2015-06-07 12:29:00

वाटिकन सिटीः पुरोहित, धर्महबन की प्रताड़ना सुन सन्त पापा हुए भावुक


वाटिकन सिटी, 07 जून सन् 2015 (सेदोक): बोस्निया-एरजेगोविना की राजधानी सारायेवो में शनिवार, 06 जून को देश के काथलिक पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों के साथ सन्त पापा फ्राँसिस ने सारायेवो के महागिरजाघर में प्रार्थना अर्पित की। महागिरजाघर के संस्थापक एवं सारायेवों के प्रथम महाधर्माध्यक्ष जोसफ स्टाडलर की समाधि पर उन्होंने मौन प्रार्थना की तथा  धर्मबहनों एवं पुरोहितों के तीन साक्ष्य सुनें।

इस अवसर पर उन्होंने काथलिक पुरोहितों एवं धर्मबहनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया जो अत्याचार और प्रताड़नाओं के बावजूद अपने विश्वास में अटल बने रहे तथा सुसमाचार का साक्ष्य प्रस्तुत करते रहे। उन्होंने बोस्निया के लोगों के उत्पीड़न को गिनाया जिसमें शरणार्थी शिविर, ध्वस्त आवास एवं भस्म कर दी गई फैक्टरियों सहित तहत-नहत जीवन की अपार व्यथा शामिल है। पुरोहितों एवं धर्मबहनों के मुख से यातनाओं एवं उत्पीड़न के साक्ष्य सुन सन्त पापा फ्राँसिस भी भावुक हो उठे। इन साक्ष्यों में उस धर्मबहन का साक्ष्य भी शामिल था जिनका अपहरण, सन् 1993 में, अरबी विदेशी लड़ाकाओं ने कर लिया था। ये अरबी लड़ाका बोस्निया के मुसलमानों को उनकी लड़ाई में समर्थन देने विदेशों से पहुँचे थे। एक धर्मबहन की आवाज़ टूट सी गई जब वे ये बताने लगीं कि उनके साथ बन्धक बना लिये गये एक पुरोहित को अपहरणकर्त्ताओं ने रोज़री माला को कुचल डालने का देश दिया था और कहा था कि यदि पुरोहित ने ऐसा नहीं किया तो वे उन्हें मार डालेंगे। पुरोहित ने रोज़री को कुचलने से इनकार कर दिया जिसके बाद दोनों की पिटाई की गई तथा नाना प्रकार उत्पीड़ित किया गया।

पुरोहितों एवं धर्मबहनों के उत्पीड़न की कहानियाँ सुनने के बाद सन्त पापा फ्राँसिस ने पहले से तैयार अपने सन्देश को अलग रख दिया और उसी क्षण स्वप्रेरणा से निकले विचारों को उनके समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पुरोहितों और धर्मबहनों के साक्ष्यों ने अपने आप दिखा दिया है कि युद्ध कितना क्रूर एवं भयंकर हो सकता है। आप सबने इसका कटु अनुभव प्राप्त किया है। हालांकि मेरे समक्ष इस समय केवल तीन पुरोहितों एवं धर्मबहनों ने साक्ष्य दिया तथापि उन्होंने कई लोगों के उत्पीड़न के इतिहास को विश्व के समक्ष रखा है ताकि युद्ध की भयावहता को पहचान कर विश्व के लोग इसके परित्याग को तैयार हो जायें। उन्होंने कहाः..... "यह आप लोगों का इतिहास है, आपके लोगों की स्मृति। स्मृति रहित लोगों का कोई भविष्य नहीं। आप अपने इतिहास को कदापि न भुलायें, किन्तु बदला लेने के लिये नहीं अपितु शांति स्थापित करने के लिये इसे न भुलायें।"

सन्त पापा ने पुरोहितों एवं धर्मबहनों को आश्वासन देते हुए कहा कि वे इस बात को नहीं भूलें कि प्रभु येसु ख्रीस्त प्रथम शहीद थे और जिन लोगों ने विश्वास के ख़ातिर उत्पीड़न एवं मृत्यु को सहन किया वे प्रभु येसु के सच्चे अनुयायी बन गये हैं। उन्होंने कहाः "आपके रक्त में और आपकी बुलाहट में ही बुलाहट निहित है उसमें शहीदों का रक्त मिला हुआ है। इसमें अनेकानेक पुरोहितों, धर्मबहनों एवं गुरुकुल छात्रों का रक्त एवं उनकी बुलाहट निहित है।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने बोस्निया एर्जेगोविना के पुरोहितों एवं धर्मबहनों से कहा कि वे सबके कल्याण के लिये काम करें। वे बदला लेने का बात नहीं सोचें बल्कि क्षमा प्रदान करने के तरीकों को खोजें। उन्होंने कहाः "वह पुरुष और वह स्त्री जो स्वतः को प्रभु के प्रति समर्पित रखती तथा क्षमा करना नहीं जानती तो ऐसे समर्पण की कोई आवश्यकता नहीं है। उस मित्र को क्षमा करना ज़रूरी है जिसने तुम्हें गाली दी हो जिससे तुम्हारा झगड़ा हुआ हो अथवा यदि कोई धर्मबहन तुमसे ईर्ष्या करती है तो उसे माफ कर दो, यह कठिन काम नहीं है। हमारे शहीदों ने ऐसा किया और हमें भी ऐसा ही करना चाहिये क्योंकि जो पुरोहित, जो धर्मबहन और जो गुरुकुलछात्र शहीदों की याद नहीं करते तथा उसके अनुकूल जीवन यापन नहीं करते उन्होंने क्रूसित येसु की स्मृति को भुला दिया है जो हमारी एकमात्र महिमा है।"          








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