2015-06-18 16:26:00

हम कमजोर हैं किन्तु हम में क्षमा करने की शक्ति है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 18 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″एक ख्रीस्तीय को मालूम है कि प्रभु की कृपा के बिना वह जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता।″ यह बास संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 18 जून को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा कि प्रार्थना द्वारा ही हम अपने भाइयो को क्षमा कर सकते हैं तथा जीवन में शांति के साथ आगे बढ़ सकते हैं।

कमजोरी, प्रार्थना तथा क्षमाशीलता इन तीन बिन्दुओं पर संत पापा ने अपना प्रवचन केंद्रित करते हुए कहा कि हम कमजोर है तथा आदि पाप के घाव को लेकर चलते हैं।

उन्होंने कहा, ″प्रभु की सहायता के बिना हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। हम कमजोर हैं, हम पाप में गिर जाते हैं तथा प्रभु की कृपा के बिना आगे नहीं बढ़ सकते हैं।″ हमारी कमजोरी हमें प्रभु से सहायता मांगने हेतु प्रेरित करता है क्योंकि उनकी सहायता के बिना हम कुछ नहीं कर सकते हैं। हम विश्वास में कमजोर हैं तथा ख्रीस्तीय जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं अतः हम प्रार्थना द्वारा उनसे सहायता मांगते हैं।

संत पापा ने प्रार्थना की विशेषता पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इसके लिए शब्दों के अंबार की आवश्यकता नहीं है। येसु ने अपने शिष्यों को ग़ैर यहूदियों की तरह प्रार्थना करते समय रट नहीं लगाने को कहा। संत पापा ने नबी सामुएल की माता की प्रार्थना को आदर्श प्रार्थना कहा जो भक्ति में लीन मन ही मन प्रार्थना कर रही थी। उन्होंने कहा कि मात्र उसके होंठ हिल रहे थे क्योंकि वह बोल नहीं पा रही थी। संत पापा ने पिता शब्द की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यद्यपि यह मानवीय शब्द है तथापि यह हमें जीवन प्रदान करता है और पवित्र आत्मा ही इस प्रार्थना को करने हेतु हमें बल प्रदान करता है।

पवित्र आत्मा जो हमारे साथ प्रार्थना करते हैं उनकी शक्ति से हम प्रार्थना करना आरम्भ करते हैं। संत पापा ने विश्वासियों से प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए कहा कि ईश्वर जो हमारे पिता है हमें उनके सम्मुख उदार हृदय से प्रार्थना करनी चाहिए जो हमारी सभी जरूरतों को हमारे मांगने से पहले जानते हैं।

क्षमाशीलता पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि येसु ने अपने शिष्यों को सिखाया कि यदि हम दूसरों की गलतियों को माफ नहीं करेंगे तो स्वर्गीय पिता भी हमें माफ नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि जब हमारे हृदय में शांति है तब ही हम ईश्वर को पिता पुकार सकते हैं और यह शांति क्षमा देने के द्वारा प्राप्त होती है। अतः हममें जो कमजोरी है वह प्रार्थना द्वारा ईश्वर की सहायता से हमारे लिए सुरक्षा का गढ़ बन जाता है क्योंकि क्षमाशीलता सुरक्षा का बड़ा गढ़ है। संत पापा ने कहा कि क्षमा कर पाने की कृपा हम ईश्वर से इस लिए प्राप्त करते हैं क्योंकि हम कमजोर हैं।

 

 








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