2015-06-15 15:42:00

अच्छाई एवं शांति का बीज, ईश वचन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 14 जून को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज के सुसमाचार पाठ में दो लघु दृष्टांत हैं, पहला दृष्टांत में बीज अंकुरित होता और अपने आप बढ़ने लगता है और दूसरा में राई के दाने का दृष्टांत है। गाँव के इन प्रतीकों द्वारा येसु ईश वचन के प्रभाव तथा स्वर्ग राज्य की मांग को सामान्य परिस्थिति में हमारी आशा एवं समर्पण के रूप में प्रस्तुत करते हैं।″(मार.4꞉26-34)

संत पापा ने दृष्टांतों का विश्लेषण करते हुए कहा कि पहले दृष्टांत में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि खेत में बीज बोने के बाद किसान रात को सोने जाता और सुबह उठता है। बीज उगता है और बढ़ता जाता है हालाँकि उसे यह पता नहीं कि यह कैसे हो रहा है। वह बीज के अंदर की ताकत एवं भूमि की उर्वरता पर भरोसा रखता है। सुसमाचार की भाषा में बीज ईश वचन का प्रतीक है जिस प्रकार एक नन्हा बीज पनपता एवं बढ़ता है उसी प्रकार ईश्वर के सामर्थ्य से हमारे हृदय रूपी उपजाऊ भूमि में ईश वचन विकसित होता है। हम मनुष्यों के हृदयों में ईश्वर ने अपना वचन डाल दिया है। ईश वचन रचनात्मक है अतः उपजाऊ ″भूमि अपने आप फसल पैदा करती है- पहले अंकुर, फिर बाल और बाद में पूरा दाना।″ संत पापा ने कहा यद्यपि हमें मालूम नहीं होता तथापि अच्छी भूमि पर पड़ने वाला बीज निश्चय ही फल लाता है क्योंकि स्वयं ईश्वर इसके मूल हैं। संत पापा ने कहा कि इन सारी बातों से हमें ज्ञात होता है कि ईश्वर स्वयं अपने राज्य का विस्तार करते हैं। हम प्रार्थना में दुहराते हैं, ″तेरा राज्य आवे,″ किन्तु ईश्वर ही उसे बढ़ाते हैं। मनुष्य जो उसका विनम्र सहयोगी है वह ईश्वर की क्रियाशीलता पर चिंतन करता तथा उसके फलों का धीरज से इंतजार कर आनन्द मनाता है। जब वह ईश वचन को विकसित होने देता तब उसे जीवन प्राप्त होता है।

संत पापा ने सुसमाचार पाठ के महत्व की पुनः याद दिलाते हुए कहा कि अपने साथ हमेशा सुसमाचार की प्रति रखें तथा प्रतिदिन उनका पाठ करें। बाईबिल पाठ करना कभी न भूलें क्योंकि यही एक ताकत है जिसके द्वारा हमारे हृदयों में स्वर्ग का राज्य प्रस्फुटित होता है।

 

संत पापा ने आज के दूसरे दृष्टांत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह राई के दाने का दृष्टांत है। ″मिट्टी में बोये जाते समय वह दुनिया भर का सब से छोटा दाना है; परन्तु बाद में वह बढ़ते-बढ़ते सब पौधों से बड़ा हो जाता है और उस में इतनी बड़ी-बड़ी डालियाँ निकल आती हैं कि आकाश के पंछी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।″ (मार.4꞉32) संत पापा ने कहा कि ईश्वर का राज्य मानवीय दृष्टिकोण से बिलकुल छोटा तथा महत्वहीन प्रतीत होता है। उसमें प्रवेश करने के लिए हमें हृदय से दीन बनने तथा अपनी क्षमताओं पर नहीं किन्तु ईश प्रेम की शक्ति पर भरोसा रखना चाहिए। दुनिया की नज़रों में ये बातें भले ही महत्वहीन लगे किन्तु सरलता एवं विनम्रता पसंद करने वाले ईश्वर के किए यह अत्यन्त मूल्यवान हैं। जब हम सरलता का जीवन जीते हैं तो ईश्वर की कृपा हम पर फूट पड़ती है तथा उसी नगण्यता को वे महानता में बदल देता है जिस तरह आटे में मिलाया हुआ ख़मीर उसे फूला का बड़ा कर देता है। 

इन दोनों दृष्टांतों में महत्वपूर्ण सीख है कि ईश्वर का राज्य हमारे सहयोग की मांग करती है किन्तु उन सबसे बढ़कर प्रभु की ओर से पहल एवं उनका वरदान। हमारा कमजोर प्रयास दुनिया की जटिलताओं के कारण और छोटा होता है किन्तु ईश्वर उन जटिलताओं से घबराते नहीं उनकी जीत निश्चित है उनका प्रेम पनपता एवं बढ़ता है पृथ्वी पर अच्छाई का बीज बढ़ता ही जाता है। यह हमें संकट, अन्याय तथा दुःख के बावजूद भरोसा रखने तथा आशावादी बनने रहने के लिए प्रेरित करता है।

संत पापा ने कहा कि अच्छाई एवं शांति का बीज अंकुरित होता तथा बढ़ता है क्योंकि वह ईश्वर के करुणावान प्रेम से पोषित होता है। धन्य कुँवारी मरिया जिन्होंने एक उपजाऊ भूमि की तरह ईश वचन को अपने आप में स्वागत किया वे हमें अपनी आशा से सुदृढ़ करें ताकि हम कभी निराश न हों।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, ″आज विश्व रक्त दान दिवस है जरूरतमंद भाइयों की मदद हेतु लाखों लोग चुपचाप रक्त दान करते हैं। संत पापा ने रक्तदान करने वाले सभी उदार लोगों की सराहना की तथा युवाओं को इस आदर्श का अनुसरण करने की सलाह दी।

संत पापा ने रोम में रह रहे रोमी काथलिक समुदाय की विशेष याद की। उन्होंने सृष्टि की देखभाल पर आधारित अपने आगामी विश्व प्रेरितिक पत्र की प्रकाशना की जानकारी दी कि यह बृहस्पतिवार को प्रकाशित की जाएगी।

अंत में उन्होंने शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।

 








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