2015-06-12 10:53:00

वाटिकन सिटीः जीवन शैली में परिवर्तन से होगा भुखमरी का अन्त, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 12 जून 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि विश्व से भुखमरी को समाप्त करने के लिये जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा।

रोम स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय खाद्य एवं कृषि संगठन एफएओ के 39 वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेनेवाले प्रतिनिधियों को गुरुवार 11 जून को सम्बोधित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "अस्पष्ट चिंताओं और भूख पर सघन रिपोर्टों को उन कार्यों एवं नीतियों में परिणत होना चाहिये जो भोजन की उपलभ्यता तथा खाद्य पदार्थों की बर्बादी को रोकने वाली जीवन शैली की गारंटी दे सकें।" उन्होंने कहा कि जीवन शैली ऐसी हो जो सबके साथ भोजन को साझा करना प्रारम्भ करे।   

सन्त पापा ने कहा, "कठिन मुद्दों से भागने तथा उन्हें छिपाने की लोगों की प्रवृत्ति स्वाभाविक है, इसका अर्थ है कभी–कभी क्रियाशील होने के बजाय हम हर स्तर पर प्रतिनिधि बनना पसन्द करते हैं तथा सोचते हैं कि कोई न कोई देश, सरकार या संगठन उन प्रश्नों के बारे में विचार करेगा।"   

सन्त पापा ने कहा, "वस्तुतः, कटु सत्य से निकल भागना हम प्रायः पसन्द करते हैं हालांकि, किसी भी हालत में, हम उस विषय पर दस्तावेज़ एवं रिपोर्ट के प्रारूप की तैयारी हेतु आयोजित बैठक, विचार गोष्ठी अथवा सम्मेलन में जाना नहीं छोड़ते।"

उन्होंने कहा, "भोजन की प्राप्ति सब लोगों का अधिकार है और अधिकारों में कोई अपवाद नहीं होता। इस अत्यावश्यकता के लिये समस्त लोगों को ठोस उपाय करने चाहिये।"  

सन्त पापा ने विश्व के प्रतिनिधियों से कहा कि विश्व के 80 करोड़ कुपोषित एवं क्षुधा पीड़ितों की मदद के लिये घोषणा पत्रों, योजनाओं तथा भली इच्छाओं को कार्यरूप दिया जाना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, भोजन की बर्बादी को रोकना ज़रूरी है जो अनुमानतः खाद्य उत्पादन का एक तिहाई है।

सन्त पापा ने कहा कि कृषि, खाद्य उद्योग तथा वैयक्तिक स्तर पर भोजन के अपव्यय को रोका जाना अनिवार्य है। इसके लिये उन्होंने कहा, "लोगों को अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करना होगा तथा अधिक संयम का अभ्यास करना होगा जो विकास के विरुद्ध कदापि नहीं है।" 

सन्त पापा ने ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, "जैसे-जैसे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है वैसे-वैसे खाद्य आवश्यकताएँ भी बढ़ रही हैं, मानवजाति इस चुनौती का सामना प्राकृतिक संसाधनों के साथ अपने रिश्ते को दुरस्त कर, भूमि के सदुपयोग द्वारा, उपभोग के तौर-तरीकों में परिवर्तन कर तथा अपव्यय को रोककर कर सकती है।"

उन्होंने कहा कि ऐसा कर ही भुखमरी एवं कुपोषण पर विजय पाई जा सकती है तथा विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।       








All the contents on this site are copyrighted ©.