2015-06-06 15:55:00

मनुष्यों एवं समस्त सृष्टि के लिए ईश्वर की शांति योजना


सारायेवो, शनिवार, 6 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 6 जून को प्रेरितिक यात्रा के दौरान सारायेवो स्थित कोशेवो स्टेडियम में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

संत पापा ने पवित्र बाईबिल से लिए गये पाठ पर चिंतन केंद्रित करते हुए कहा, ″यह नबी की सशक्त भविष्यवाणी है। मनुष्यों, इतिहास एवं समस्त सृष्टि के लिए ईश्वर की शांति योजना है और इस योजना को मनुष्यों एवं बुराइयों द्वारा विरोध का हमेशा सामना करना पड़ता है। आज भी संघर्ष के विपरीत शांति की चाह एवं शांति निर्माण की लालसा लिए, ये वचन हमें प्रभावित कर रहा है। कई लोग संघर्ष की इस परिस्थिति को उत्तेजित करना और भड़काना चाहते हैं ताकि अपने हथियारों को बेच सकें, विशेषकर, वे विभिन्न संस्कृतियों एवं समाजों के बीच अलगाव उत्पन्न करना चाहते हैं। युद्ध का अर्थ है घर, सड़क एवं कल कारख़ानों का नष्ट हो जाना। बच्चों एवं महिलाओं तथा लोगों का जीवन तहस-नहस हो जाता। इसके कारण कितना अधिक दुःख और पीड़ा उत्पन्न हो जाता है।

संत पापा ने कहा कि युद्ध के वातावरण में दुःख के बादल को चीरते हुए येसु की आवाज सुसमाचार के माध्यम से सुनाई पड़ रही है, ″धन्य हैं वे, जो मेल कराते हैं!″ (मती.5꞉9) येसु का यह वचन सभी युगों में अपील करता रहा है। संत पापा ने कहा कि येसु ने यह नहीं कहा कि धन्य हैं वे जो शांति का प्रचार करते हैं क्योंकि हम सभी शांति की घोषणा करने के योग्य हैं किन्तु उन्होंने उन लोगों को धन्य कहा जो मेल कराते हैं। शांति लाने के लिए उत्साह, धीरज, अनुभव एवं त्याग की आवश्यकता पड़ती है संत पापा ने उन लोगों धन्य कहा जो अपने दैनिक जीवन में अपने मनोभाव, भाईचारा, वार्ता, करूणा एवं उदारता के कार्यों द्वारा शांति प्रकट करते हैं। वे निश्चय ही ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे क्योंकि उन्होंने शांति का बीज बोया है तथा निर्धारित समय में अपने पुत्र को भेजा ताकि वह शांति स्थापित करे। वह शांति निर्माण का कार्य जारी रखा जाना चाहिए।

संत पापा ने प्रश्न किया, कि हम किस प्रकार शांति निर्माण कर रहे है? नबी इसायस याद दिलाते हैं कि धार्मिकता का प्रभाव शांति है, न्याय के द्वारा भी शांति प्राप्त होती है। संत पापा ने कहा कि शांति का कार्य है न्याय। सुसमाचार हमें शिक्षा देता है कि न्याय की परिपूर्णता प्रेम है। अपने पड़ोसियों को अपने समान प्रेम करो। (मती. 22꞉39) उन्होंने कहा कि जब हम ईश्वर की कृपा से उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं तो किस प्रकार परिवर्तन आता है क्योंकि हम खुद बदल जाता हैं। एक ही पिता के पुत्र-पुत्रियाँ होने क कारण मैं उनके लिए भी वही देना पसंद करता हूँ जो मैं अपने लिए चाहता हूँ।

संत पौलुस शांति निर्माण हेतु आवश्यक मनोभावों की सूची बतलाते हुए कहते हैं, ″आप लोग ईश्वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा है। इसलिए आप लोगों को अनुकम्पा, सहानुभूति, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करनी चाहिए।″(कलो. 3꞉ 12-13)

संत पापा ने कहा कि इन मनोभावों को अपनाने के लिए हमारे दैनिक जीवन में शांति के कारीगर बनने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखना चाहिए क्योंकि शांति ईश्वर का वरदान है कोई जादू नहीं। अपनी पवित्र आत्मा द्वारा इन मनोभावों को वे हमारे हृदयों में डालते हैं तथा शांति निर्माण के सच्चे हथियार बनाते हैं। ईश्वर का मानव के साथ मेल मिलाप का परिणाम है यह शांति अतः जब हम उनसे मेल मिलाप करते हैं तो हम शांति निर्माता बनते हैं।  

संत पापा ने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा सभी विश्वासियों के लिए प्रार्थना की कि विनम्र हृदय से, धीरज की कृपा द्वारा वे न्याय एवं शांति के लिए कार्य कर सकें क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है जो हमें आनन्द प्रदान करता एवं संतों के मार्ग पर ले चलता है।

 








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