2015-08-17 12:21:00

येसु से संयुक्त होने का अर्थ है उनकी भावनाओं को आत्मसात करना


वाटिकन सिटी, सोमवार 17 अगस्त 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 16 अगस्त को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात,

इस रविवार का धर्मविधिक पाठ संत योहन रचित सुसमाचार को प्रस्तुत करता है जहाँ येसु जीवन की रोटी के विषय में लोगों को प्रवचन देते हैं। येसु स्वयं जीवन की रोटी हैं तथा परम प्रसाद संस्कार भी। आज के अंतर भजन में येसु के प्रवचन के अंतिम भाग को लिया गया है। यह हमारा ध्यान उन लोगों की ओर आकृष्ट करता है जिनकी भावनाओं को येसु के उस कथन द्वारा आघात पहुँचा था, ″जो मेरा मांस खाता तथा मेरा रक्त पीता है उसे अनन्त जीवन प्राप्त होगा और मैं अंतिम दिन उन्हें पुनर्जीवित कर दूँगा।″(यो.6:54)

संत पापा ने कहा कि लोगों का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक था। येसु लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए नबियों का रास्ता अपनाते हैं। संत पापा ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए प्रश्न किया, ″येसु का मांस खाने एवं उनका रक्त पीने का अर्थ क्या है? क्या यह किसी वास्तविकता का प्रतीक मात्र है, एक कहावत, एक चिन्ह अथवा संकेत है? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि हमें यह जानने के लिए महसूस करने की आवश्यकता है कि जब येसु ने भूखे लोगों के लिए रोटी तोड़ी तो उसके दिल में कौन सी भावना उठी होगी। यह जानते हुए कि उन्हें क्रूस पर अपना प्राण अर्पित करना होगा येसु ने अपनी पहचान उस रोटी के रूप में दी जो तोड़ी तथा बांटी जाएगी और यह उनके लिए बलिदान का प्रतीक बन गया जो उनका इंतजार कर रहा था। इस प्रक्रिया की चरम सीमा है अंतिम बयारी जहाँ रोटी और दाखरस वास्तव में उनके शरीर तथा रक्त में परिवर्तित हो गया।

संत पाप ने कहा कि येसु यूखरिस्त की स्थापना एक खास मकसद से करते हैं कि उनके साथ एक हो जाएँ। वे कहते हैं, ″जो मेरा मांस खाता है तथा मेरा रक्त पीता है वह मुझमें रहता है और मैं उसमें।″ (पद.56) येसु मुझमें और मैं येसु में एक हो जाते हैं। संयुक्त होने का अर्थ है आत्मसात करना। उनका मांस खाने के द्वारा हम उनकी तरह बनते हैं किन्तु इसके लिए हमारे ‘हाँ’ की आवश्यकता है, विश्वास में निष्ठावान बने रहने की जरूरत है।

संत पापा ने ख्रीस्तयाग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब हम इस पर गौर करते हैं तो क्या पाते हैं, ख्रीस्तयाग क्या है? हम में से कई लोग बोल सकते हैं कि जब मुझे गिरजा जाने की इच्छा होती है तब मैं गिरजा जाता हूँ अन्यथा अकेले प्रार्थना करता हूँ।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तयाग व्यक्तिगत प्रार्थना नहीं है और न ही सुन्दर आध्यात्मिक अनुभव ही, यह येसु के साथ अंतिम ब्यारी की यादगारी मात्र भी नहीं है। इसे समझने के लिए हम इसे यादगार कहते हैं, एक चिन्ह मानते है जो वास्तविकता में परिवर्तित हो जाता है तथा येसु की मृत्यु एवं दुखभोग की घटना बन जाती है इस प्रकार यह रोटी येसु का शरीर है जो हमारे लिए दिया गया है एवं दाखरस उनका रक्त है जो हमारे लिए बहाया गया है।

संत पापा ने कहा कि इस प्रकार यूखरिस्त स्वयं येसु हैं जो अपने आप को पूर्ण रूप से हमें प्रदान करते हैं। यदि हम विश्वास के साथ यह कर सकते हैं कि पवित्र परम प्रसाद ग्रहण कर हम पोषित होते तथा उनसे संयुक्त होते हैं हमारा जीवन परिवर्तित हो जाता है। यह ईश्वर तथा लोगों के लिए एक उपहार बन जाता है। जीवन की रोटी द्वारा पोषित होने का अर्थ है ख्रीस्त की भावना से अनुप्राणित हो जाना, उनकी पसंद, विचार एवं व्यवहारों को आत्मसात करना। और यही है आत्म दान रूपी प्रेम के दायरे में प्रवेश करना तथा शांति, क्षमा, मेल मिलाप एवं अन्यों के साथ एकजुटता की भावनाओं को अपनाना। येसु ने भी यही किया।

येसु ने अपने उपदेश का समापन करते हुए कहा था, ″जो यह रोटी खाता है वह कभी नहीं मरेगा।″ (यो.6:58)

संत पापा ने कहा, ″जी हाँ, इस पृथ्वी पर ठोस रूप से येसु के साथ जीने में दुखभोग, मृत्यु तथा जीवन के अनुभवों से पार होना पड़ता है।

येसु के साथ इसी एकता से स्वर्ग की शुरूआत होती है अतः हम इस दृढ़ विश्वास में दुनिया से अपनी आँखें बंद कर लेते हैं कि हम अंतिम दिन पुनर्जीवित ख्रीस्त की पुकार सुन सकेंगे तथा उनके साथ जी उठ कर अनन्त काल के लिए संतों की संगति में शामिल हो जायेंगे।

स्वर्ग में माता मरियम हमेशा हमारा इंतजार करती है जिनका त्यौहार कल हमने मनाया। यह एक रहस्य है। उन्होंने हमारे लिए जीवन की रोटी येसु में विश्वास द्वारा सदा पोषित किये जाने की कृपा प्राप्त की है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय क साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने सभी तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।








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