2015-06-24 17:11:00

पारिवारिक दुःख


वाटिकन सिटी, बुधवार  24 जून,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ‘परिवार की बुलाहट और मिशन’ विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।  

हम उनकी याद करें जो परिवार को दुःख देते हैं। हमारा अनुभव रहा है कि परिवार का कोई एक सदस्य अपने वचन, कर्म या सोच से अपने परिवार तथा बच्चों के प्रति स्नेह प्रकट करने के बदले प्यार को क्षति पहुँचाते हैं।

इस तरह के घावों को छिपाने से यह और गहरा हो जाता है और धीरे-धीरे गुस्सा का रूप ले लेता और झगड़ा का कारण बना जाता है।

दम्पतियों के बीच ऐसे रिश्तों के साथ जीना कठिन हो जाता है। वैसी परिस्थिति में पति या पत्नी दूसरों के पास जाकर कुछ सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास करते हैं जो पारिवारिक जीवन को क्षति पहुँचा सकता है विशेष करके बच्चों को। परिवार के रूप में एक शरीर के अंग होने के कारण किसी एक व्यक्ति के आहत होने से परिवार के सब लोगों को इसका दर्द झेलना पड़ता है।

हमें याद होगा की किस तरह येसु ने बड़ों को आगाह किया था कि वे छोटों को बुरा नमुना नहीं दें। आज हम इस उत्तरदायित्व को ठीक से समझें कि मानव परिवार की नींव – विवाह की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है।

 

आज हम ईश्वर को धन्यवाद दें कि यद्यपि पारिवारिक चुनौतियाँ कुछ लोगों को संबंध विच्छेद का मजबूर कर सकती है तथापि कई नर तथा नारी आपसी विश्वास तथा बच्चों के प्रेम की ख़ातिर अपने वैवाहिक प्रेम में स्थिर बने रहते हैं।

आज हम उन लोगों की याद करें जो कई बार इस प्रकार की अनियमित परिस्थितियों में फँस जाते हैं और विचार करें कि हम उनकी मदद किस तरह से कर सकते हैं।

हम प्रार्थना करें कि ईश्वर उनके विश्वास को मजबूत करे वे ईश्वर की आँखों से पारिवारिक सच्चाइयों को देखें ईश्वर को प्यार करें तथा परिवार के प्रति वफ़ादार रहें।

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 








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