2015-07-10 16:37:00

हम येसु की चंगाई एवं करुणावान प्रेम के साक्षी बनें


संता क्रूज़, शुक्रवार, 10 जुलाई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 9 जुलाई को बोलिविया के संता क्रूज़ स्थित सलेशियन डॉन बॉस्को को समर्पित धर्मसमाजियों द्वारा संचालित स्कूल में वहाँ के सभी पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं गुरूकुल छात्रों से मुलाकात की।

संत पापा ने उन्हें ख्रीस्त की बुलाहट का प्रत्युतर देने के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने सुसमाचार पाठ में निहित बारतेमेयुस द्वारा येसु का अनुसरण करने की घटना का वर्णन किया। बारतेमेयुस एक अंधा भिखारी था जब येसु उसके पास से होकर गुजर रहे थे तब उसने उन्हें पुकारा तथा चंगा होने के बाद उनका अनुसरण किया।

संत पापा ने कहा कि प्रेरितों, शिष्यों एवं कुछ महिलाओं का समूह येसु का अनुसरण कर रहा था। ईश राज्य की घोषणा में वे येसु के साथ रहे तथा उन्होंने समस्त फिलिस्तीन का दौरा किया। संत पापा ने इस घटना में दो महत्वपूर्ण बातों को प्रस्तुत किया है, पहला, भिखारी की पुकार तथा दूसरा, शिष्यों की विभिन्न प्रतिक्रियाएँ। जब भिखारी ने येसु को पुकारा जो उस के चेलों की क्या प्रतिक्रिया थी?

उस घटना को तीन बातों द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है, पार होना, चुप रहने की सलाह, ढाढ़स रखकर उठने का आग्रह।

1. पार होना- भीड़ में से कई लोगों ने भिखारी की आवाज पर ध्यान नहीं दिया तथा वे आगे बढ़ गये। संत पापा ने कहा कि पार हो जाना उदासीनता का चिन्ह है, लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं देने का चिन्ह है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव हम पर नहीं पड़ता है। हम न उन्हें सुनते और न ही समझते हैं और यहीं पर हम दुःख को स्वाभाविक मानने तथा अन्याय को सामान्य समझने के प्रलोभन में पड़ सकते हैं। संत पापा ने कहा कि इस प्रकार का व्यवहार एक अंधे, बंद एवं कठोर हृदय वाले व्यक्ति का परिचायक है। जो आस-पास की किसी बात से प्रभावित नहीं होता है। लोगों का जीवन उसे कोई प्रभाव नहीं डाल सकता।

 संत पापा ने कहा, ″लोगों के दर्द को सुने बग़ैर, उनके जीवन में प्रवेश किये बिना तथा उनकी परिस्थिति से अवगत हुए बिना पार हो जाना ठीक उसी तरह है जिस तरह व्यक्ति जो ईश वचन सुनता किन्तु उसे अपने अंदर जड़ जमने एवं फल लाने नहीं देता। वह उस पेड़ की तरह है जो बिना जड़ का होने के कारण मुरझाता एवं सूख जाता है।

2. चेलों का भिखारी के साथ दूसरी प्रतिक्रिया थी कि उन्होंने उसे चुप रहने को कहा। यह पहली प्रतिक्रिया से बेहतर प्रतीत होती है जिसमें व्यक्ति सुनता, समझता तथा उसे सम्पर्क भी करता है। ऐसे लगता है कि वह उसके साथ है किन्तु वह उनके प्रति कड़े शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। संत पापा ने कहा कि ये मनोभाव ईश प्रजा के कुछ नेताओं का है। वे लगातार लोगों को गालियाँ देते हैं तथा उन्हें चुप रहने का आदेश देते हैं। ये बंद लोगों की धारणा है कि येसु का जीवन उन्हीं लोगों के लिए है जो योग्य हैं और वे धीरे-धीर अपने को लोगों से दूर कर लेते हैं। वे सुनते तो हैं किन्तु आवाज पर ध्यान नहीं देते। संत पापा ने कहा कि हँसने वालों के साथ हँसना तथा रोने वालों के साथ रोना ही पुरोहिती जीवन के रहस्य का हिस्सा है।

3. तीसरी प्रतिक्रिया थी ढाढ़स रखकर उठने का आग्रह- संत पापा ने कहा कि यह अंधे बरतेमेयुस के पुकार का सीधा उत्तर नहीं था किन्तु ईश प्रजा का नये तरीके से अनुसरण करने का निमंत्रण था। उन्होंने कहा कि यह पहले एवं दूसरे के समान बिलकुल नहीं है। सुसमाचार हमें बतलाता है कि येसु वहाँ रूके तथा उसकी आवश्यकता पूछी। संत पापा ने कहा कि जब कोई उन्हें पुकारता है तब येसु रुकते हैं। चारों ओर भीड़ होने के बावजूद येसु ने उस व्यक्ति को ध्यान दिया तथा उसके जीवन में शामिल हो लिया। उन्हें चुप रहने का आदेश देने के बजाय उससे पूछा कि वह उनसे क्या चाहता है।  

संत पापा ने कहा कि एक शिष्य को तीसरे उदाहरण को अपनाना चाहिए। पवित्र आत्मा इसी के लिए हमारा मार्गदर्शन करता है और हम इसी का साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु बुलाये गये हैं। हम किसी सिद्धांत या प्रयोग अथवा खास ईशशास्त्र के साक्षी नहीं हैं किन्तु येसु की चंगाई एवं करूणावान प्रेम के साक्षी हैं तथा हमारे समुदाय में उनके कार्यों का प्रचार करने के लिए बुलाये गये हैं।

संत पापा ने कहा कि इस आत्रा के लिए हम अकेले नहीं हैं। हम अपने उदाहरणों और प्रार्थनाओं द्वारा एक दूसरे की मदद करें।

     

 

 

 








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