत पापा ने कहा भावनाओं का ज्ञान जिसे हम न खरीद सकते और न ही बेच सकते हैं हमारे परिवारों की सच्ची अमानत है। इसका ज्ञान हमें हमारे परिवारों में मिलता है, इसे हम और कहीं नहीं सीख पाते और यही वह भाषा है जिसके द्वारा ईश्वर हम पर अपने आप को प्रकट करते हैं।

विश्वास के प्रति आज्ञाकारिता और ईश्वरीय नियम के अनुपालन पर निर्भरता का निमंत्रण हम से कुछ छीनता नहीं बल्कि हमारी रक्षा करता, हमें हमारे स्वार्थपूर्ण व्यवहार से निजात दिलाता और हमारे जीवन को सुरक्षित रखता है। हमारे जीवन में विश्वास का यह क्रम पूरे देश में और सारी पृथ्वी में आशा लेकर आता है। जब परिवार में व्याप्त स्नेह हमें सुसमाचार का साक्ष्य देने के लिये प्रेरित करता है तब हम असंभावित चीजों को करने हेतु सक्षम हो जाते हैं, हम उन कार्यों का स्पर्श करते हैं जो ईश्वर द्वारा इतिहास में संपादित किये गये, जैसे कि येसु ने पुरूषों, नारियों और बच्चों के लिये किया। एक अनाथ बच्चे में चमत्कारिक मुस्कान जो निराश के कारण लुट गई थी, वह हमें जीवन की नयी शुरूआत और संसार में ईश्वरीय कामों का बखान करती है जिसे ईशशास्त्रीय लेख वर्णन नहीं कर सकते। एक स्त्री और एक पुरूष जो न केवल अपने बच्चे के लिये वरन् किसी दूसरे के बच्चे हेतु जोखिम उठाते और त्याग करते हैं, ईश्वरीय प्रेम की चर्चा करते हैं जिसे अनगिनत वैज्ञानिक भी नहीं समझ सकते हैं।

परिवार जो ईश्वर के बुलावे का जवाब देता है वह उस निदेशक की तरह है जो ईश्वर में संसार के अन्य सभी लोगों से मैत्री भाव रखता है। परिवार जो ईश्वर के वचनों को सुनता और उनका पालन करता है वह काना विवाह भोज की अच्छी अंगूरी की भाँति होगा, हम सभी ईश्वरीय ख़मीर के समान होंगे।

 वास्तव में, परिवार का ईश्वर के साथ एक होना वर्तमान परिवेश में समुदाय की बंजरता के खिलाफ लड़ाई है जो कि आधुनिक शहरों की उपज का कारण है।

“बाबेल परियोजना बेजान गगनचुंबी इमारतें बनाता है लेकिन ईश्वर की आत्मा, रेगिस्तान में भी हरियाली लाता है।” (इसा. 32:15)

हमें ऊँचे मीनारों और कुलीन वर्ग के तहखानों से बाहर निकल फिर से घरों और भीड़ की खुली जगह में भाग लेना होगा। वे जो विवाह के संस्कार के प्रति समर्पित हैं और जो ईश्वर के राज्य हेतु समर्पित हैं उन्हें कलीसिया को बदलना है जिससे हमारा साक्षात्कार येसु से हो सके।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सबका अभिवादन करते हुए कहा, मैं स्वीडन, नीदरलैंड, नाइजीरिया, जापान, मलेशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका से आये आप सभी तीर्थयात्रियों और अंग्रेजी बोलने वाले आगंतुकों का स्वागत करता हूँ। आपको और आपके परिवार के सभी लोगों को ईश्वर अपनी खुशी और शांति प्रदान करे। ईश्वर आप सब का भला करे!

मेरे लिए प्रार्थना कीजिए और एक दूसरे के लिए भी जिससे हम येसु के मिलन को पहचान सके। पवित्र आत्मा सभी दुखित परिवारों में अपनी खुशी की आशीष बरसायें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।

Fr. Sanjay








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