2015-07-09 15:55:00

लोगों के आनन्द एवं दुःख के सहभागी बनें


क्वीटो, बृहस्पतिवार, 9 जुलाई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 8 जुलाई को इक्वाडोर में प्रेरितिक यात्रा के अंतिम पड़ाव एल क्वींके स्थित राष्ट्रीय मरिया तीर्थ पर वहाँ के पुरोहितों, धर्मसमाजियों तथा गुरुकुल छात्रों से मुलाकात की।

मुलाकात में उन्होंने अपने तैयार भाषण को हस्तगत किया तथा उन्हें अपना व्यक्तिगत संदेश दिया। उन्होंने संदेश में बुलाहट, मिशन तथा आनन्द मय सुसमाचार प्रचार के मिशन में दृढ़ता पर प्रकाश डाला। संत पापा ने सभी धर्मसमाजियों से अपील की कि वे परम्परागत भक्ति को बनाये रखें, अन्यों को भी प्रोत्साहन दें तथा उनकी अगुवाई करें।

संत पापा ने एल क्वींके मरिया तीर्थ पर सभी बुज़ुर्गों को अर्पित किया तथा सभी धर्मसमाजियों से आग्रह किया कि वे इक्वाडोल के लोगों के आनन्द एवं दुःख के सभी अनुभवों में उनके साथ रहें।

संत पापा ने धर्मसमाजी बुलाहट की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″प्रभु हमें बिना शर्त उनके मिशन को स्वीकार करने का निमंत्रण देते हैं।″ उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश है जिसे कभी नहीं भूलना चाहिए। संत पापा ने माता मरिया का उदाहरण दिया जो एक सच्ची शिष्य हैं जिन्हें एक बुलाहट प्राप्त हुई और जिसका प्रत्युत्तर हमें काना के विवाह भोज में कहे उसके कथन की याद दिलाता है, ″वे जो कुछ कहां करते जाओ।″ संत पापा ने कहा कि उनका उदाहरण हमें सेवा करने की प्रेरणा प्रदान करता है।

धन्य कुँवारी मरियम के समर्पण से हम अपनी बुलाहट के लिए सीख ले सकते हैं। छोटी मरिया अपने माता-पिता एवं मुक्ति की अभिलाषा करने वाले लोगों के लिए ईश्वर की अनमोल उपहार थी। मुक्ति इतिहास में हम पाते हैं कि ईश्वर ने अपनी प्रजा की मुक्ति के लिए न्यायकर्ताओं, नबियों तथा राजाओं को भेजा ताकि वे लोगों के बीच ईश्वर की कोमलता एवं करुणा प्रकट करें। संत पापा ने कहा कि हम भी ईश्वर द्वारा बुलाये गये हैं ताकि हम अपने स्वार्थ से बाहर आये, भौतिक लाभ की आशा छोड़ें तथा भावनात्मक तृप्ति की चाह से ऊपर उठें। हम खरीदे हुए मजदूर नहीं किन्तु सेवक हैं। हम सेवा कराने नहीं किन्तु सेवा करने आयें हैं तथा इस कार्य को झोली अथवा डंडे की खोज किये बिना पूर्ण अनासक्ति के साथ पूरा करते हैं। संत पापा ने प्रार्थना की कि घमंड एवं सांसारिकता हमें ईश्वर के महान कार्यों को भूलने के लिए मजबूर न कर दे।

संत पापा ने प्रेरितों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो अधिकार उन्होंने येसु से प्राप्त किया वह उनके व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं था। उसी प्रकार ईश्वर से हमें जो वरदान प्राप्त हुआ है वह कलीसिया के निर्माण एवं उसके नवीनीकरण के लिए है। संत पापा ने धर्मसमाजियों से आग्रह किया कि उस वरदान को लोगों के बीच बांटने से न हिचकिचायें तथा अपने आराम की चिंता में दूसरों की सेवा करने से इन्कार करें किन्तु एक बहते झरने की तरह पाप से बोझ से दबे एवं निराश लोगों के जीवन में ताजगी लायें।

संत पापा ने कहा कि माता मरिया से हम धीरज के गुण को सीख सकते हैं जो कभी पीछे नहीं मुड़ी। संत पापा ने प्रेरिताई में धीरज की आवश्यकता बतलाते हुए कहा कि यह उन घरों अथवा स्थान की खोज करना नहीं है जहाँ हमारा स्वागत होता है किन्तु वहाँ जाना जहाँ वास्तव में येसु की आवश्यकता है। अतः ऐसे समय में भी धीरज बनाये रखना है जब लोग हमारा स्वागत नहीं करते, हमारे सामने अँधेरा होता तथा अनिश्चिचताएँ एवं जोखिम भरा रास्ता मालूम पड़ता है। संत पापा ने याद दिलाया कि ऐसे हम अकेले नहीं हैं पवित्र आत्मा सदा हमारे साथ है।

संत पापा ने सभी धर्मसमाजियों, पुरोहितों एवं गुरूकुल छातों को सलाह दी कि ईश्वर की सेवा में धीरज को अपनाते हुए हम एक साथ आगे बढ़े तथा एक-दूसरे की मदद करें।

उन्होंने माता मरिया से प्रार्थना की कि हम अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह निभा सकें। सेवा करने की जिम्मेदारी से इन्कार न करें। लोगों को मरिया भक्ति हेतु प्रोत्साहन दें तथा उनकी अगुवाई करें।

           

 








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