2015-05-23 16:08:00

मनुष्यों पर ‘येसु की नजर’ पर चिंतन करें


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 मई 2015 (एशियान्यूज़)꞉ ″हम मनुष्यों पर ‘येसु की नजर’ पर चिंतन करें। वे सदा स्नेह से हमें निहारते हैं। हमसे कुछ मांगते हैं, हमें क्षमा प्रदान करते तथा हमें प्रेरिताई के लिए भेजते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 22 मई को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में संत योहन रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ पुनर्जीवित येसु चेलों के लिए भोजन तैयार करते तथा उसे खाने के बाद संत पेत्रुस से बातें करते हैं।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में पेत्रुस तीन बार अंतःदृष्टि प्राप्त करता है, बुलाहट, पश्चाताप तथा मिशन की अंतःदृष्टि।

संत पापा ने संत पेत्रुस की बुलाहट की घटना का वर्णन करते हुए कहा कि संत योहन रचित सुसमाचार के आरम्भ में जब अंद्रेयस अपने भाई पेत्रुस के पास जाकर कहता है, ″हमने मसीह को पा लिया है,″ तब पेत्रुस में उत्साह दिखाई पड़ता है वह येसु के पास आता है, तब येसु उनकी आँखों में आँखें डालकर कहते हैं तुम योनाह के पुत्र सिमोन हो अब से तुम पेत्रुस कहलाओगे। संत पापा ने कहा कि यह पहली मुलाकात थी जब येसु ने उसकी बुलाहट तथा मिशन की जानकारी दी। पेत्रुस येसु की इस बात पर अपना पूरा उत्साह दिखता तथा प्रभु के साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है।

दूसरी बार, येसु से ख़ास मुलाकात तब हुई जब पुण्य गुरुवार की रात पेत्रुस ने येसु को तीन बार अस्वीकार किया, इस अस्वीकृति के द्वारा उसने येसु के साथ अपना सारा रिश्ता तोड़ दिया। उसने येसु का प्यार खो दिया किन्तु जब येसु उसपर दृष्टि करते हैं तो वह रो पड़ता है। येसु का पुनः अनुसरण करने का उत्साह आँसू के रूप में बहने लगता है क्योंकि उसने उन्हें अस्वीकार कर पाप किया था। उस नज़र ने पेत्रुस का मन-परिवर्तन कर दिया। संत पापा ने कहा कि पहली नजर में पेत्रुस का नाम और पेशा बदल गया था अब दूसरी, नजर में पेत्रुस का हृदय परिवर्तन हो गया और उसमें येसु के प्रति प्रेम उत्पन्न हुआ।

तीसरी नजर, उस समय पड़ी, जब पुनरूत्थान के बाद येसु से उनकी मुलाकात हुई। इस नजर के द्वारा पेत्रुस के मिशन की पुष्टि होती है। अपने प्रेम को सुदृढ़ करने के लिए येसु ने उससे तीन बार पूछा, ‘क्या तुम मुझसे प्यार करते हो’ तथा अपने भेड़ों की देखभाल का आग्रह किया। येसु द्वारा तीन बार पूछे जाने पर वह परेशान होकर कहता है ″प्रभु आप जानते हैं कि मैं आप से प्यार करता हूँ, ″ तब येसु उसे मेमनों को चराने का मिशन सौंपते हैं।

संत पापा ने कहा कि इस तीसरी नजर ने उसे मिशन को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। संत पापा ने कहा कि येसु पेत्रुस को मिशन सौंपते हुए कहते हैं कि यह मिशन तुम मेरे प्रेम के ख़ातिर पूरा करो। येसु यह प्रतिज्ञा नहीं करते कि इस प्रेम के बदले उसे राज मुकुट प्रदान किया जाएगा किन्तु येसु उसे बतलाते हैं कि उसे क्रूस के रास्ते पर उनका अनुसरण करना होगा।

संत पापा ने विश्वासियों से कहा, ″हमें भी अपने आपसे पूछना चाहिए कि ख्रीस्त की नज़र मेरे लिए क्या है? वे किस तरह मुझे निहारते हैं, क्या वे मुझे क्षमा की नज़र से देखते हैं या वे मिशन प्रदान करना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि हम सभी पर येसु की नज़र लगी रहती है। वे हमें सदा प्रेम से निहारते हैं तथा कुछ मांग करते हैं। हमें क्षमा करते तथा मिशन प्रदान करते हैं। विश्वासियों को चिंतन का आग्रह करते हुए संत पापा ने कहा कि येसु वेदी में उपस्थित हैं तथा वे हमें निहार रहे हैं। हम उनसे प्रार्थना करें कि हमें क्या करना चाहिए, अपनी गलतियों के लिए किस प्रकार पश्चाताप करना चाहिए, हमें वे रास्ता दिखलायें जिसपर हम उनका अनुसरण कर सकें।

 








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