2015-07-13 20:24:00

शैतान झूठा, येसु सच्चा मित्र


पारागुआ, 13 जुलाई, 2015 (सेदोक,वीआर) संत पापा फ्राँसिस ने पारागुआ के युवाओं को संबोधित करते हुए उनकी अच्छाइयों और साहस की सराहना की।

दो युवा - मनुएल और लिज़ द्वारा दिये गये साक्ष्य और उनके जीवन के अनुभवों के आधार बनाते हुए संत पापा ने जीवन की कई बातों को समझाया।

संत पापा ने कहा, " दूसरों की सेवा करना कठिन है, उदार बनना भी कठिन है वैसे समय में जब व्यक्ति दुःखों से गुज़र रहा हो। फिर भी यदि व्यक्ति सेवा करना चाहे तो वह अपने प्यार को दूसरों के बीच बाँट सकता है।"  

संत पापा ने लिज़ की बातों को सुनकर कहा, "आज की दुनिया में माता-पिताओं का माता-पिता बनना आसान नहीं हैं। फिर भी माता-पिता के लिये हम जो कुछ भी कर पाते हैं वह उनके द्वारा हमारे लिये किये प्रेम के सामने कुछ नहीं है।"  

संत पापा ने मित्रता के बारे में संदेश देते हुए कहा, " मित्रता व्यक्ति का सबसे बड़ा वरदान है जिसे एक युवा दूसरे के साथ बाँट सकता है। मित्रता के बिना जीवन कठिन है। येसु ने मित्रता के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बतायी थी।उन्होंने कहा था, ‘मैंने तुम्हें मित्र कहा है क्योंकि मैंने पिता से जो कुछ सुना है सबकुछ तुम्हें बतला दिया है’।"

उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीयता की एक विशेषता है कि हम सब येसु के मित्र हैं। जब हम किसी से प्यार करते हैं तब हम उसके साथ समय बिताते हैं, उसे खोजते हैं, उसकी मदद करते हैं और उसे उन सब बातों को बतलाते हैं जो हम अपने मन में सोचते हैं। येसु भी हमारे साथ ऐसा ही करते हैं। वह हमें कदापि नहीं छोड़ेगा। मित्र एक-दूसरे की मदद करते हैं,रक्षा करते हैं और सदा धैर्यवान है बने रहते हैं।"   

संत पापा ने संत इग्नासियुस की आध्यात्मिक साधना में वर्णित प्रार्थना के बारे में भी बतलाया। उन्होंने कहा, " संत इग्नासियुस बतलाते हैं कि शैतान अपने राज्य के विस्तार के लिये धन, प्रशंसा और शक्ति का लालच देता है। उधर दूसरी ओर येसु भी अपने राज्य के प्रचार के लिये अपने चेलों को भेजता है और लोगों को नम्रता, प्रेम और सेवा के पुरस्कार का आश्वासन देता है।"   

येसु हमें यह नहीं कहता है कि उसके पीछे चलने से हम सितारे या बड़े हीरो बन जायेंगे। येसु कदापि झूठ नहीं बोलता है।

संत पापा ने कहा, " धर्मग्रंथ में लिखा है कि शैतान झूठ का पिता है। जिस बात की वह प्रतिज्ञा करता है, उसे वह पूरा नहीं करता है। वह खुशी की प्रतिज्ञा करता है पर उस पर विचार करने से उसे खुशी प्राप्त नहीं होती है। वह बहुत देने की बात करता है पर देता कुछ नहीं।"

उन्होंने कहा, "ठीक इसके विपरीत येसु प्रतिज्ञा नहीं करता। वह कहता है धन्य हैं वे जो गरीब है है, जो शोक करते हैं, जो नम्र है, जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, जो दयालु है, जिनका ह्रदय शुद्ध है, जो शांति के लिये कार्य करते है। आप इन सबके कारण प्रसन्न होंगे।"  

संत पापा ने कहा, "येसु जानते हैं कि सच्ची खुशी धैर्य से, दूसरों को सम्मान देने से और दूसरों को दोष लगाने की इच्छा को नकारने से प्राप्त होती है। यदि तुम गुस्सा करना खुद को गँवाना है।"

संत पापा ने कहा, " संतगण हमारे मित्र और आदर्श हैं। वे हमें येसु के पथ को दिखलाते हैं। येसु के साथ मित्रता सच्ची मित्रता है। हम येसु के मित्रता की ज़रूरत है।"

उन्होंने कहा, " आप येसु के मित्र बनें और अन्यों के साथ दूसरों को भी येसु के मित्र बनायें। येसु के मित्र सब जगह भरे पड़े हैं आप जाकर उन्हें अपना मित्र बनायें, उनका साथ दें और उनके साथ अपनी मित्रता को धैर्यपूर्वक निभायें।"  

 








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