2015-05-30 16:44:00

विज्ञान मानव का सेवक है न कि मानव विज्ञान का


वाटिकन सिटी, शनिवार, 30 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 30 मई को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में विज्ञान और जीवन एसोसिएशन की 10 वीं वर्षगाँठ पर सदस्यों से मुलाकात कर उनके समर्पण के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, ″मानव व्यक्ति के प्रति उनकी सेवा महत्वपूर्ण एवं प्रोत्साहनात्मक है।″ उन्होंने कहा कि जीवन की रक्षा एवं उसे प्रोत्साहन देना वास्तव में कठिन काम है विशेषकर, उस समाज में जो नकारात्मक तर्क से ग्रसित है। संत पापा ने उनके कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यद्यपि यह कार्य अत्यन्त चुनौतीपूर्ण है किन्तु वे लोगों में खुलापन, ध्यान तथा व्यक्ति की वास्तविक परिस्थिति में उसके करीब रहने की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं। संत पापा ने संस्था के कार्यों पर ग़ौर करते हुए कहा कि व्यक्ति की सुरक्षा हेतु वे दो आवश्यक तत्वों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, साक्षात्कार एवं मुलाकात। संत पापा ने कहा कि वे इस कार्य के मध्य में ख्रीस्त को रखें और यह मानव जीवन की विभिन्न परिस्थितियों उन्हें निर्देशित करेगा।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त का प्रेम हमें बच्चों एवं वयोवृद्धों, महिलाओं एवं पुरूषों की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है जिसके लिए इसे मान्यता प्राप्त होनी और जीवन के लिए मौलिक अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। मानव का अस्तित्व भी एक रचनात्मक सिद्धांत है जो विज्ञान से गहनतम रूप में जुड़ा है किन्तु जीवन का अनूठापन वैज्ञानिक सिद्धांतों को गौण कर जीवन की विचित्रता एवं सुन्दरता को प्राथमिकता देता है। संत पापा ने कहा, ″ख्रीस्त जो मानव एवं संसार की ज्योति हैं वे विज्ञान के द्वारा जीवन की सेवा में प्रज्ञा का पथ आलोकित करते हैं। जब यह प्रकाश फीका पड़ जाए तथा ज्ञान मानव के साथ अपने संबंध को भूल जाए तो यह विसंक्रमित हो जाता है। अतः संत पापा ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वे मानव व्यक्ति की पवित्रता पर ध्यान दें क्योंकि विज्ञान सचमुच मानव का सेवक है न कि मानव विज्ञान का।

उन्होंने उनके कार्यों के महत्वपूर्ण पक्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक सभ्यता की प्रगति का स्तर जीवन की रक्षा के लिए उसकी क्षमता द्वारा मापी जाती है विशेषकर, कमजोर तबक़े के लोगों की। संत पापा ने विज्ञान का प्रयोग मानव की पवित्रता को नष्ट करने में किये जाने पर दुःख व्यक्ति की। उन्होंने कहा कि मानव जीवन पर गर्भपात, आतंकवाद, युद्ध, हिंसा तथा इच्छा मृत्यु जैसे घातक आक्रमण को हम नहीं भूल सकते हैं। प्यार हमेशा जीवन की रक्षा करता है उसकी भलाई चाहता तथा मानव गरिमा को प्रोत्साहन देता है। संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे जीवन के एक नए सिरे की संस्कृति की शुरूआत करें जो एक-दूसरे पर भरोसा एवं उनसे आदान-प्रदान करना जानता हो, जो शांति, करुणा और एकता प्रदान करता हो। वे विज्ञान द्वारा फलप्रद वार्ता हेतु पहल करने से न डरें।

 








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