2015-06-07 16:17:00

युवाओं की बुलाहट सेतु निर्माण न कि दीवार


सारायेवो, रविवार, 7 जून 2015 (एशियान्यूज़)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने सारायेवो के संत जॉन पौल द्वितीय युवा केंद्र में 800 युवाओं के साथ अपनी मुलाकात में उन्हें जिम्मेदार शांति निर्माता बनने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि आशा को वे भाईचारा के सेतु एवं सच्चे, ईमानदार तथा उत्तदायित्वपूर्ण शांति निर्माता के रूप में पुनः प्राप्त करें, उन लोगों की तरह नहीं जो शांति की अच्छी-अच्छी बातें करते किन्तु हथियार भी बेचते हैं।

संत पापा ने अपने तैयार भाषण से हटकर युवाओं के सवालों का जवाब देते हुए कम्प्यूटर एवं टेलीविज़न पर अच्छे कार्यक्रमों का चुनाव करने की सलाह दी तथा कहा कि उनकी बुलाहट सेतु निर्माण एवं शांति स्थापना हेतु कार्य करना है न कि दीवार का निर्माण।

युवाओं के प्रथम प्रश्न का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि वे टेलीविज़न नहीं देखते। उन्होंने कहा, ″जी हाँ, 1990 दशक के मध्य में एक रात मैंने अनुभव किया कि यह मेरे लिए उचित नहीं है क्योंकि यह मुझे भटका रहा था मुझे अपने आप से ही पराया कर रहा था अतः मैंने उसे फिर कभी नहीं देखने का निश्चय किया। यदि मैं कोई अच्छा चलचित्र देखना चाहता था तो मैं महा धर्माध्यक्ष भवन के टीवी केंद्र में जाता था तथा सिर्फ वही चलचित्र देखा करता था।″ 

उन्होंने कहा, ″यह सच है कि मैं पाषाण युग का हूँ एक वयोवृद्ध हूँ। मैं अनुभव करता हूँ कि हालात बदल चुके हैं, आज हम छवि के युग में जीते हैं फिर भी यह बहुत आवश्यक है कि छवि के युग में भी किताब युग का अनुसरण किया जाना चाहिए अर्थात उन्हीं चीजों का चुनाव जो हितकर हैं।″   

उन्होंने कहा, ″टेलीविजन केंद्रों का प्रथम कर्तव्य है कि वे अच्छे कार्यक्रमों का प्रसारण करें जो हमारे मूल्यों के लिए हितकर हों जिससे कि एक ऐसे समाज का निर्माण हो जो हमें आगे ले चले और हमें अपमानित न करे।

उन्होंने कहा, ″हमें कार्यक्रम का चयन कर सकना चाहिए, यह हमारा दायित्व है। यदि मैं ऐसे कार्यक्रमों को देखता हूँ जो मेरे लिए अच्छा नहीं है तो यह मुझे अशिष्ट बना देगा तथा मुझे बुराई की ओर ले जायेगा।″

तीसरी बात उन्होंने बुरी कल्पना (वासना) के बारे कहा कि यह आत्मा को मार डालती है। ″यदि आप युवा हैं कम्पूयटर से बंधे रहते हैं तथा कम्प्यूटर के दास बन जाते हैं तो आप अपनी स्वतंत्रता खो देते हैं। यदि आप अपने कम्यूटर से गंदे कार्यक्रमों की खोज करते हैं तो आप अपनी गरिमा खो चुके हैं।″ संत पापा ने कहा कि टेलीविज़न देखिए एवं कम्पयूटर का प्रयोग कीजिए किन्तु सुन्दर तथा उत्तम चीजों के लिए जो हमें बढ़ने में मदद करते हैं।

दूसरे सवाल का उत्तर देते हुए संत पापा ने कहा कि बोस्निया के युवाओं में उनके प्रति खुशी और प्रेम है।

मैं आपको सच बता दूँ जब मैं युवाओं से मिलता हूँ तो मैं उनमें आनन्द और प्यार का अनुभव करता हूँ साथ ही, जीवन के आदर्शों को भी। वे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ″युद्ध के बाद प्रथम पीढ़ी आप अद्वितीय हैं। मोन्सिन्योर सेमरेन के शब्दों में आप बसंत ऋतु के फूल के समान हैं जो आगे बढ़ना चाहता, विनाश की ओर लौटना नहीं जो आपस में शत्रु बना देता है। संत पाप ने कहा कि मैं आप को इसी चाह और उत्साह के साथ देखता हूँ। जो मेरे लिए नया है।

उन्होंने कहा कि आप एक साथ आगे बढ़ना चाहते हैं यह बहुत बड़ी बात है। आप में से कुछ मुसलमान हैं कुछ यहूदी, कुछ ऑथोडोक्स तथा कुछ काथलिक किन्तु हम सब एक हैं यह शांति का कार्य है। आपकी बुलाहट बड़ी है कभी दीवार का निर्माण न करें सेतु बनायें और यही उत्साह मैं आप में देख रहा हूँ।

तीसरे सवाल का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, इस सवाल के उत्तर में मैं कहना चाहता हूँ कि पृथ्वी के कुछ शक्तिशाली लोग शांति के बारे अच्छी बातें बोलते हैं किन्तु वे शस्त्र की बेचते हैं। मैं आप से ईमानदारी की आशा करता हूँ। जो आप सोचते, अनुभव करते एवं काम करते हैं उसमें आप ईमानदार रहें। ये तीनों चीजें एक साथ चलते हैं किन्तु इसके विपरीत को ढोंग कहा जाता है।

संत पापा ने अपना अनुभव बतलाते हुए कहा, ″कई वर्षों पहले मैंने इस शहर के बारे में एक चलचित्र देखा। मैं उसके शीर्षक की याद नहीं करता किन्तु यह सेतु विषयवस्तु पर आधारित था। मैंने इसमें देखा कि सेतु हमेशा एक दूसरे को मिलाती है।″ उन्होंने कहा कि जब सेतु का प्रयोग एक ओर से दूसरे ओर जाने के लिए नहीं किया जाता तो तब यह परित्यक्त सेतु है एवं यह शहर का विनाश बन जाता है अस्तित्व की व्यथा। यही कारण है कि मैं आपसे ईमानदारी की आशा करता हूँ डोंग की नहीं। एकता, सेतु निर्माण तथा एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाना भ्रातृत्व है। अंत में, संत पापा ने सभी युवाओं को शांति का आशीष दी।

 








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