वाटिकन सिटी, सोमवार, 31 अगस्त 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 30 अगस्त को, संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,
"अति प्रिये भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,
इस रविवार का सुसमाचार पाठ येसु तथा फ़रीसियों एवं शास्त्रियों के बीच विवाद की घटना को प्रस्तुत करता है। यह विवाद ‘पुरखों की परम्पराओं’ के मूल्यों के संबंध में था जिससे येसु ने नबी इसायस के ग्रंथ का हवाला देते हुए कहा था कि ″मनुष्यों की संहिता″ ″ईश्वर की संहिता″ का स्थान नहीं ले सकता।″ (मार.7.7)
संत पापा ने कहा कि इस प्राचीन संहिता में न केवल ईश्वर द्वारा मूसा को प्राप्त शुद्ध नियम अंकित थे किन्तु उसमें मूसा की संहिता का विश्लेषण कर कई अन्य नियमों को संकलित कर दिया गया था। शास्त्रियों ने उन नियमों को इस तरह बड़ी सावधानी से जोड़ दिया कि उन्हें धार्मिकता की सच्ची अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया जाता था। अतः येसु एवं उनके शिष्यों पर नियम के उल्लंघन का दोष लगाया गया, ख़ासकर, शरीर के बाह्य शुद्धिकरण के संबंध में। (पद.5) जिसका उत्तर देने के लिए येसु ने नबी के कथन का हवाला देते हुए कहा, ″तुम लोग मनुष्यों की चलायी हुई परम्परा बनाये रखने के लिए ईश्वर की आज्ञा टालते हो।″ (पद.8) संत पापा ने कहा कि हमारे गुरु के ये शब्द हमें आश्चर्यचकित कर देते हैं जिसके कारण हम समझ सकते हैं कि उनमें सच्चाई है तथा उनका ज्ञान हमें पूर्वाग्रह से मुक्त कर देता है किन्तु संत पापा ने सचेत करते हुए कहा, ″सावधान रहें, इन शब्दों द्वारा आज येसु हमें भी चेतावनी देना चाहते हैं कि हम धर्म के बाहरी नियमों के पालन मात्र को अच्छे ख्रीस्तीय होने का पर्याप्त साधन न मान लें।
न केवल फ़रीसी किन्तु आज हमारी भी यही स्थित हो सकती है अथवा उनसे भी बदतर हो सकती है यदि हम अपने को दूसरों से अच्छा मानने लगें यह सोचकर कि हम नियमों तथा परम्पराओं का अक्षरशः पालन करते हैं जबकि हम अपने पड़ोसियों से प्रेम नहीं करते, दिल से कठोर हैं तथा अभिमानी हैं। संत पापा ने कहा कि नियमों का अक्षरशः पालन व्यर्थ है यदि यह ईश्वर से मुलाकात करने तथा प्रार्थना में ईश वचन के प्रति उदार रहने, न्याय एवं शांति की खोज करने, ग़रीबों, निःसहाय तथा शोषित लोगों की मदद करने हेतु हृदय परिवर्तन नहीं करता तथा मनोभाव में ठोस परिवर्तित नहीं लाता है।
संत पापा ने कहा कि हम जानते हैं कि हमारे समुदायों, पल्लियों तथा हमारे आस-पड़ोस में, कलीसिया के ऐसे लोग कितने बुरे उदाहरण प्रस्तुत करते हैं जो यह कहते हैं कि वे काथलिक हैं तथा गिरजा जाते हैं किन्तु अपने दैनिक जीवन में परिवार की उपेक्षा करते हैं तथा दूसरों के बारे बुरी बातें करते हैं। संत पापा ने कहा कि ऐसे ही लोगों को येसु धिक्कारते हैं क्योंकि वे ख्रीस्त का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करते।
अपने उपदेश को जारी रखते हुए येसु उससे भी गंभीर बात की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहते हैं, ″ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाहर से प्रवेश कर उसे अशुद्ध कर सके बल्कि जो मनुष्य में से निकलता है वही उसे अशुद्ध कर देता है।″(पद.15) इस प्रकार येसु आंतरिक बातों की प्रमुखता पर जोर देते हैं, हृदय के प्राथमिकता देते हैं। बाह्य चीजें हमें संत अथवा पापी सिद्ध करते किन्तु हृदय ही हमारे सच्चे इरादे, हमारी पसंद तथा सब कुछ ईश्वर के प्रेम से पूरा करने की इच्छा को व्यक्त करता है।
