2015-06-13 18:44:00

जम्मु कश्मीर में विधवाओं की हालत दयनीय


जम्मु कश्मीर, शनिवार 13 ‎जून ‎2015 (उकान) कश्मीर की घाटी में उग्रवाद और उग्रवादियों को पकडने के लिये चलाये जा रहे अभियान के कारण कई महिलायें या तो विधवा हो गयीं हैं या ‘अर्द्ध विधवा’ बन गयी है।

एक सर्वेक्षण के अनुसार दिल्ली में स्थित इंडियन सोशल इन्स्टीट्यूट (आई एस आई) में कार्यरत फादर पौल डीसूज़ा के अनुसार विधवाओं तथा अर्द्ध विधवाओं की हालत ख़राब है और उन्हें अपनी रोजमर्रा के जीवन को आगे बढ़ाने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है।

जेस्विट फादर पौल डिसूजा ने ‘अमन’ नामक संस्था के सहयोग से एक रिपोर्ट की चर्चा करते हुए बतलाया कि 93 फीसदी अर्द्ध विधवायें (महिलायें जिन्हें अपने पतियों का इंतज़ार है) बतातीं हैं कि उनका जीवन दुभर हो गया है। अपने पतियों के अनुपस्थिति में बच्चों की परवारिश कठिन है।

महिलाओं का कहना है कि पिछले दो दशकों में विघवाओं तथा अर्द्ध विधवाओं की संख्या बढ़ी है और उनके समक्ष रोज एक नयी समस्या खड़ी हो जाती है।

सर्वे में 150 महिलाओं ने अपने विचार दिये जो जम्मु और कश्मीर के 140 गाँवों से आये थे। करीब 69 प्रतिशत महिलाओं को न तो कोई वेतन मिलता है नहीं न ही कोई रोज़गार। इनमें से अधिकतर महिलायें निरक्षर हैं।   

जानकारी के अनुसार 98 प्रतिशत अर्द्ध विधवाओं को प्रत्येक महीना 4 हज़ार रुपया से भी कम वेतन मिलता है। उनमें से 65 फीसदी महिलाओं के घर में आवश्यक सुविवधायें भी नहीं हैं।

72 फीसदी महिलायें शारीरिक रूप से कमजोर हैं तथा 62 प्रतिशत महिलाओं का इलाज़ जारी है जिन्हें जीवन दवाई के सहारे चलता है।

मालूम हो आई एस आई में सम्पन्न सभा में रिपोर्ट जारी किया और विधवाओं तथा अर्द्ध विधवाओं की स्थिति पर विचार –विमर्श किये गये। सभा में सामाजिक कार्यकर्ता सेहबा हूसैन और योजना आयोग के पूर्व सदस्य स्येदा हमीद भी गोष्ठी में शामिल थे। महिलाओं के मुद्दों को प्रकाशित करने वाली संस्था ‘ज़ुबान बुक्स’ की सस्थापिका उर्वसी बुतालिया ने सभा का संचालन किया।

 

 








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