पत्र- माननीय फादर, जय येसु, कुछ दिनों पूर्व वाटिकन भारती पत्रिका, कलेन्डर एवं अन्य सामग्री समय-समय पर निम्न पते पर आता रहा। इस केन्द्र का प्रधान कार्यकर्ता मैं था। मैं ही वाटिकन भारती पत्रिका मंगाता था क्योंकि तब मैं वाटिकन रेडियो का श्रोता था और आज भी हूँ। अब यह केन्द्र बन्द हो गया है। मेरी इच्छा है कि वाटिकन भारती पत्रिका मेरे घर के पते पर भेजा जाय। मैं पत्रा व्यवहार पूर्वत करता रहूँगा। कष्ट के लिए आभारी रहूँगा। धन्यवाद।
आर. के. बतिस्त, क्रिशचियन क्वाटर्स के वॉड न. 8, बेतिया, बिहार।
पत्र– 20 जून 2015
पत्रिकाओं के संपादक बन्धुओं से आग्रह है कि वे मेरा पता परिवर्तन की सूचना अपने लोकप्रिय समाचार पत्रिका में शीघ्र प्रकाशित कर सहयोग करें।
शशांक मित्र भारती, हिन्दी सदन बड़ा, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश।
पत्र- जय येसु। कृपया आप मेरा नाम वाटिकन ई समाचार भेजने वालों की सूची में जोड़ दें। धन्यवाद।
फादर देवनिस खाखा, अम्बिकापुर।
पत्र-16.6.15
खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के लिए,
मुश्किल के समय सहारा बन जाए।
खूबसूरत है वो जबान जिन पर,
दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए।
खूबसूरत है वो जज़बात जो,
दूसरों की भावनाओं को समझ जाए।
खूबसूरत है वो एहसास जिस में,
प्यार की मिठास हो जाए।
खूबसूरत है वो दिल जो,
किसी के दुख में शामिल हो जाए।
डॉ. हेमान्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिश्नर्स कल्ब के अध्यक्ष, गोराडीह भागलपुर, बिहार।
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