2015-06-29 09:21:00

प्रेरक मोतीः सन्त पेत्रुस (29 जून)


वाटिकन सिटी, 29 जून सन् 2015:

सन्त पेत्रुस को हम सिमोन पेत्रुस, सन्त पीटर तथा साईमन पीटर के नाम भी जानते हैं। सन्त पेत्रुस प्रभु येसु के 12 प्रेरितों में थे तथा आरम्भिक कलीसिया के अग्रणी थे जिनके विषय में नये व्यवस्थान के चारों सुसमाचारों एवं प्रेरित चरित ग्रन्थ में हम पढ़ते हैं।

प्रभु येसु के शिष्य पेत्रुस योहन के पुत्र थे। गलीलिया के बेथसाईदा में उनका जन्म हुआ था। पेत्रुस के भाई अन्द्रेयुस भी एक प्रेरित थे। मूल रूप से पेत्रुस मछुआ समुदाय के थे जिन्हें प्रभु येसु ने अपने अनुसरण के लिये चुना था। बाद में पेत्रुस प्रभु येसु के प्रथम प्रेरित एवं काथलिक कलीसिया के प्रथम परमाध्यक्ष बने।

नवीन व्यवस्थान के अनुसार पेत्रुस प्रभु येसु ख्रीस्त के जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे पर्वत पर येसु के रूपान्तरण और पानी पर येसु के चलने की घटना के साक्षी बने थे। फिर, अन्तिम भोजन कक्ष में जब येसु ने अपने शिष्यों के पैर धोये थे तब भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी। अपनी मानवीय कमज़ोरियों की वजह से दुखभोग की रात को पेत्रुस ने येसु का मित्र और शिष्य होने से इनकार कर दिया था तथापि, पेत्रुस ही थे जिन्होंने सबके समक्ष येसु को मसीह घोषित किया था। पेत्रुस या पीटर का अर्थ है चट्टान और इसी चट्टान पर प्रभु येसु ने अपनी कलीसिया स्थापित की थी जिसके प्रथम परमाध्यक्ष सन्त पेत्रुस ही थे।

प्रभु येसु के स्वर्गारोहण के बाद पेत्रुस ने आन्ताखिया में कलीसिया की स्थापना की तथा सात वर्षों तक यहाँ के बिखरे विश्वासियों को एकता के सूत्र में बाँधते रहे। उन्होंने पोन्तुस, गलातिया, कप्पादोसिया तथा एशिया माईनर में यहूदियों, इब्रानियों एवं ग़ैरविश्वासियों में प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार का प्रचार किया। तदोपरान्त, वे रोम के लिये निकल पड़े। रोम में, क्लाऊदियुस के शासन के दूसरे वर्ष में पेत्रुस ने साईमन मागुस को अपदस्थ कर 25 वर्षों तक याजक का पद सम्भाला। सम्राट नीरो के शासन काल में जब ख्रीस्तीयों का उत्पीड़न हुआ तब पेत्रुस को भी मार डाला गया। पेत्रुस को भी क्रूस पर ठोंका गया था किन्तु प्रभु येसु के प्रति श्रद्धाभाव का प्रदर्शन कर उन्होंने अपने आततायियों से कह दिया था कि वे उन्हें सीधे नहीं अपितु उलटे क्रूस पर ठोंक दें। सन्त पेत्रुस के पवित्र अवशेष रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के तलघर में सुरक्षित हैं। रोमी काथलिक कलीसिया के प्रथम सन्त पापा होने के कारण सन्त पेत्रुस को रोम शहर का संरक्षक माना जाता है। सन्त पेत्रुस का पर्व 29 जून को मनाया जाता है।             

चिन्तनः "जो व्यक्ति हमारे प्रभु एवं मुक्तिदाता येसु मसीह का ज्ञान प्राप्त कर संसार के दूषण से बच गये, वे यदि फिर उसी में फँस कर उसके अधीन हो जाते हैं तो उनकी यह पिछली दशा पहली से भी बुरी होती है। ऐसे लोग अपने को मिले पवित्र आदेशों का ज्ञान प्राप्त कर उन से मुंह फेर लेते हैं। उनके लिए अच्छा यही होता कि उन्हें कभी धर्म-मार्ग का ज्ञान प्राप्त ही नहीं होता। उन लोगों में यह कहावत चरितार्थ होती है -कुत्ता अपने ही वमन के पास लौटता है और 'नहलायी हुई सूअरी फिर कीचड़ में लोटती है" (पेत्रुस का दूसरा पत्र, 2:20-22)।








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