बाह्य मनोभाव हमारे हृदय के निर्णय का परिणाम है किन्तु बाह्य मनोभाव से यदि हृदय का परिवर्तन नहीं होता तब हम सच्चे ख्रीस्तीय धर्मानुयायी नहीं हो सकते। अच्छाई एवं बुराई के बीच की सीमा बाहर नहीं किन्तु भीतर होती है।
संत पापा ने विश्वासियों को आत्म जाँच का आग्रह करते हुए कहा कि हम अपने आप से पूछें कि मेरा हृदय कहाँ है? येसु ने कहा है, ″जहाँ तुम्हारा खजाना है वहीं तुम्हारा हृदय भी।″ हम अपने आप से पूछें कि मेरा खजाना क्या है? क्या मेरा खजाना येसु एवं उनकी शिक्षा है यदि हाँ तो हृदय अच्छा है और यदि हमारा खजाना कोई दूसरी चीज़ है तो इसे शुद्धिकरण तथा परिवर्तन की आवश्यकता है। बिना शुद्ध हृदय के हमारे हाथ तथा होंठ द्वारा बोले गये प्यार के शब्द शुद्ध नहीं हो सकते। ऐसी स्थिति में हमारी सहानुभूति के शब्द तथा क्षमाशीलता सब कुछ धोखा है, एक दोहरा जीवन है क्योंकि उदार एवं शुद्ध हृदय द्वारा ही सच्चा प्रेम सम्भव है।
संत पापा ने धन्य कुंवारी मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना कि ईश्वर हमें शुद्ध हृदय प्रदान करे तथा ढ़ोंग पन से मुक्त करे। उन्होंने कहा कि येसु ने फरीसियों को सम्बोधित करते हुए ढ़ोंगियो, शब्द का प्रयोग किया था, क्योंकि वे कहते कुछ और थे तथा करते कुछ और। उन्होंने प्रार्थना की कि ईश्वर हमारे हृदय को सभी प्रकार से ढ़ोंग से मुक्त करे ताकि हम नियम की भावना को जीयें जो प्रेम से आता है।
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।
उन्होंने सूचना देते हुए कहा कि कल लेबनान के हरिस्सा में सीरिया के काथलिक शहीद धर्माध्यक्ष माइकेल फ्लेवियानो मेल्की की धन्य घोषणा हुई। ख्रीस्तीयों के भयंकर अत्याचार के संदर्भ में अपने लोगों के अधिकार के एक अथक समर्थक थे तथा उन्होंने लोगों को विश्वास में दृढ़ रहने हेतु मदद दी थी। संत पापा ने कहा कि आज भी मध्य पूर्व एवं दुनिया के अन्य हिस्सों में हमारे ख्रीस्तीय भाई-बहन अत्याचार के शिकार हो रहे हैं। प्रथम शताब्दी से कहीं अधिक लोग शहीद हो चुके हैं। शहीद धर्माध्यक्ष की धन्य घोषणा उन्हें सांत्वना, साहस तथा आशा प्रदान करे। संत पापा ने सरकारी अधिकारियों से अपील करते हुए कहा कि वे धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करें। उन्होंने विश्व समुदाय से भी आग्रह किया कि वह हिस्सा तथा शोषण को रोकने का ठोस उपाय करे।
संत पापा ने प्रवासियों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि दुर्भाग्य से हाल के दिनों में कई प्रवासियों ने यात्रा में अपना जीवन गवाँ दिया है। उन्होंने उनके लिए सभी प्रार्थना करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ″मैं प्रार्थना करता तथा आप सभी से भी प्रार्थना करने का आग्रह करता हूँ विशेषकर, कार्डिनल स्कॉनबोन तथा ऑस्ट्रिया की समस्त कलीसिया के साथ उन 71 लोगों के लिए प्रार्थना करता हूँ जिन्हें वियेना बुढ़ापेस्ट राज पथ पर लोरी में मृत पाये गये थे। ईश्वर उन्हें अनन्त शांति प्रदान करे तथा इन अपराधों को रोकने में हम अपनी प्रभावपूर्ण सहयोग दे सकें। इस क्रूर अपराध ने पूरी मानव जाति को आघात पहुंचाया है। संत पापा ने कुछ देर मौन रहकर उन सभी मृत आत्माओं तथा उनके प्रियजनों के लिए प्रार्थना का संचालन किया।
अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की तथा अपने लिए प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए भक्त समुदाय से विदा ली।
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