2015-07-20 15:28:00

भला चरवाहा के गुण


वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 जुलाई 2015 (वीआर सेदको)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजागर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना से पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात,

मैं देख रहा हूँ कि इतनी कड़ी धूप के बावज़ूद आप इस प्राँगण में उपस्थित हैं, आप अत्यन्त साहसी हैं, आप बधाई के पात्र हैं। आज का सुसमाचार पाठ हमें बतलाता है कि चेले प्रेरिताई के अनुभव के बाद आनन्द किन्तु थकान के साथ वापस लौटे। येसु पूर्ण समझदारी के साथ उन्हें थोड़ा विश्राम देना चाहते थे अतः उन्हें एक एकांत स्थान में ले गये। (मार.6꞉31) ″इसलिए वे नाव पर चढ़कर अकेले ही निर्जन स्थान की ओर चल दिए″ (पद.32)।

संत पापा ने कहा कि यहाँ सुसमाचार लेखक संत मारकुस येसु की विलक्षण तीव्रता पर प्रकाश डालते हैं। वे उनके देखने एवं हृदय द्वारा अनुभव करने का वर्णन करते हैं। ″ईसा ने नाव से उतर कर एक विशाल जन समूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेंड़ों की तरह थे और वे उन्हें बहुत सी चीजों की शिक्षा देने लगे″ (पद.34)।

संत पापा ने इस घटना में येसु द्वारा व्यक्त तीन शब्दों पर चिंतन किया꞉ देखना, सहानुभूति रखना तथा शिक्षा देना। उन्होंने कहा कि इन्हें हम चरवाहे के कार्य कह सकते हैं।

उन्होंने कहा कि देखना एवं सहानुभूति रखना सदा येसु के मनोभाव से जुड़े हैं। वास्तव में उनका देखना एक समाजशास्त्री या एक पत्रकार की तरह नहीं है क्योंकि वे सदा हृदय की आँख से देखते हैं।

संत पापा ने कहा, ″ये दोनों शब्द देखना एवं सहानुभूति रखना येसु को एक भले चरवाहे रूप में दर्शाते हैं। उनकी सहानुभूति मानवीय भावना के परे मसीह का मनोभाव है, ईश्वर की कोमलता है जिसने शरीर धारण किया। यही सहानुभूति येसु में उत्पन्न होता है जिसके कारण वे भीड़ को अपने वचन रूपी रोटी खिलाना चाहते हैं। वचन की रोटी का अर्थ है लोगों को ईश वचन की शिक्षा देना। येसु देखते हैं, येसु सहानुभूति रखते हैं तथा येसु शिक्षा देते हैं।″

संत पापा ने कहा कि येसु के इसी मनोभाव को उन्होंने अपने अंदर अनुभव किया था जब वे प्रेरितिक यात्रा हेतु लातीनी अमरीका के एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए गये थे। उन्होंने कहा, ″मैंने प्रभु से प्रार्थना की कि वे मुझे भले चरवाहे येसु का मनोभाव प्रदान करें जो प्रेरितिक यात्रा में मेरा मार्गदर्शन करे।″ उन्होंने ईश्वर को इस कृपा के लिए धन्यवाद दिया, ″इस कृपा के लिए मैं ईश्वर को सारे हृदय से धन्यवाद देता हूँ। उन तीनों देशों के लोगों को भी उनके स्नेह और गर्मजोशी से स्वागत और उत्साह के लिए धन्यवाद देता हूँ। इन देशों के अधिकारियों के अतिथि सत्कार तथा सहयोग के प्रति मैं अपनी कृतज्ञता दुहराता हूँ। बड़े ही स्नेह से मैं अपने धर्माध्यक्ष भाइयों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों तथा विश्वासियों की उत्साहपूर्ण सहभागिता की याद करता हूँ। इन भाई-बहनों के साथ मैं प्रभु के महान कार्यों के लिए उनकी स्तुति करता हूँ। हम उन देशों के प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी ईश्वर को धन्यवाद देते हैं जिसने उन राष्ट्रों को सम्पन्न बनाया है। लातीनी अमरीकी महाद्वीप के पास महान मानवीय तथा आध्यात्मिक क्षमताएँ हैं। वहाँ ख्रीस्तीय मूल्यों की जड़ें गहरी हैं किन्तु गंभीर सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएँ भी हैं। उनके समाधान हेतु कलीसिया समाज के स्वस्थ घटकों के साथ मिलकर, समुदायों की आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति को सुदृढ़ करने हेतु समर्पित है। सुसमाचार प्रचार में इन बड़ी चुनौतियों का सामना करने का प्रोत्साहन देते हुए संत पापा ने कहा, ″हमारे प्रभु ख्रीस्त से प्रार्थना करें जो हमें मुक्ति प्रदान करते तथा ख्रीस्तीय साक्ष्य हेतु हमारे समर्पण को सुदृढ़ करते हैं। इस प्रकार ईश वचन की घोषणा हेतु लोग सुसमाचार के विश्वस्त साक्षी बने रहें।″

उन्होंने अपनी अविस्मरणीय प्रेरितिक यात्रा को लातीनी अमरीका की संरक्षिका ग्वादालुपे की माता मरिया की ममतामय मध्यस्थता द्वारा ईश्वर को समर्पित किया। लातीनी अमरीका में अपनी अविस्मरणीय प्रेरितिक यात्रा को मैं माता मरिया के चरणों के सिपुर्द करता हूँ।

इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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