2015-08-19 12:50:00

आम दर्शन समारोह के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, 16 अगस्त सन् 2015 (सेदोक): वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में  साप्ताहिक आम दर्शन समारोह के समय, परिवार विषय पर, अपनी धर्मशिक्षा माला जारी कर सन्त पापा फ्राँसिस ने उपस्थित भक्त समुदाय को इन शब्दों से सम्बोधित कियाः

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

पारिवारिक जीवन में त्योहार या उत्सव मनाने के मूल्य पर चिन्तन कर लेने के उपरान्त, आज, हम इसके सम्पूरक तत्व पर चिन्तन करें, जो है श्रम। उत्सव और श्रम, दोनों ही सृष्टिकर्त्ता ईश्वर की योजना का अभिन्न अंग हैं।    

सामान्य तौर पर कहा जाता है कि परिवार की देखभाल के लिये श्रम या नौकरी की ज़रूरत होती है, सन्तानों के पालन-पोषण के लिये इसकी ज़रूरत होती है ताकि अपने प्रिय जनों को प्रतिष्ठापूर्ण जीवन यापन का आश्वासन दिया जा सके। किसी गम्भीर, ईमानदार व्यक्ति के विषय में सबसे सुन्दर बात यही कही जा सकती है कि वह "एक श्रमिक है", वह ऐसा व्यक्ति है जो काम करता है, ऐसा व्यक्ति जो समुदाय में अन्यों के कन्धों पर अपना बोझ नहीं डालता।"   

सन्त पापा ने आगे कहाः "श्रम या नौकरी द्वारा जन कल्याण भी परिपोषित होता है जैसा कि कई माताओं एवं पिताओं के उदाहरणों को देखा जा सकता है जो अपनी सन्तानों को परिवार एवं समाज के लिये श्रम एवं रोज़गार के मूल्य सिखाते हैं।"

उन्होंने कहा, "धर्मग्रन्थ पवित्र परिवार में इस विषय पर चर्चा करते हैं जिसमें येसु को एक बढ़ई के पुत्र एवं स्वयं बढ़ई रूप में वर्णित किया गया है। ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने के नाते हम इस तथ्य से परिचित हैं कि कार्य एवं आध्यात्मिक जीवन परस्पर विरोधी तत्व नहीं हैं, अपितु इनके बीच सामंजस्य है, क्योंकि कार्य अथवा श्रम, ईश प्रतिरूप में सृजित मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा को अभिव्यक्त करता है।"

सन्त पापा ने आगे कहा, "जब हम काम में लगते हैं, तब हम, धरती की देखभाल और उसपर उत्पादन द्वारा, सृष्टि की रचना में भागीदार बनते हैं। हालांकि, यदि हम श्रम को केवल लाभ तक सीमित कर देते हैं तथा मानवजाति एवं विश्व पर उसके दुष्प्रभावों का तिरस्कार कर देते हैं तब पर्यावरण एवं हमारा जीवन पीड़ित होता है। यह, विशेष रूप से, निर्धन परिवारों पर कुठाराघात करता है।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "प्रभु ईश्वर ने ख्रीस्तीय परिवारों को यह चुनौती एवं मिशन प्रदान किया है कि वे ईश्वर की सृष्टि के आधारभूत सिद्धान्तों के प्रति चेतना जागृत करें: पुरुष एवं स्त्री की यथार्थ पहचान तथा उनके बीच विद्यमान सम्बन्ध, इस धरती पर बच्चों के प्रजनन सम्बन्धी उनकी बुलाहट और साथ ही इस विश्व को सदैव फलदायक एवं सत्कार-शील बनाने हेतु सम्पादित उनके कामों पर समझदारी उत्पन्न करें।"

अन्त में सन्त पापा ने प्रार्थना की और कहाः "विशेष रूप से, आज, हमारे समक्ष प्रस्तुत अनेक चुनौतियों के बीच, आनन्द और आशा के साथ इस बुलाहट का आलिंगन करने हेतु, ईश्वर हमारी सहायता करें।" 

इतना कहकर सन्त पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ "हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ किया  तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। 








All the contents on this site are copyrighted ©.