2015-07-09 12:47:00

वयोवृद्धों की भेंट, पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों सेः अपने मूल को याद रखें


क्वीटो, गुरुवार, 09 जुलाई 2015 (सेदोक): एक्वाडोर में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम दिन, बुधवार 08 जुलाई को, सन्त पापा फ्राँसिस ने क्वीटो से 21 किलो मीटर की दूरी पर स्थित तुमबाको में मदर तेरेसा द्वारा स्थापित उदारता के मिशनरी धर्मसंघ द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में वयोवृद्धों का स्नेहवश अभिनन्दन कर उन्हें अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इस स्थल पर 12  धर्मबहनों सहित पहियेदार कुर्सी के सहारे चलनेवाले कई वयोवृद्धों ने सन्त पापा का स्वागत किया। 

वयोवृद्धों की भेंट के उपरान्त सन्त पापा तुमबाको से 27 किलो मीटर की दूरी पर स्थित एक्वाडोर की संरक्षिका "एल क्विनके" के मरियम तीर्थ गये।

विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस दक्षिण अमरीका में अपनी आठ दिवसीय यात्रा के दूसरे चरण में पहुँच चुके हैं। बुधवार 08 जुलाई को उन्होंने एक्वाडोर से बोलिविया के लिये प्रस्थान किया था।

स्मरण रहे कि रविवार, 05 जुलाई को सन्त पापा फ्राँसिस एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए में अपनी आठ दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये रोम से रवाना हुए थे तथा 13 जुलाई को पुनः रोम लौटेंगे। 

एक्वाडोर में अपने अन्तिम सार्वजनिक समारोह में, क्वीटो से 50 किलो मीटर की दूरी पर स्थित एक्वाडोर की संरक्षिका "एल क्विनके" के मरियम तीर्थ पर पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों को अपने मूल को न भूलने का परामर्श दे सन्त पापा ने उन्हें पेशे सम्बन्धी महत्वाकाँक्षाओं के विरुद्ध चेतावनी दी जो "आध्यात्मिक आल्ज़ाईमर रोग" तक ले जाता है। इस समारोह के लिये लगभग साढ़े छः हज़ार पुरोहित, धर्मसमाजी, धर्मसंघी, धर्मबहनें और गुरुकुल छात्र एकत्र हुए थे जिन्होंने "लॉन्ग लिव पोप" के जयनारे लगाकर अपने बीच काथलिक कलीसिया के विश्वाध्यक्ष का भावपूर्ण स्वागत किया।     

"एल क्विनके" के मरियम तीर्थ पर पहुँचते ही सन्त पापा फ्राँसिस मरियम प्रतिमा के आगे नतमस्तक हुए तथा कुछ क्षण उन्होंने मौन प्रार्थना अर्पित की। तीर्थ स्थल पर पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं धर्मबहनों की ओर से अफ्रीकी-एक्वाडोरियाई संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हुए फादर सिलवानो मीना तथा सन्त अगस्टीन को समर्पित धर्मसंघ की धर्मबहन मारीसोल सान्दोवाल ने साक्ष्य प्रस्तुत किये। 

पहले से तैयार अपने सन्देश को पढ़ने के बजाय सन्त पापा ने कहा कि इस सुन्दर मरियम तीर्थ ने उन्हें तत्काल हृदय के अन्तर से कुछ कहने की प्रेरणा दी है। पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों को उन्होंने स्मरण दिलाया कि उनका जीवन ईश्वर का वरदान है जिसे वे मुक्त रूप से निःशुल्क अन्यों के लिये समर्पित रखें।

एक्वाडोर में कम से कम 20 भिन्न-भिन्न भाषाएँ एवं बोलियाँ बोली जाती हैं। इस सन्दर्भ में सन्त पापा ने पुरोहितों एवं धर्मसमाजियों से अनुरोध किया कि वे देश की विविध संस्कृति को बरकरार रखने का भरसक प्रयास करें।   








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