2015-06-06 15:41:00

सहयोग, सद्भावना एवं शांति बनाये रखने हेतु प्रोत्साहन


सरायेवो, शनिवार, 6 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने बोस्निया-हेरज़ेगोविना के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मंडल के अध्यक्षों से मुलाकात की तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा, ″सरायेवो और बोस्निया हेरज़ेगोविना यूरोप एवं समस्त विश्व के लिए एक गौरव है। सदियों से यह धरती विभिन्न धर्मानुयायियों का निवास स्थल रहा है जो अलग-अलग जाति और संस्कृति में अपनी समृद्ध विशेषताओं के साथ जुड़ा है। यहाँ प्रत्येक अपनी परम्पराओं को प्रोत्साहन देता है किन्तु इन विविधताओं के बावजूद लोगों के बीच आपसी भाईचारा एवं सौहार्दपूर्ण रिश्ते कायम रहे हैं।″

संत पापा ने उदाहरण के तौर पर कहा कि विविधताओं के कारण देश में कई अच्छी चीजें देखने को मिलती है जैसे, सारायेवो की वास्तुकला एवं अभिन्यास। विभिन्न समुदायों द्वारा निर्मित  सभागृह, गिरजाघर और मस्जिद इतने आकर्षक हैं कि सरायेवो को ‘यूरोप का येरूसालेम’ पुकारा जाता है। वास्तव में, यह संस्कृतियों, राष्ट्रों और धर्मों का चौराहा के समान है जिसकी प्रतिष्ठा के लिए एक नये सेतु के निर्माण किये जाने की आवश्यकता है ताकि कुशलता, सुनिश्चिता एवं भाईचारा द्वारा वार्ता के मार्ग को बरक़रार रखते हुए प्राचीन धरोहर को बनाया रखा जा सके।

संत पापा ने वार्ता की आवश्यकता ज़ाहिर करते हुए कहा, ″प्रत्येक व्यक्ति की अच्छाईयों को पहचानने एवं उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए हमें एक-दूसरे से वार्ता करने की आवश्यकता है जो हमें एकता के सूत्र में बाँधता तथा हमारी विविधताएँ हमें आपसी सम्मान में बढ़ने का अवसर प्रदान करती हैं। इन वार्ताओं के लिए धीरज एवं विश्वास चाहिए, व्यक्ति, परिवारों तथा समुदायों को उनकी सांस्कृतिक मूल्यों को बनाये रखने की अनुमति एवं सबकी अच्छाईयों का स्वागत किया जाना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि ऐसा करने पर विगत वर्षों के गहरे से गहरे घाव भर जायेंगे, दैनिक जीवन की समस्याओं का सामना करने का बल मिलेगा तथा भविष्य को आशा के साथ देखा जाना सम्भव होगा। इस प्रकार सभी समुदायों के लोग भय एवं असंतोष की भावना से मुक्त हो जायेंगे।

संत पापा ने अपनी यात्रा का उद्देश्य बतलाते हुए कहा कि वे संत पापा जॉन पौल द्वितीय की ऐतिहासिक यात्रा के 18 सालों बाद एक शांति एवं वार्ता के तीर्थयात्री की तरह यहाँ आये हैं जिसके दो साल बाद डेटन शांति समझौते सम्पन्न हुआ था। उन्होंने कहा, ″इस में जो प्रगति हुई है इससे में अत्यन्त खुश हूँ हमें इसके लिए ईश्वर तथा सद् इच्छा रखने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहिए।″ उन्होंने कहा किन्तु हमें इसी से संतुष्ट नहीं रहना चाहिए वरन् अधिक अच्छा करने का प्रयास जारी रखना चाहिए। उन्हें आपसी संबंध एवं सम्मान में बढने हेतु अवसर उत्पन्न करने की आवश्यकता है। इस रास्ते में आगे बढ़ने हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ एकजुटता और सहयोग आधारभूत उपाय हैं विशेषकर, यूरोपीय संघ तथा अन्य संस्थाओं के साथ।

संत पापा ने बोस्निया-हेरज़ेगोविना के इतिहास की याद करते हुए कहा कि इस भूमि में क्रोआती, सर्वियाई और बोस्नियाई लोगों के बीच शांति एवं सौहार्द तथा इसके विस्तार हेतु मुसलमान, यहूदी एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के बीच प्रयास जारी है जिसके चिन्ह देश के घेरे के बाहर भी देखे जा सकते हैं। यह प्रयास समस्त विश्व के लिए एक आदर्श साक्ष्य प्रस्तुत करता है कि कई जातिगत दलों एवं धर्मानुयायियों के एक साथ सहयोग से सार्वजनिक हित संभव है। कई संस्कृतियाँ एवं परम्पराएँ कायम रखे जा सकते हैं तथा समस्याओं के प्रभावशाली समाधान भी निकाले जा सकते हैं एवं इसके द्वारा गहरे घाव भी चंगे किये जा कर भविष्य की आशा की जा सकती है।  

संत पापा ने सभी अधिकारियों को सम्बोधित कर कहा कि उनका एक विशेष उत्तरदायित्व है, वे अपने समुदाय के प्रथम सेवक हैं अतः वे जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा करें जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता भी आता है। इस प्रकार एक शांतिमय एवं आदर्श समाज का निर्माण किया जा सकें जहाँ एक साथ आगे बढ़ते हुए दैनिक समस्याओं का समाधान किया जा सके। इसके लिए कानून एवं उसके लागू किये जाने में सभी नागरिकों के प्रति समानता बरती जाए। संत पापा ने कहा तभी देश के सभी नागरिक सार्वजनिक जीवन में शामिल होने एवं समान अधिकार का अनुभव करते हुए सार्वजनिक हित के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।

संत पापा ने सभी काथलिकों से अपील की कि वे बोस्निया- हेरज़ेगोविना के भौतिक एवं नैतिक पुनर्निर्माण के हिस्सा बनें। कलीसिया हमारे परमगुरू येसु की शिक्षा से प्रेरित होकर ग़रीबों एवं जरूरतमंद लोगों की मदद हेतु समर्पित है। संत पापा विगत दिनों में किये गये उनके कार्यों की सराहना की तथा उन्हें सहयोग, सद्भावना एवं शांति बनाये रखने हेतु प्रोत्साहन दिया। उन्होंने सारायेवो एवं बोस्निया हेरज़ेगोविना में शांति एवं समृद्धि की कामना के साथ अपना वक्तव्य समाप्त किया।।

 








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