2015-06-10 15:34:00

बीमारी की चुनौती


वाटिकन सिटी, बुधवार   10 जून,  2015 (सेदोक, वी.आर.) बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  विश्व के कोने-कोने से एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने इतालवी भाषा में कहा, ख्रीस्त में मेरे अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आज की धर्मशिक्षामाला में ‘परिवार की बुलाहट और मिशन’ विषय पर होने वाली सिनॉद को ध्यान में रखते हुए हम परिवार पर चिन्तन करना जारी रखें।

आज हम परिवारों की एक चुनौती पर चिन्तन करें जिसे हम बीमारी के रूप में जानते हैं।

हम सुसमाचार में कई बार इस बात को पाते हैं कि येसु बीमारों को चँगाई प्रदान करते हैं। सच बात तो यह है कि बीमारों को चँगाई प्रदान करना येसु के प्रेरितिक कार्य का एक अहम हिस्सा रहा है। बीमारों को चँगा करने के मार्ग में कई बार नियम का पालन करना भी बाधा बन कर सामने आये पर उन्होंने लोगों को उनकी बीमारी से मुक्ति दिलायी।

येसु ने अपने शिष्यों को भी चँगाई की शक्ति प्रदान की और दुनिया में भेजा ताकि वे भी बीमारों को चँगा कर सकें, उनके करीब जायें, उनके घावों छूएँ और उन्हें शांत दे सकेँ।

परिवार में किसी एक व्यक्ति का बीमार हो जाना पूरे परिवार के लिये चुनौतीपूर्ण है। येसु के शिष्य रूप में हम इसलिये बुलाये गये हैं कि हम बीमारों और मृत्यु शय्या पर पड़े लोगों के लिये अनवरत प्रार्थना करें तथा उन परिवारों के लिये प्रार्थना करें जो बीमारों की वजह से परेशान हैं।

हमें चाहिये कि हम अपने बच्चों को भी इस बात की शिक्षा दें कि वे भी बीमारों के अपनी सहानुभूति प्रकट करें। वे दूसरों के दुःख-तकलीफ़ों के प्रति असंवेदनाकृत न हो जायें। इसके ठीक विपरीत वे दुःख में पड़े लोगों की मदद के लिये सामने आयें और जीवन के प्रत्येक मानवीय अनुभव को पूर्ण रूप से स्वीकार करें।

आज हम ईश्वर को धन्यवाद दें कलीसिया के उन कार्यों के लिये जब कलीसिया बीमारों की मदद करती हैं और जब परिवार स्वयं ही दूसरे परिवारों की मदद के लिये अपने हाथ बढ़ाते हैं।

इतना कहकर संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की।

उन्होंने भारत, इंगलैंड, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया,  वियेतनाम, डेनमार्क, नीदरलैंड, जिम्बाब्ने, दक्षिण कोरिया  फिनलैंड,  ताइवान, नाइजीरिया, आयरलैंड, फिलीपीन्स, नोर्व, स्कॉटलैंड. फिनलैंड, जापान, उगान्डा, मॉल्टा, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और देश-विदेश के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों तथा उनके परिवार के सदस्यों को विश्वास में बढ़ने तथा प्रभु के प्रेम और दया का साक्ष्य देने की कामना करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 

 








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