थिरुवन्तपुरम, सोमवार 20 जुलाई, 2015 (उकान) जकोबाइट कलीसिया के कई लोगों को काथलिक चर्च में शामिल करानेवाले ईशसेवक मार इवानियोस की याद में निकाले गये पाँच दिवसीय पदयात्रा की समाप्ति पर करीब 20 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया।
ईशसेवक मार इवानियोस के सम्मान में निकाली जानेवाली यात्रा 10 जुलाई से 15 जुलाई तक जारी पदयात्रा के बारे में बोलते हुए यात्रा के संयोजक फादर थोमस कय्यालकल न कहा कि जब 37 साल पहले यही पदयात्रा निकाली जाती थी तो मात्र 20 लोग ही हिस्सा लिया करते थे पर आज लोगों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ गयी है।
विदित हो भारतीय काथलिक कलीसिया के तीन हिस्से हैं, लैटिन विधि, पूर्वी विधि या सिरो मलाबार और सिरो मलंकरा। सिरो मलंकरा कलीसिया सन् 1930 ईस्वी में आरंभ हुआ जब कुछ जाकोबाइट कलीसिया के सदस्य काथलिक कलीसिया के अंग बन गये। काथलिक कलीसिया के अंग बनने के साथ ही उन्होंने अपनी रीति-विधि को बरकरार रखा।
मार इवानियोस को इस दल का संस्थापक माना जाता है। मार इवानियोस की मृत्यु 62 साल में हुई और उन्हें सन् 2007 ईस्वी में ईशसेवक घोषित किया गया।
उन्होंने सदा ही धार्मिक और आध्यात्मिक नवीनता के लिये कार्य किया। यह भी विदित हो कि जब मार इवानियोस ने काथलिक कलीसिया को स्वीकार किया था उसके साथ मात्र 10 लोगों ने ही हिस्सा लिया था।
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