2015-07-02 11:43:00

प्रेरक मोतीः सन्त बेरनारदीनो रेआलीनो (1530-1616) (2 जुलाई)


वाटिकन सिटी, 02 जुलाई सन् 2015:

बेरनारदीनो रेआलीनो इटली के येसु धर्मसमाजी पुरोहित थे जिन्होंने इटली के नेपल्स तथा लेच्चे  धर्मप्रान्तों में अपनी प्रेरिताई का निर्वाह किया था।

बेरनारदीनो का जन्म इटली के कापरी द्वीप के एक कुलीन परिवार में पहली दिसम्बर सन् 1530 ई. को हुआ था। बाल्यकाल में ही उनकी माता ने उनमें काथलिक धर्म के बीज आरोपित कर दिये थे। अपनी माता के संग-संग वे प्रति दिन ख्रीस्तायागों, रोज़री विनती पाठों आदि के लिये जाया करते थे। कापरी में स्कूली शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद बेरनारदीनो ने, सन् 1556 ई. में, बोलोन्या विश्वविद्यालय से वकालात पास की तथा सन् 1563 ई. में वकालात में ही डॉक्टरेड की उपाधि हासिल की।

उनके ज्ञान, समर्पण तथा वैधानिक बौद्धिकता की चर्चा सर्वत्र फैल गई तथा सन् 1554 ई. में उन्हें वैधानिक श्रोता एवं लेफटीनेन्ट जेनरल के पद पर नियुक्त कर नेपल्स बुला लिया गया। इस पद पर रहते ही बेरनारदीनो ने समर्पित जीवन यापन की बुलाहट सुनी तथा येसु धर्मसमाज में भर्ती हो गये। सन् 1567 ई. में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। पुरोहिताभिषेक के बाद तीन वर्षों तक उन्होंने नेपल्स के युवाओं और निर्धनों के बीच काम किया जिसके बाद उन्हें लेच्चे भेज दिया गया जहाँ वे अपने जीवन के अन्त तक पूरे 42 साल तक सेवा कार्यों में लगे रहे।

येसु धर्मसमाजी पुरोहित बेरनारदीनो अथक परिश्रमी, लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु, शक्तिशाली वक्ता एवं प्रवचनकर्त्ता तथा युवाओं को धर्मशिक्षा प्रदान करनेवाले एक कर्मठ प्राध्यपक थे। वे लेच्चे स्थित येसु धर्मसमाजी गुरुकुल के प्राचार्य तथा धर्मसमाजी आश्रम के प्रमुख थे। निर्धनों एवं रोगियों के प्रति उनकी उदारता की कोई सीमा नहीं थी जिसके कारण समय-समय पर उठने वाले सार्वजनिक विवादों एवं प्रतिशोधों का अन्त हो सका था।

सन् 1616 ई. में, 02 जुलाई को, 86 वर्ष की उम्र में येसुधर्मसमाजी बेरनारदीनो रेआलीनो का निधन हो गया था। सन्त बेरनारदीनो लोगों के इतने प्रिय थे कि जब वे मृत्यु शय्या पर पड़े थे तब शहर के मेजिस्ट्रेट ने आधिकारिक रूप से उनसे अपील की थी कि वे लेच्चे शहर को अपने संरक्षण में ले लें। बेरनारदीनो ने सिर झुकाकर हामी भरी और उसके बाद येसु और मरियम का नाम लेकर अपने प्राण त्याग दिये। लेच्चे में येसु नाम को समर्पित गिरजाघर में उनके पवित्र अवशेष सुरक्षित हैं। बताया जाता है कि ताबीज़ में सुरक्षित उनका रक्त कुछ खास अवसरों पर पिघलने लगता है। सन् 1947 ई. में बेरनारदीनो रेआलीनो सन्त घोषित किये गये थे। उनका पर्व 02 जुलाई को मनाया जाता है।

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