आसुनसियोन, सोमवार, 13 जुलाई 2015 (सेदोक): दक्षिण अमरीका के एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए में अपनी आठ दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम समारोह में सन्त पापा फ्राँसिस ने युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने कम-किस्मत साथियों की मदद करें तथा आशा और शक्ति से परिपूर्ण प्रतिष्ठापूर्ण जीवन के लिये संघर्षरत रहें।
सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय तथा सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के समान ही अपनी प्रेरितिक यात्राओं के दौरान युवाओं को सन्देश देना सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा की कार्यसूची का महत्वपूर्ण अंग रहा है। काथलिक कलीसिया के ये तीनों परमाध्यक्ष युवा प्रेरिताई पर विशेष बल देते रहे हैं तथा युवाओं को भावी कलीसिया के स्तम्भ कहकर पुकारते रहे हैं। इसी क्रम में सन्त पापा फ्राँसिस ने रविवार 12 जुलाई को पारागुए में आसुनसियोन के राष्ट्रपति भवन से कुछ ही दूर कोस्टानेरा नदी के तट पर युवाओं को अपना सन्देश दिया।
इस समारोह में मल्टी मीडियाई कार्यक्रमों द्वारा युवा जीवन की वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला गया। इनमें विडियो प्रदर्शन सहित गायन और नृत्यनाटिकाओं द्वारा युवाओं ने सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में निहित येसु के पर्वत प्रवचन का रंगारंग प्रदर्शन किया। इसके अतिरिक्त दो युवाओं ने अपने जीवन साक्ष्य प्रस्तुत किये। इनमें वैयक्तिक एवं पारिवारिक समस्याओं के घिरने के फलस्वरूप विश्वास की पुनर्खोज की करनेवाली 25 वर्षीय अस्पताल उपचारिका लिज़ फ्रेटस तथा निर्धनता के कारण परिवार से अलग होने पर मज़बूर हुए तथा अपराधजगत द्वारा शोषित 18 वर्षीय मानुएल दे लोस सान्तोस आग्वीलार शामिल थे। इन युवाओं ने बताया कि ज़रूरतमन्द युवाओं की मदद के द्वारा उन्होंने ईश्वर के प्रेम की पुनर्खोज की। युवाओं को दिये अपने सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने यथार्थ स्वतंत्रता तथा ज़िम्मेदारी के बीच विद्यमान घनिष्ठ सम्बन्ध को रेखांकित किया।
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