2015-05-23 16:24:00

काम अलगाव का नहीं, आशा और नव जीवन का माध्यम बने


वाटिकन सिटी, शनिवार, 23 मई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 23 मई को वाटिकन स्थित पौल षष्टम सभागार में इतालवी ख्रीस्तीय श्रमिक संघ के 7000 सदस्यों से उनके 70 वीँ वर्षगाँठ पर मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए संघ के प्रति समर्पण तथा उत्साह में बढ़ने के आधारभूत कारणों पर चिंतन करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, ″आपके संघ के द्वार पर नये सवाल दस्तक दे रहे हैं जो आप से नवीन एवं गुणवतापूर्ण उत्तर की माँग करते हैं।″ उन्होंने कहा कि वैश्विक दुनिया में आकार और तात्कालिकता में जो परिवर्तन हुआ है वह  इतनी बड़ी समस्याओं नहीं है जितनी कि असमानताओं में तेजी से वृद्धि। हम इस वृद्धि को बढ़ने नहीं दे सकते। इस वृद्धि को रोकने के लिए हमें निष्पक्ष और एकजुट होकर नये विकल्पों का प्रस्ताव करना आवश्यक है।

संत पापा ने कहा, ″असुरक्षा,  अवैध श्रम और काले धन की ओर झुकाव विशेषकर युवा पीढ़ी के बीच, श्रम में कमी करता तथा उनकी प्रतिष्ठा छीन लेता है, मानव जीवन की परिपूर्णता से उन्हें वंचित कर देता जो एक चुनौती है।

संत पापा ने उन्हें उच्च उद्देश्य रखने की सलाह देते हुए कहा कि हमें अपने उद्देश्य को ऊँचा रखना चाहिए हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि काम के द्वारा मानव प्राणी स्वतंत्र श्रम, रचनात्मकता, भागीदारी और एकजुटता की भावना को व्यक्त करता है तथा अपनी प्रतिष्ठा का विकास करता है। संत पापा ने इन्हीं चार विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

स्वतंत्र श्रम- सच्ची स्वतंत्रता का अर्थ है कि व्यक्ति सृष्टिकर्ता के कार्य को जारी रखने के लिए कार्य करता है। ईश्वर का कार्य उसके कार्य द्वारा पूर्णता प्राप्त करता है अतः उसके द्वारा किये गये कार्य में ईश्वर की उपस्थिति प्रकट होती है किन्तु कई बार कार्य दबाव में किया जाता है। शोषण या दासता ईश्वर के कार्य में बाधा डालता है। दासता द्वारा ग़रीबों का शोषण होता है विशेष कर, बच्चों तथा महिलाओं का जो सृष्टि की सुन्दरता के अनुरूप नहीं होता। संत पापा ने कहा कि हमें यह अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि काम अलगाव का नहीं किन्तु आशा और नव जीवन माध्यम बने।

रचनात्मक कार्य- हर व्यक्ति में अपना विशिष्ट गुण एवं क्षमता होती है जिनके माध्यम से वह ईश्वर प्रदत वरदानों को अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों के बीच प्रकट करता है किन्तु यह तभी प्रकट किया जा सकता है जब व्यक्ति स्वतंत्रता महसूस करता हो। 

भागीदारीपूर्ण कार्य- वास्तविक प्रभाव के लिए अधिकारियों के साथ सहयोग करते हुए कार्य करने की आवश्यकता पड़ती है यदि मात्र लाभ की भावना से व्यक्ति को एक साधन के रूप में देखा जाता है तब समस्त मानवजाति के लाभ के लिए ईश्वर के कार्य में सहयोग देने का व्यक्ति का महत्व घट जाता है।

एकजुटता या समावेशी पूर्ण कार्य- हम कई ऐसे लोगों से मिलते हैं जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी है या नौकरी की तलाश कर रहे हैं, ऐसे व्यक्ति जो अपने परिवार के लिए रोटी जुटाना चाहते हैं।

संत पापा ने उपस्थित सदस्यों को सम्बोधित कर कहा कि स्वतंत्र श्रम, रचनात्मकता, भागीदारी और एकजुटता उनके इतिहास का हिस्सा है। आज उन्हें अह्वान दी जा रही है कि इस बातों को अपने कार्य स्थलों और सेवाओं में जगह दें।

संत पापा ने तीन अन्य पहलूओं पर भी चर्चा की, जिसमें इतालवी ख्रीस्तीय श्रमिक संघ को सहयोग करने की आवश्यकता है, इतालवी विस्थापितों की मदद, गरीबी से संघर्ष तथा माध्यम वर्गीय लोगों की परिक्षीणता।

संत पापा ने कहा कि उनका समर्पण ख्रीस्तीय भावना से प्रेरित हो तथा येसु ख्रीस्त के प्रति विश्वस्त रहने, ईश वचन, कलीसिया की धर्मशिक्षा तथा आधुनिक समाज की नयी चुनौतियों को ध्यान में रखने के द्वारा पोषित हो।

 

 








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