2015-06-01 09:59:00

प्रेरक मोतीः सन्त मेखटिल्डिस (1160 ई. में निधन) (31 मई)


वाटिकन सिटी, 31 मई सन् 2015:

बेनेडिक्टीन धर्मसंघ की मठवासी भिक्षुणी मेखटिल्डिस जर्मनी स्थित बवेरिया प्रान्त के जागीरदार बेरटोल्ट की सुपुत्री थीं। जागीरदार बेरटोल्ट तथा उनकी पत्नी सोफिया ने डीस्सेन स्थित अपनी भूसम्पत्ति में ही किशोरियों के लिये एक विद्यालय तथा धर्मबहनों के लिये एक मठ का निर्माण करवाया था। पाँच वर्ष की आयु से ही मेखटिलडिस की शिक्षा दीक्षा यहीं पर होने लगी थी। बाद में वे सन्त बेनेडिक्ट को समर्पित मठ की भिक्षुणी एवं मठाध्यक्षा भी बनीं।

सन् 1153 ई. में आऊग्सबुर्ग के धर्माध्यक्ष ने मेखटिल्डिस को एडेलस्टेटन मठ का कार्यभार सौंप दिया था। प्रार्थना द्वारा चंगाई एवं चमत्कार के लिये भी मेखटिल्डिस विख्यात थीं। डिस्सेन के मठ में, 31 मई, सन् 1153 ई. में उनका निधन हो गया था। जर्मनी की सन्त मेखटिल्डिस का पर्व, 31 मई को, मनाया जाता है।

चिन्तनः सतत् प्रार्थना तथा पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल के पाठों पर चिन्तन कर हम भी विश्व में प्रभु के कार्यों को सम्पादित करें। प्रज्ञा ग्रन्थ के आठवें अध्याय के 12-17 तक के पदों में: "मैं, प्रज्ञा, समझदारी के साथ रहती हूँ। मुझे ज्ञान और विवेक प्राप्त है। प्रभु पर श्रद्धा बुराई से बैर करती है। मैं घमण्ड, अक्खड़पन, दुराचरण और असत्य कथन से घृणा करती हूँ। मुझे सत्परामर्श और विवेक प्राप्त है। मुझे में ज्ञान और शक्ति का निवास है। रे द्वारा राजा राज्य करते और न्यायाधीश न्यायसंगत निर्णय देते हैं। मेरे द्वारा शासक और उच्चाधिकारी पृथ्वी पर न्यायपूर्ण शासन करते हैं। जो मुझ को प्यार करते है, मैं उन्हें प्यार करती हूँ। जो मुझे ढूँढ़ते हैं, वे मुझे पायेंगे।"   








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