2015-06-25 15:38:00

सच्चा प्रवक्ता एवं बकवादी के बीच अंतर


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 25 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 25 जून को यूखरिस्तीय बलिदान अर्पित कर प्रवचन में कहा कि जो अधिक बोलता किन्तु सुनता बहुत कम है वह विश्वासियों का सच्चा अगुआ नहीं है।

संत पापा ने प्रवचन में सुसमाचार के सच्चे प्रवक्ता एवं बकवादी के बीच अंतर स्पष्ट किया।

उन्होंने कहा, ″लोगों ने आश्चर्यचकित होकर येसु का अनुसरण किया क्योंकि उन्होंने शास्त्री की तरह नहीं किन्तु अधिकार के साथ शिक्षा दी।″

संत पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि जब लोग जानते हैं कि एक पुरोहित, धर्माध्यक्ष, प्रचारक एवं ख्रीस्तीय उसे मिले अधिकार से सुसंगत रहकर बोलता तब उसे लोग तुरन्त पहचान लेते हैं। उन्होंने कहा कि येसु ने अपने शिष्यों को सलाह देते हुए झूठे नबियों से सावधान किया था तथा सच्चे नबियों के बारे बतलाया था।

संत पापा ने विश्वासियों से प्रश्न किया, ″सुसमाचार के सच्चे वक्ता कहाँ हैं तथा  सुसमाचार को गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले लोग कहाँ हैं?″   

संत पापा ने सच्चे वक्ता के गुणों को समझने के लिए वचन, कर्म एवं श्रुति को तीन कुँजियाँ कहा। उन्होंने  प्रथम शब्द को येसु के शब्दों में समझाया, ″प्रभु प्रभु कहने वाले सब के सब स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे।″

उन्होंने कहा, ″वे बोलते हैं और करते भी हैं किन्तु उनमें तीसरे शब्द का अभाव होता है जो कि बोलने और करने का आधार है, उनमें सुनने की कमी होती है किन्तु येसु कहते हैं जो मेरी इन बातों को सुनता और उनपर चलता है वह उस बुद्धिमान व्यक्ति के समान है जिसने चट्टान पर अपना घर बनाया।

संत पापा ने बक वादियों से सावधान रहने की सलाह देते हुए कहा, ″यदि मैं जो सुनता उसके अनुसार नहीं करता हूँ तो मैं उस व्यक्ति के समान हूँ जिसने बालू पर अपना घर बनाया। संत पापा ने ऐसे लोगों की पहचान बतलाते हुए कहा कि वे बहुत बोलते हैं, अनोखे कार्य सम्पन्न करते हैं किन्तु ईश वचन के प्रति उनका हृदय उदार नहीं होता है। वे ईश वचन के मौन से भय खाते हैं संत पापा ने कहा कि ये ही लोग बकवादी हैं तथा उनमें चट्टान की कमी है।″  

संत पापा ने कहा, ″ईश्वर के प्रेम एवं वचन रूपी चट्टान से वे वंचित हैं तथा इसके अभाव में वे प्रवचन नहीं कर सकते। वे कुछ भी निर्माण नहीं कर सकते क्योंकि वे जो भी करते हैं वह ढह जायेगा। दुनियावी चरवाहे, धर्माध्यक्ष एवं पुरोहित जो अधिक बोलते किन्तु मौन से डरते हैं वे सुन नहीं सकते जिसके कारण ईश्वर की नहीं अपनी बातें बतलाते हैं।

संत पापा ने कोलकाता की धन्य मदर तेरेसा का उदाहरण देते हुए कहा कि वह बहुत कम बोलती थीं किन्तु मौन में सुन सकती थी जिसके कारण उन्होंने बहुत काम किया जो कभी नष्ट नहीं होगा। उन्होंने कहा कि महान लोग सुनना जानते हैं वे सुनते हैं क्योंकि वे येसु ख्रीस्त पर विश्वास करते हैं जो उनका बल है। संत पापा ने सभी विश्वासियों को सुन कर कार्य करने की सलाह दी।

 








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