2015-07-10 12:38:00

उपभोक्तावादी समाज की "फेंक देने वाली" संस्कृति का खण्डन


सान्ता क्रूज़, बोलिविया, शुक्रवार, 10 जुलाई 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने वर्तमान समाज में व्याप्त "फेंक देनेवाली" संस्कृति का खण्डन कर कहा कि यह एक ऐसी मानसिकता है जिसमें सबकुछ की क़ीमत होती है। 

विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय दक्षिण अमरीका में अपनी आठ दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। इस यात्रा के पहले चरण में वे एक्वाडोर की तीन दिवसीय यात्रा सम्पन्न कर बुधवार, 08 जुलाई को बोलिविया पहुँचे थे तथा 10 जुलाई को पारागुए के लिये रवाना हो रहे हैं। सोमवार, 13 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस पुनः रोम लौटेंगे। 

गुरुवार 09 जुलाई को बोलिविया के सान्ता क्रूज़ शहर स्थित मुक्तिदाता ख्रीस्त को समर्पित चौक में लगभग 15 लाख श्रद्धालुओं के लिये सन्त पापा ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया। इस अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था की उस मानसिकता पर खेद व्यक्त किया जिसमें उत्पादन क्षमता नहीं रखनेवाले जैसे निर्धन एवं वृद्ध लोगों को समाज से अलग कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह ऐसी मानसिकता है जिसमें हर चीज़ की क़ीमत होती है, सबकुछ ख़रीदा जा सकता है, सबकुछ पर समझौता किया जा सकता है।"     

सन्त पापा की तस्वीरें, उनके चेहरे से अंकित डिजिटल घड़ियाँ एवं टी शर्ट्स आदि लिये सड़क के विक्रेताओँ, पारम्परिक आदिवासी धुनों पर थिरकते नर्तकों तथा रंग-बिरंगी बोलिवियाई आदिवासी टोपी लगाये लोगों सहित सान्ता क्रूज़ के मुक्तिदाता ख्रीस्त को समर्पित चौक का माहौल उत्सवी आनन्द से परिपूर्ण था। बोलिविया के अन्य शहरों एवं गाँवों से ही नहीं अपितु पड़ोसी देश आर्जेन्टीना, ब्राज़ील तथा कोलोम्बिया से भी हज़ारों तीर्थयात्री सन्त पापा फ्राँसिस की एक झलक पाने के लिये ख्रीस्तयाग स्थल तक जानेवाले चौरास्ते के ओर-छोर एकत्र थे। बोलिवियाई अधिकारियों ने सड़क के किनारे भी विशाल टेलेविज़न पर्दों का प्रबन्ध किया था ताकि वेदी तक न पहुँच पाने वाले श्रद्धालु भी ख्रीस्तायग समारोह में शरीक हो सके। इस सन्दर्भ में सन्त पापा ने तीर्थयात्रियों से कहा "हम अपने बीच ईश्वर की जीवन्त उपस्थिति का समारोह मनाने के लिये  भिन्न-भिन्न स्थानों, क्षेत्रों एवं गाँवों से यहाँ पहुँचे हैं।"

ख्रीस्तायग समारोह के लिये आर्जेन्टीना की सीमा से लगे तरीहा धर्मप्रान्त से आये डेविड फ्लोरस ने कहा कि उनकी प्रार्थना है कि प्रत्येक व्यक्ति मनपरिवर्तन का अनुभव करे क्योंकि व्यक्तियों में  ऐसा परिवर्तन परिष्कृत राजनैतिक वातावरण तथा सरकार एवं कलीसिया के बीच शांति को प्रोत्साहन देगा। इसी प्रकार इनजिनियरिंग के छात्र एवं स्वयंसेवी सीज़र जुसतिनियानो ने कहा, "फिर से यह विश्वास करने की ज़रूरत है ईश्वर ही सबकुछ का समाधान हैं।"    

आरम्भ ही से लातीनी अमरीकी संस्कृति एवं इतिहास में काथलिक कलीसिया की भूमिका के महत्व पर बल देनेवाले, आर्जेन्टीना में जन्में सन्त पापा फ्राँसिस ने स्मरण दिलाया कि ख्रीस्तायग समारोह में अनेक ऐसे देशों का प्रतिनिधित्व है जिनका जन्म प्रभु येसु मसीह के नाम पर हुआ था और येसु के आदेश का अनुपालन "आदान-प्रदान, साक्षात्कार एवं यथार्थ एकात्मता की मांग करता है।"   








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