2015-07-11 15:46:00

प्रार्थना हमें आशा और जीवन प्रदान करता है


सांता क्रूज़, शनिवार, 11 जुलाई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 10 जुलाई को बोलिविया के सांता क्रूज़ स्थित पाल्मासोला कैदखाने में कैदियों से मुलाकात कर उन्हें आशा का संदेश दिया।

संत पापा ने कहा, ″आप से मुलाकात किये बिना, ख्रीस्त के क्रूस से प्रमाणित प्रेम के फल विश्वास एवं आशा को आपके बीच बांटे बिना मैं बोलिविया नहीं छोड़ सकता।″  

संत पापा ने कैदियों को अपना परिचय देते हुए कहा, ″आपके सामने जो व्यक्ति खड़ा है उसने क्षमा किये जाने का अनुभव किया है। वह जो अपने कई पापों से मुक्ति किया गया है। वह व्यक्ति मैं हूँ। मेरे पास आपको देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है किन्तु मैं आपसे वही बांटना चाहता हूँ जो मेरे पास है और जिसे मैं प्रेम करता हूँ। वे है येसु ख्रीस्त, पिता की करुणा।″

उन्होंने कहा कि येसु आये ताकि वे हमारे लिए पिता के प्रेम को प्रकट करें। यह महान एवं वास्तविक प्रेम है। यह एक ऐसा प्यार है जो अपने प्रेम करने वालों के दुखों को गंभीरता से समझ सकता है उसे चंगा करता, क्षमा देता, ऊपर उठाता तथा सहानुभूति प्रकट करता है। यह उन्हें अपने करीब लाता तथा उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करता है। हम इस प्रतिष्ठा को कई तरह से खो देते हैं किन्तु येसु स्वयं अपना जीवन अर्पित कर उसे हमें पुनः वापस कर देते हैं। 

संत पापा ने प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी कैदी थे। उन्होंने भी अपनी स्वतंत्रता खो दी थी किन्तु उनके पास कुछ था जिसने उन्हें बचा लिया उन्हें निराश होने नहीं दिया। उन्हें अंधकार एवं अर्थहीनता के अनुभव से बचा लिया। संत पापा ने कहा कि वह रहस्य था प्रार्थना। व्यक्तिगत एवं सामूहिक। उन्होंने प्रार्थना की, अपने लिए तथा एक-दूसरे के लिए और इसी प्रार्थना ने उन्हें आशा और जीवन प्रदान किया।

प्रार्थना हमें निराश होने से बचाता है यह हमें आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहन देता है। हमें और हमारे परिवार को संभालता है।

संत पापा ने आंतरिक स्वतंत्रता की बात करते हुए कहा कि जब येसु हमारे जीवन में आते हैं तब हम अपने अतीत के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। हम वर्तमान को देखने लगते हैं तथा इसे हम अलग नज़रिये से देख पाते हैं, आशा के नज़रिये से। हम अपने जीवन को एक अलग प्रकाश में देखने लगते हैं तब हम बीते जीवन में उलझे नहीं रहते किन्तु आँसू बहा सकते तथा उन्हीं बातों में ताकत महसूस कर नयी शुरूआत करने के योग्य बनते हैं।  

संत पापा ने लोगों को ख्रीस्त के क्रूस की ओर आशा भरे निगाह से देखने की सलाह देते हुए कहा, ″यदि ऐसे पल आते हैं जब आप उदासी, निराशा तथा नकारात्मक भावना से ग्रसित हों तो आप ख्रीस्त के क्रूस की ओर नजर लगायें। उनके चेहरे को देखें। वे हमें देखते हैं उनकी आँखों में हमारे लिए स्थान है। हम सभी अपने घांव, दर्द तथा पाप के साथ उनके पास आ सकते हैं। उनके घांवों में हमारे घावों के लिए स्थान है जहाँ हमारे घांव धोये, दर्द कम किया जाते तथा चंगे किये जाते हैं।″

संत पापा ने कहा कि येसु हमारे लिए मर गये ताकि वे अपनी बाहें हमारे लिए फैला सकें। संत पापा ने कैदियों से आग्रह किया कि वे उनसे मुलाकात करने आने वाले पुरोहितों से बात-चीत करें क्योंकि उनके द्वारा वे उनकी मदद करना चाहते हैं।

संत पापा ने स्वीकार किया कि हमारी प्रतिष्ठा को बरकरार रखने के लिए कठिन काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि निरोध समाज में पुनः समन्वय करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। मैं जानता हूँ कि कई ऐसी वास्तविकताएँ हैं जो इसे असहज बना देती हैं जैसे अत्यधिक भीड़, न्याय में विलंभ, प्रशिक्षण के अवसरों में कमी, पुनर्वास नीतियाँ तथा हिंसा। इन समस्याओं के समाधान हेतु संस्थाओं के बीच सहयोग करने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि इस के लिए कार्य करते हुए हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि अब सब कुछ खो चुका है। कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें आज भी किया जा सकता है।

पुनर्वास केंद्र में एक साथ रहने के कारण, कुछ हद तक अपने आप पर निर्भर करता है कि हम कैसे रहते हैं। दुःख तथा पृथक्करण हमें स्वार्थी तथा विरोधी बना सकता है किन्तु हममें इस बात की भी क्षमता है कि हम इन्हें सच्चा भाईचारा प्रदर्शित करने का अवसर बना लें तथा एक-दूसरे की मदद करें। संत पापा ने कहा कि एक-दूसरे की मदद करने से न डरें। शैतान ही बदला, विभाजन एवं गिरोह बनाने की ताक में रहता है। अतः उस पर विजय पाने हेतु मेहनत करते रहें।

संत पापा ने कैदियों के परिवारों को भी अपना अभिवादन दिया। उन्होंने कहा, ″मैं आपके परिवारों का अभिवादन करता हूँ। उनकी उपस्थिति तथा सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है, परिवार के सभी सदस्य जीवन के मूल्य तथा बेहतर विश्व के निर्माण में हमें सदा संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं।

संत पापा ने पाल्मासोला कैदखाने के अधिकारियों को प्रोत्साहन देते हुए कहा कि समाज के साथ एकीकरण की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में उनकी जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। उनका दायित्व लोगों को उठाना है न कि नीचे गिराना। लोगों की प्रतिष्ठा की रक्षा करना न कि अपमानित करना और न ही तकलीफ देना। इस प्रकार, उन्हें लोगों को अच्छे या बुरे रूप में नहीं देखना किन्तु उनकी मदद करने पर ध्यान देना चाहिए। यह सभी के लिए अच्छी परिस्थिति उत्पन्न करने में मदद कर सकता है। यह हमें सम्मान तथा प्रेरणा प्रदान करते हुए एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगा।

 








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