2015-07-11 12:50:00

आसुनसियोनः पारागुए में सन्त पापा ने महिलाओं की भूमिका को किया याद


आसुनसियोन, पारागुए, शनिवार, 11 जुलाई 2015 (सेदोक): एक्वाडोर तथा बोलिविया में अपनी यात्रा सम्पन्न कर शुक्रवार 10 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस पारागुए पहुंचे।

भूतपूर्व स्पानी उपनिवेश पारागुए को 1811 ई. में स्वतंत्रता मिली थी। राष्ट्र की आबादी लगभग 64 लाख है जिनमें 94 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी तथा छः प्रतिशत प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के हैं। स्पानी तथा गवारानी यहाँ की आधिकारिक भाषाएँ हैं।

शुक्रवार सन्ध्या पारागुए में आसुनसियोन अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति होरात्सियो कारतेस ने सन्त पापा फ्राँसिस का देश में स्वागत किया। इस अवसर पर बच्चों ने गुलदस्ते अर्पित किये,  स्पानी तथा ग्वारानी भाषाओं में गीत गाये गये तथा पारागुए के पारम्परिक नृत्यों का प्रदर्शन कर अपने यहाँ पधारे मेहमान का हार्दिक स्वागत किया।

आसुनसियोन हवाई अड्डे से परमधर्मपीठीय राजदूतावास तक 15 किलो मीटर तक की दूरी सन्त पापा फ्राँसिस ने अपनी पारदर्शी पापामोबिल से पूरी की। मार्गों के ओर-छोर सैकड़ों प्रशंसक एकत्र थे जो "सन्त पापा जिन्दाबाद" के नारे लगा रहे थे तथा आशा और विश्वास के सन्देशवाहक का अपने बीच स्वागत कर रहे थे।

आसुनसियोन स्थित परमधर्मपीठीय राजदूतावास के निकट ही सन्त पापा बुएन पास्तोर नामक महिला बन्दीगृह पर रुके जहाँ लगभग 50 महिला क़ैदियों ने सन्त पापा के आदर में तैयार गीत गाया तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। राजदूतावास से लगभग पाँच किलो मीटर की दूरी पर राष्ट्रपति भवन है जहाँ सन्त पापा फ्राँसिस ने पारागुए के राष्ट्रपति होरात्सियो कारतेस से औपचारिक मुलाकात की तथा राष्ट्र के स्वर्णग्रन्थ पर हस्ताक्षर किये। उपहारों के आदान प्रदान एवं राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों तथा राष्ट्रपति के परिजनों के साथ साक्षात्कार के साथ यह समारोह सम्पन्न हुआ। राष्ट्रपति कारतेस ने सन्त पापा को, "पापा फ्राँसिसको" चित्रित राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की जर्सी तथा श्वेत ऊन की एक शॉल अर्पित की। बोलिविया के राष्ट्रपति द्वारा हथौड़ी और हँसिया पर बने क्रूस के उपहार के सन्दर्भ में वाटिकन प्रेस के निर्देशक एवं वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी ने विनोदवश टीका करते हुए कहा, "ये सभी समस्या रहित उपहार है।" 

आसुनसियोन के राष्ट्रपति भवन के उद्यान में सन्त पापा फ्राँसिस ने देश के प्रशासनाधिकारियों न्यायधीशों एवं कूटनीतिज्ञों का साक्षात्कार कर उन्हें सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने पारागुए की महिलाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की जिन्होंने, सन् 1860 के दशक में, ब्राज़ील, आर्जेन्टीना तथा ऊरुगुए के साथ युद्ध के दौरान पुरुषों के बिना देश को आगे बढ़ाया था। इस युद्ध में अनुमानतः देश की 60 प्रतिशत जनता समाप्त हो गई थी जिनमें अधिकांश लड़ाई पर जानेवाले पुरुष थे। सन्त पापा ने उन नाटकीय ऐतिहासिक क्षणों में पारागुए की महिलाओँ की भूमिका को सराहा। उन्होंने कहा, "माताएँ, पत्नियाँ एवं विधवाएँ रहकर उन्होंने देश के भारी बोझ को अपने कन्धों पर ढोया।"    








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