वाटिकन सिटी, मंगलवार, 30 जून 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को वाटिकन में ख्रीस्तीय-यहूदी अन्तरराष्ट्रीय समिति के सदस्यों का स्वागत कर उन्हें सम्बोधित किया। इस समय रोम में उक्त समिति की वार्षिक बैठक चल रही है।
सन्त पापा ने इस अवसर पर हर्ष व्यक्त किया कि विगत दो हज़ार वर्षों से रोम में ख्रीस्तीय एवं यहूदी समुदाय जीवन यापन करते आये हैं हालांकि इस दरम्यान उनके बीच सम्बन्ध कठिनाइयों के बिना नहीं रहे हैं।
सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि द्वितीय वाटिकन महासभा के नोस्त्रा एताते दस्तावेज़ की प्रकाशना के बाद से ख्रीस्तीय एवं यहूदी धर्मानुयायियों के बीच सम्बन्धों में सुधार आया है। उन्होंने कहा कि इसी दस्तावेज़ से मार्गदर्शन प्राप्त कर दोनों समुदायों को भ्रातृत्वपूर्ण वार्ताओं में विकास करना चाहिये।
नोस्त्रा एताते दस्तावेज़ की 50 वीं वर्षगाँठ की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज़ में ख्रीस्तीय धर्म के यहूदी मूल को स्वीकार किया गया है तथा हर प्रकार की सामीवाद विरोधी भावना का बहिष्कार किया गया है जिससे यहूदी काथलिक वार्ताओं का सिलसिला शुरु हुआ।
सन्त पापा ने कहा, "नोस्त्रा एताते दस्तावेज़ से आलोक प्राप्त कर ही यहूदी एवं काथलिक समुदाय परस्पर अविश्वास की भावना से ऊपर उठ सके हैं तथा अजनबियों के बजाय भाई बहनों के सदृश वार्ता के पथ पर अग्रसर हुए हैं।" उन्होंने कहा, "जिन पिता ईश्वर को हम ब्रहमाण्ड एवं इतिहास के सृष्टिकर्त्ता घोषित करते हैं उन्हीं की असीम कृपा से हम ख्रीस्तीय एवं यहूदी भाईचारे एवं मैत्री भाव में विकास करते रहें।"
All the contents on this site are copyrighted ©. |